सफल विक्रेता कैसे बनें? How to become a successful seller? safal businessman kaise bane




हर व्‍यक्ति
अपने भाग्‍य का निर्माता स्‍वयं है।

किसी भी व्‍यापार
एवं व्‍यवसाय का सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण परन्‍तु कठिनतम पहलू हैं – अपने सामान अथवा
सेवाओं को बेच पाना। ऐसा माना जाता है कि सामान का उत्‍पादन करना जितना आसान है
, उतना
ही कठिन है इसको बेचना। जितने प्रभावी रूप से व्‍यापारी द्वारा यह कार्य संपन्‍न
किया जाता है उसी पर व्‍यवसाय की सफलता
निर्भर करती है।


बेचना का काम अपने आप में एक
कला है
, जो किन्‍हीं व्‍यक्तियां केा जन्‍मजात
पारिवारिक माहौल से मिल जाती है
, लेकिन प्रथम पीढ़ी के अधिकांश
व्‍यवसायी को यह सीखनी होती है तथा जो व्‍यवसायी इस कला में पारंगत हो जाता है तथा
किसी को कुछ भी बेचने की दक्षता रखता है(गंजे को कंघी बेचने की क्षमता रखता है)
वही प्रतिस्‍पर्धा के इस युग में सफल हो सकता है।

हालांकि किस सामान विशेष को बेचने के लिए व्‍यकित को क्‍या कला अपनानी होगी
यह स्थिति विशेष पर निर्भर करेगा
, परन्‍तु छोटे व्‍यापारी के संदर्भ में व्‍यवसायी द्वारा किन्‍हीं विशेष
पहलुओं पर ध्‍यान दिया जाए तो वह अपेक्षाकृत एक अच्‍छा विक्रेता बन सकता है। छोटे
व्‍यवसायों द्वारा इस दृष्टिकोण से अपनाये जा सकने वाले कुछ प्रमुख गुर निम्‍नानुसार
हो सकते हैं-
 (सफल विक्रेता कैसे बनें? How to become a successful seller?)

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चेहरे पर सदा मुस्‍कुराहट रखें-

एक प्रसिद्ध चीनी कहावत है कि जिस व्‍यक्ति का चेहरा मुस्‍कुराहट पूर्ण न
हो
, उसे कभी दुकान नहीं खोलनी चाहिए। 
(A
man who has no smiling face should not open a shop)

यह कहावत न केवल दुकानदारों के संदर्भ में सही है
बल्कि प्रत्‍येक उस व्‍यक्ति के संदर्भ में लागू होती है जिसका कार्य जनता से लेन
देन का हो चाहे वह कोई डॉक्‍टर हो या कंसल्‍टेंट अथवा ऐसी ही कोई पब्लिक डीलिंग
वाला व्‍यकित। यहां तक कि शासकीय आधिकारियों/ बैंक कर्मियों के संदर्भ में भी यह
सिद्धांत लागू होता है क्‍योंकि कोई भी ग्राहक उस व्‍यकित के पास जाना नहीं चाहता
है जिसके चेहरे पर हर समय भृकृती तनी रहे। ऐसा प्राय: सुना जाता है कि उसके पास
कौन जाएगा
, उसके चेहरे पर तो हर समय बारह बजे रहते है।      

उद्यमी या दुकानदारी के संदर्भ
में तो यह बात और भी ज्‍यादा खरी उतरती है क्‍योंकि उसकी डीलिंग तो ग्राहकों से
होती है अत: चेहरे पर सदैव मुस्‍कुराहट रखना दुकानदारों / व्‍यसाइयों की सफलता का
मूलमंत्र है। हालांकि इस बारे में प्रश्‍न किया जा सकता है कि हमारा सुझाव होगा कि
यातो अपना व्‍यवसाय / दुकानदारी का बदल लें। अथवा अपना चेहरा क्‍योंकि वृकृत तने
हुये चेहरे वाले उद्यमी / व्‍यवसायी/ दुकानदार / डॉकटर / कन्‍सल्‍टेंट अथवा
अधिकारी के पास आदमी/ ग्राहक मजबूरी में तो जा सकता है
, परन्‍तु यदि उसके पास च्‍वाइस
होगी तो वह दोबारा कभी उसके पास नहीं जायेगा।

ग्राहकों का गर्मजोशी से स्‍वागत करें।-

जब भी कोई ग्राहक आपके प्रतिष्‍ठान में आए उसका स्‍वागत
गर्मजोशी से करें। ऐसा कहा जाता है कि ग्राहक भगवान का रूप होता है
, तो जिस प्रका भगवान का
स्‍वागत करने के लिए आतुर रहते हैं वैसे ही ग्राहक का स्‍वागत करना चाहिए। अभिनंदन
के देा शब्‍द काफी महत्‍वपूर्ण हो सकते हैं तथा ये न केवल आपकी सभ्‍यता को दर्शाते
हैं बल्कि कई बार व्‍यकित को आपके प्रतिष्‍ठान से न चाहते हुए भी कुछ खरीदने के
लिए मजबूर कर सकते हैं
, परन्‍तु यदि हम अपने प्रतिष्‍ठान में आने वाले ग्राहकों
के प्रति
कोई मतलब नहींवाला दृष्टिकोण अपनाते हें तो कई बार चाहते हुए भी व्‍यकित हमारे प्रतिष्‍ठान
से वस्‍तु नही खरीदता।
 

ग्राहकों की समस्‍याओं को ध्‍यान से सुनें-

प्राय: बहुधा दुकानों पर एक बोर्ड अथवा स्टिकर
टंगा हुआ देखा जा सकता है जिस पर लिखा होता है हम विक्रेता हैं उत्‍पादक नहीं
अर्थात्‍ सामान में किसी प्रकार की खरीदी के कारण के लिए वे जिम्‍मेदार नहीं है
, परन्‍तु ग्राहक को ऐसे बोर्ड
से कोई मतलब नहीं होता क्‍यों कि उसने पैसे दुकानदार को दिए हैं न कि उत्‍पादक को
अंतत: वह दुकानदार से खराब माल की शिकायत करना अपना अधिकार समझता है और वह ग्राहक
की समस्‍या को ध्‍यान से सुने तथा यथासंभव इस समस्‍या का ऐसा हल खोजने /सझाने का
प्रयास करे जिससे ग्राहक संतुष्‍ट होकर जाए। ग्राहकों की संतुष्टि हमारा परम
उदद्ेश्‍य है। यह केवल कहने के लिए ही नहीं होना चाहिए। बल्कि विक्रेता को इस तथ्‍य
को व्‍यवहार में भी लाना चाहिए। हो सकता है इसमें कभी कभी दुकानदार को दुकानदार को
नुकसान ही क्‍यों न उठाना पड़े अथवा वस्‍तु बदल 
कर देनी ही पड़ जाए
, परन्‍तु सदा इस बात का ध्‍यान रखें असंतुष्‍ट ग्राहक से
बड़ा कोई खलनायक नहीं और संतुष्‍ट ग्राहक से बड़ा कोई विज्ञापन नहीं।




अपनी दुकान में फालतू लोगों को न बैठने दें-

दुकान में फालतू लोगों की जमावट करना एक ऐसी गलती
है जो बहुधा युवा उद्यमी करते हैं। गप्‍पे मारने के उदद्श्‍य से अनेक फुर्सती लोग
प्रत्‍येक दुकानदार के आसपास मंडराने लगते हैं परन्‍तु क्‍या आपने कभी सोचा है
इससे आपको कितना नुकसान हो सकता है
? आपकी दुकान पर फालतू
लोगों की भीड़ देखकर 20 प्रतिशत ग्राहक तो आने से ही कतराते हैं इसके अतिरिक्‍त
अनेक ऐसे लोग हो सकते है जो उन्‍हें देखकर आपसे कोई वस्‍तु विशेष खरीदने में हिचकिचाहट
का अनुभव करते हैं। अत: दुकानदार का इस पहलू पर विशेष ध्‍यान देना होगा  विशेषकर जब आपकी दुकान से किन्‍हीं ऐसी वस्‍तुओं
की बिक्री होती हो जो ग्राहकों के उपयोग की हों अथवा मेडीकल स्‍टोर्स आदि हों अत:
यशासंभव एक दाम की नीति अपनायें ताकि ग्राहकों के मन  में आपकी विश्‍वसनीयता स्‍थापित हो सके।

एक दाम फिक्‍सड् रेट्स नियम अपनायें-

कई बार किन्‍हीं विशेष कारणों से हम विभिन्‍न व्‍यक्तियों
को एक ही वस्‍तु विभिन्‍न दामों पर देते हैं। यह दुकानदार के लिए घातक सिद्ध हो
सकता है क्‍योंकि यदि विभिन्‍न ग्राहको में इस बात की कभी चर्चा हुई कि दुकानदार
से कोई वस्‍तु दो ग्राहको में इस बात की कभी चर्चा हुई कि दुकानदार से कोई वस्‍तु
दो ग्राहकों को अलग अलग दरों पर दी है तो इससे आपकी विश्‍वसनीयता को धक्‍का लगेगा।
अत: यथासंभव एक दाम की नीति अपनायें ताकि ग्राहकों के मन में आपकी विश्‍वसनीयता स्‍थापित
हो सके।

ग्राहकों पर खीझें नहीं-

कई बार आपको लगेगा कि आपने ग्राहक केा पचासों
चीजें दिखा दी
, लेकिन कोई सी पसंद नहीं आ रही। बच्‍चों के खिलौनो, महिलाओं की साडि़यों तथा
गिफ्ट आईटम्‍स के संदर्भ में यह बात आम होती है कि उन्‍हें कुछ पसंद ही नहीं आता।
ऐसे में बहुधा दुकानदार खीझने लगते हैं तथा माथे पर सिकल तानने लगते हैं
, लेकिन ध्‍यान रखें इससे आपको
कोई लाभ होने वाला नहीं है क्‍योंकि एक तो वह ग्राहक अभी तो आपकी दुकान से जाएगा ही
, भविष्‍य में भी व आपकी दुकान
पर नही आयेगा।अत: बिना खीझे
, यह मानकर कि जब दुकानदारी का पेशा अपनाया है तो ऐसे लोगों
से पाला पड़ेगा ही ग्राहकों की सेवा करते रहें। आप पायेंगें कि अंतत: इससे आपको लाभ
ही होगा।   

अपनी दुकान को
राजनीतिक चर्चाओं का अखाड़ा ना बनने दें

प्रायर छोटे
स्थानों पर चौपाले तथा दुकाने राजनीतिक चर्चाओं की शरण स्थली का कार्य करती है
परंतु दुकानदार के लिए यह सभी पहलुओं से हितकारी है ना केवल विरोधी पार्टी के
सदस्य इस दुकानदार के विरुद्ध हो जाएंगे बल्कि राजनीतिक चर्चाओं में मजबूर होने पर
दुकान भी चौपट हो जाएगी अतः अपने आपको राजनीतिक चर्चाओं से दूर ही रखें साथ ही कई
बार भावा बीच में या परिस्थिति वश हम किसी ग्राहक विशेष की चुगली निंदा या मजाक
उड़ाने लगते हैं यह भी खतरनाक सिद्ध हो सकता है अतः दुकानदार को चाहिए कि इस
प्रकार की राजनीतिक चर्चाओं अफवाहों जुबीली नेताओं से दूर रहें तथा अपनी दुकान में
किसी प्रकार की चर्चा को हवा न दें
 

ग्राहक को यह
महसूस होने दे कि वह सामान उसके द्वारा पसंद की गई है

ग्राहक का ईगो
केंद्र बिंदु है जिसका ध्यान रखना दुकानदार पर अत्यंत लाभकारी होता है कई पर
दुकानदार ग्राहकों के ईगो को इतना ठेस पहुंचा देते हैं कि वह ग्राहक दोबारा उस
दुकान की तरह ग्रुप नहीं करता उदाहरण प्ले आप यह सामान नहीं खरीद सकते या वह सामान
खरीद पाना आप के बस की बात नहीं है आदि जैसे बातों से जितनी ठेस किसी व्यक्ति के
इगो को लग सकती है उतनी ही ग्राहक के युवकों लग सकती है संतुष्ट इस बात से हो सकती
है आपके जैसे टेस्ट के लोगों के लिए ही तो हमने यह चीज मंगवाई है अथवा इस प्रकार
जब भी आप किसी ग्राहक को कोई वस्तु या सामान भेजें तो उसे इस बात का आभास दिलाएं
कि यह सामान उसके पसंद की है इस प्रकार उस सामान के एगो की संतुष्टि होगी तथा यह
आपका स्थाई ग्राहक बन जाएगा

लेन-देन में
पूरी ईमानदारी बरतें

कमतौल ना
मिलावट करना मनचाही रेट वसूली करना आदि ऐसे लालच है जो दुकानदार की नींव को मिट्टी
में मिला सकते हैं एक बार दुकानदार के बारे में इनमें से कोई भी अफवाह फैल गई तो
उसे अपनी न्यू को दोबारा स्थापित करना मुश्किल हो जाएगा इसलिए कभी भी इस प्रकार के
लालच में ना पड़े तथा धंधों में पूरी ईमानदारी बरतें चाहे ग्राहकों से वस्तु की
ज्यादा कीमत ही क्यों ना लें उन्हें इस बात से अवगत करा कर कभी दायम श्रेणी की
वस्तु ना भेजें क्योंकि इसका प्रतिकूल प्रभाव आपके व्यवसाय पर पड़ सकता है अतः
लेनदेन में पूरी ईमानदारी बरते तथा अधिक लाभ कमाने के चक्कर में किसी प्रकार की
बेईमानी का रास्ता ना अपनाएं यह नियम आपकी दुकान की नींव बनाने में प्रभावी भूमिका
निभा सकती है

बच्चों से
दोस्ती बढ़ाएं

जिस क्षेत्र
में संभावित ग्राहक हो उस क्षेत्र के बच्चों से दोस्ती बढ़ाएं तथा उन्हें प्रलोभन
देकर अपनी दुकान की ओर आकृष्ट करें इसमें ना केवल यह बच्चे आपके स्थाई ग्राहक बन
जाएंगे बल्कि यह आपके लिए कन्विंसिंग का कार्य भी करेंगे इन बच्चों के माता-पिता
तो आप के ग्राहक बनेंगे ही कई बार जब किसी दुकान में बच्चे कोई वस्तु लेने जाते
हैं तो दुकानदारों द्वारा उनसे ज्यादा पैसे लिए जाते हैं इसी प्रकार जब कोई नौकर
कोई वस्तु लेने आता है तो उस स्थिति में भी दुकानदार पैसे ले लेते हैं ऐसा कभी भूल
कर भी ना करें आप की नीति ऐसी होनी चाहिए कि चाहे बच्चा है नौकर आए मालिका है या
घर का कोई वृद्ध व्यक्ति सबसे एक ही दामले नौकरों तथा बच्चों के संदर्भ में आपको
और भी जागरूक रहना चाहिए तथा उनको जो भी वस्तु दे तथा जो उसके दाम ले वह कागज पर
लिखकर उन्हें दे दें कि यह रसीद आपके घर पर अवश्य दें ताकि किसी प्रकार की गलतफहमी
की गुंजाइश ना रहे




विभिन्न
अवसरों पर ग्राहकों का अभिनंदन करना ना भूले

स्थाई ग्राहक
बनाने का सबसे अच्छा तरीका है विभिन्न सामाजिक त्योहार हो जैसे दिवाली होली ईद
क्रिसमस आदि पर अपने ग्राहकों का अभिनंदन या विश करना इससे न केवल आपके ग्राहक
दुकानदार से संबंध अच्छे होते हैं बल्कि इससे उस ग्राहक के अन्य जान पहचान वाले
लोग भी आपके ग्राहक बनते हैं अतः ऐसा कोई भी सामाजिक अवसर त्यौहार नाचू के जिसका
उपयोग आप अपने व्यवसायिक संबंधों को प्रगाढ़ करने भी कर सकते हो इसी प्रकार
विपत्ति के स्थिति में भी अपने ग्राहकों के सूट अवश्य लें तथा यदि आप से कोई
सहायता बन सके तो करने का प्रयास करें यकीन मानिए आप के इस कदम का आपके ग्राहक पर
गहरा प्रभाव पड़ेगा तथा वह आपका स्थाई ग्राहक बन जाएगा

सामान बेचने
के बाद उस सामान के रिजल्ट के बारे में अवश्य पूछना

अधिकांश
दुकानदार सामान को बेच भर लेने से अपनी सफलता समझ लेते हैं हालांकि यहां सफलता की
प्रथम सीढ़ी अवश्य है परंतु यह पूर्ण सफलता नहीं है जब तक आपका ग्राहक आपसे यह
नहीं कह देता कि आपके द्वारा की गई वस्तु अच्छी निकली अथवा इसका कार्य अच्छा है इस
संदर्भ में दुकानदार द्वारा समय स्वयं भी समय-समय पर ग्राहकों से पूछते रहना चाहिए
कि उसके द्वारा प्रदत्त की गई वस्तु का कार्य कैसा है यह आपकी साख बनाने के लिए
इसलिए भी अत्यंत आवश्यक है क्योंकि अधिकांश दुकानदार बीमा एजेंट विज्ञापन एजेंट
सेवा प्रदान करने के उपरांत वापस मुड़कर ग्राहक की सुध नहीं लेते अतः यदि आप स्थाई
तथा संतुष्ट ग्राहक बनाना चाहते हैं तो समय-समय परग्राहकों से पूछते रहे कि उसके
द्वारा प्रदत्त की गई वस्तु या सेवा का कार्य कैसा है

किसी से बैर
ना रखें

राय छोटे
दुकानों पर दुकान चलाने से एक हानि यह अवश्य होती है कि कुछ लोग आपके दुश्मन बन
जाते हैं लेकिन इस संदर्भ में दुकानदार द्वारा सच है यह ना काहू से दोस्ती ना काहू
से बैर की नीति बनाए रखनी चाहिए जहां तक हो सके आपके दिल में किसी के प्रति वह
मनुष्य नहीं होना चाहिए लेकिन यदि हो तो किसी से इसे प्रकट न होने दें क्योंकि एक
व्यापारी या दुकानदार का पहला उद्देश्य होना चाहिए उसका सामान की बिक्री चाहे उससे
माल खरीदने वाला उसका पक्का दुश्मन ही क्यों ना हो इस प्रकार किसी से भी मनुष्य की
भावना रखते हुए सबसे मित्रता का व्यवहार करें तथा हर संभव अपनी बिक्री बढ़ाने का
प्रयास करें इस संदर्भ में इस बात का सदा ध्यान रखें

शहर है नया
दोस्त बनाते चलिए दिल मिले ना मिले हाथ तो मिलाते चलिए

उपरोक्त बातें
से हो सकता है जिनका ध्यान अधिक दुकानदार रखे तो वह एक सफल विक्रेता के रूप में
काफी प्रभावी हो सकते हैं यद्यपि इसके अतिरिक्त भी ऐसे अनेक तत्व हो सकते हैं
जिसका विवरण मार्केटिंग और मैनेजमेंट की विभिन्न पुस्तकों में दिया गया है परंतु
यहां पर हमने जिन बिंदुओं पर चर्चा किए यह दिन प्रतिदिन के व्यवहार पर आधारित है
ना की किसी किताबी ज्ञान पर नए व्यापारी के संदर्भ में और छोटे स्तर से काम करने
वाले व्यापारी या दुकानदार के संदर्भ में यह टिप्स और उसके काफी लाभदायक हो सकते
हैं लगातार प्रयास करते

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By Admin

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