premenstrual syndrome-Cause, Symptoms, Treatment ! PMS ! PMS symptoms !प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम 




मासिक धर्म
के पहले तनाव- 
pms
symptoms

बहुत सी महिलाएं
मासिक धर्म
Menstruation
के सात से दस दिनो पूर्व अस्‍वस्‍थ हो जाती हैं उन में अनेक लक्षण
उत्‍पन्‍न हो जाते हैं जो मासिक स्‍त्राव
Menstruation के शुरू होने के चलते
हैं और धीरे धीरे अपने आप की चले जाते हैं इन्‍ही लक्षणों को मासिक पूर्व तनाव या
Premenstrual
Syndrome, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम या pms symptoms कहते हैं-

Premenstrual Syndrome in hindi
Premenstrual Syndrome in hindi


प्रीमेंस्ट्रुअल
सिंड्रोम का कारण 
(Cause of premenstrual syndrome)– 

ऐसा क्‍यों होता है, इसके बारे में कोई निश्चित वजह
ज्ञात नहीं हो पाई है मगर बहुधा यह देखा गया है कि इस काल मे उस महिला के शरीर में
कोशिकाओं के बाहर अतिरिक्‍त मात्रा में पानी जमा हो जाता है ऐसा होने की वजह शायद
उस काल में रक्‍त के भीतर महिला हारमोन्‍स
(Female hormones)  इस्‍ट्रोजन  (Estrogen) की मात्रा का अधिक
होना है।

प्रीमेंस्ट्रुअल
सिंड्रोम के लक्षण
(Symptoms of premenstrual syndrome)

प्रमुख रूप से
दिखाई देने वाले लक्षण इस प्रकार हैं




चिड़चिड़ापन (irritability)

Premenstrual Syndrome से ग्रसित स्‍त्री या लड़की छोटी छोटी बातों पर बिगड़ने या चिढ़ने लगती है
कई बार तो यह चिड़चिड़ापन इस चरम पर पहुंच जाता है जिससे शादी के बाद के जीवन की
शांति भंग हो सकती है । ग्रसित स्‍त्री को आत्‍महत्‍या के खयाल आते हैं। यह भी
देखा गया है कि नारी अपराध की अधिकतर घटनाएं मासिक पूर्व सप्‍ताह में ही घटित होती
हैं।

वजन बढ़ना (Weight gain)

ऐसे मरीजों में एक से ले कर पांच किलोग्राम तक वजन बढ़ा हुआ दिखाई देता है।
पैरों में सूजन दिखाई देती है जिसे यदि अंगूठे से दबाया जाए तो वहां गड्ढा पड़
जाता हैं।

मुंहासे (Acne)-

त्‍वचा पर दाने या चेहरे पर मुंहासे निकल आते हैं।

अवसाद और निद्रा (Depression, Sleepiness)

इसके लक्षण्‍ में अवसाद या डिप्रेशन और अनिद्रा जैसे लक्षण भी दिखाई पड़ते
हैं।

थकान  या आलस (Fatigue or Laziness)

ग्रसित को अपनी डेली गतिविध्यिों को पूरा करने में सुस्‍ती दिखाती है या
जल्‍दी थक जाती है इस वजह से खुद के या घर के रखरखाव में भी अव्‍यवस्‍था झलकती है।

हरारत एवं अस्‍वस्‍थता (Depression and Insomnia)

बीमार एवं सुस्‍त दिखाई देती है वह हलका बुखार भी महसूस करती है।

सिरदर्द (Headache)

सिर में दर्द होना, चक्‍कर
आन
, जी मिचलाना या किसी काम
में एकाग्र न हो पाना जैसी तकलीफें भी पेश आ सकती हैं
,
कुछ को माइग्रेन (Migraine) जैसा दर्द भी हो सकता है।

पाचन क्रिया में समस्‍या (Digestive problems)

पेटदर्द होना, भूख
न लगना
, मतली आना या मुंह
का स्‍वाद बदलना
, जैसी
परेशानियां हो सकती है
, अधिकांश
माहिलाओं को इस दौरान कब्‍ज भी हो जाती हैं
,

युरिनरी समस्‍या (Urinary problems)

बार बार मूत्र का त्‍याग की इच्‍छा होना या मूत्र निकास के वक्‍त जलन होना।

शरीर में सूजन आ जाना (Swelling in the body)

खास कर चेहरा, पेट
पैर और स्‍तन सूज गए से प्र‍तीत होते हैं।

स्‍तन संबंधी समस्‍या (Erectile dysfunction)

अधिकतर महिलाओं में स्‍तनसंबंधी लक्षण,
जैसे उन में सूजन आना,
भारीपन महसूस होने,
दर्द करना, प्रमुखता से मौजूद होते हैं, यदि
वे उन्‍हें छूती हैं तो उन के भीतर अनेक गांठे नजर आती हैं और दर्द होती है
,

प्रीमेंस्ट्रुअल
सिंड्रोम का इलाज
(Treatment of premenstrual syndrome)

इस बीमारी में कुछ
मात्रा में शरीर के भीतर रासायनिक परिवर्तन होते हैं
, मगर अधिकांश
लक्षणों की वजह शारीकि न हो कर मानसिक होती हैं इससे पीडित महिलाएं अंतदर्शी और
मनस्‍तापी प्रवृत्ति की होती है अत: दवाओं के अलावा उन्‍हें मनोचिकित्‍सा की भी
जरूरत होती है।




  • सब से पहले तो
    मरीज को पानी एवं अन्‍य तरल पदार्थों और नमक का सेवन अत्‍यंत सीमित कर देना चाहिए।
  • पानी, चाय,
    काफी, शरबत, फल्‍ जेसे
    तरबूज
    , अंगूर , सब्जियां जैसे ककड़ी,
    टमाटर, मूल आदि न उपयोग करना चाहिए।
  • नमक का उपयोग कम
    से कम मात्रा में किया जाना चाहिए। खासकर अचार 
    चटनी पापड़ आदि से परहेज रखा जाए सलाद पर नमक छिड़क कर खान से परहेज करें।
  • यह उपाय मासिक स्‍त्राव
    के दस दिन पूर्व से शुरू कर दिया जाना चाहिए और स्‍त्राव के प्रांरभ होने के बाद त‍क
    किया जाए।
  • जो माहिलाएं
    गर्भनिरोधक गोलियों का इस्‍तेमाल करती हो
    , उन्‍हें इस दवा के बंद कर देने से
    फायदा हो जाता है वे गर्भ रोकने के लिए कुछ अन्‍य साधन उपयोग करें।
  • जिन दवाओं से
    मूत्र अधिक बनता हो या जिन रेचकों से इस्‍तेमाल से आंत के भीतर से अधिक मात्रा में
    जल का निकास हो उन्‍हें लेना भी लाभ करता है।
  • इस बीमारी के लिए
    हारमोन चिकित्‍सा भी की जाती है मगर उसे चिकित्‍सक के मार्गदर्शन में ही लिया जाना
    चाहिए।
  • यह भी देखा गया है
    कि गर्भधारण करते ही यह अधिकांश लक्षण या समस्‍या गायब हो जाते हैं। जहां मुमकिन
    हो ग्रसित को गर्भधारण के लिए प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिए।
  • स्‍तन संबंधी
    तकलीफों के लिए पेन किलर दवाओं का इस्‍तेमाल किया जा सकता है स्‍तनों को पर्याप्‍त
    सहारा दिया जाना चाहिए।

इस बीमारी के बहुत
सारें मरीज हर साल बढ़ते जा रहे हैं जिन्‍होंने या तो युवावस्‍था में कदम रखा हो
या जो रजोनिवृत्ति की कगार पर हों ऐसे में मानसिक उद्विग्‍नता का होना स्‍वाभाविक
है। इसकारण बेहतर होगा कि दवाओं के अलावा उन की मानसिक परेशानियां को भी सहानूभुति
पूर्व क सुलझाया जाए।


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