छत्तीसगढ़ राज्‍य ऐसा लगता है कि सन 2000 के पहले इसका अस्तित्‍व
नहीं था। लेकिन ऐसा नहीं है इस छत्तीसगढ़ राज्‍य की कल्‍पना भारत के स्‍वतंत्र
होने के कई वर्ष पहले ही तय हो गयी थी। इस पोस्‍ट में हम देखेंगे कि भारत वर्ष के
वे महान लोग जो छत्तीसगढ़ में अपने ज्ञान एवं भ्रमण के उद्देश्‍य से आये एवं एवं
यहां किस प्रकार अपना समय बिताया-

 प्राचीन छत्तीसगढ़ में आये महान व्‍यक्तित्‍व



महात्‍मा बुद्ध

6वीं शताब्‍दी में महात्मा बुद्ध छत्तीसगढ़ के दौरे पर थे इस बात की
पुष्टि अवदान शतक किताब से पता चलती है। गौतम बुद्ध 3 माह के लिए इस क्षेत्र की
राजधानी में अपने ज्ञान की शिक्षा अपने अनुयायी एवं यहां के लोगों को दिया था। उस
समय यह क्षेत्र दक्षिण कोसल महाजनपत का हिस्‍सा होता था। उस समय की जानकारी का
विवरण चीनी ट्रेवलर ह्वेनसांग की किताब में मिलता है।

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 महाकवि कालिदास



उज्‍जैन से आकर महा‍कवि कालिदास छत्तीसगढ़ के सरगुजा में आकर बस गये
यहां कविताओं को लिखा यहां के पर्वतीय जंगल एवं गुफाओं में यात्रा की। इनकी
प्रसिद्ध कवितावली मेघदूतम की रचना उन्‍होंने सीताबेंगरा की गुफा में किया।

सीताबेंगरा की गुफा में विश्‍व का प्राचीनतम नाट्य शाला ( थियेटर) स्‍थति
है।


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 समुद्र गुप्‍त की विजय यात्रा में छत्तीसगढ़



दक्षिण क्षेत्र विजय के दौरान समुद्र गुप्‍त दक्षिण कौशल वर्तमान छत्तीसगढ़
महाजनपद से गुजरने पर यहां कि स्‍थानीय शासनों ने उनका विरोध किया तब यहा के शासन
महेन्‍द्र हुआ करते थे एवं बस्‍तर क्षेत्र में व्‍याघ्रराज का शासन था। 


समुद्र
गुप्‍त ने दोनों ही शासकों को पराजीत कर कुछ समय के लिए अपना राज्‍य स्‍थापित
किया। फिर विजित सेना लेकर दक्षिण की ओर बढ़ गये।

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 श्री राम वनवास के दौरान



राम जी के 14 वर्ष के वनवास का अधिकतम समय छत्तीसगढ़ में बिताया था।
श्रीराम द्वारा सीता को त्‍यागने पर सीतामाता महर्षि वाल्‍मीकी केे आश्रम में शरण ली
थी। लवकुश की जन्‍म स्‍थली महासमुंद के तुरतुरिया के समित है। 

इसके अलावा ऐसा माना
जाता है कि राम का नौनिहाल भी छत्तीसगढ़ क्षेत्र ही है।

पांचो पांडव का छत्तीसगढ़ आगमन




जब पांचो पांडव एवं द्रौपदी को वनवास हुआ तो उन्‍होंने अपना कुछ समय
छत्तीसगढ़ के जंगल में बिताया था। यह घटना राम वनवास के कई वर्षो बाद की घटना है।अबूझमाड़
क्षेत्र में आज भी एक गांव पुजारी-कांकेर है जहां प्रतिवर्ष पाण्‍डवों एवं
धनुष-तीर आदि उपकरणों की पुजा होता है।

इसके अलावा बाद में पांडव भाई सहदेव के राज्‍यान्‍तर्गत यह क्षेत्र सम्मिलित
था। कई वर्षों के बाद यह क्षेत्र अर्जुन के पुत्र बभ्रुवाहन की राजधानी सिरपुर बना। 

वल्‍लभाचार्य

सन् 1593 के वल्‍लभाचार्य का आश्रम छत्तीसगढ़ के चंपारण्‍य में था।
यही से उन्‍होंने
शुद्धादैतवाद एवं पुष्टिमार्ग की स्‍थापना की। आज भी उस स्‍थान
पर भव्‍य आश्रम एवं मंदिर स्‍थापित है।

आधुनिक भारत के महान व्‍यक्तित्‍व

महात्‍मा गांधी



1920 में छत्‍तीसगढ़ के
धमतरी में नहर पानी कर के विरोध में सत्‍याग्रह हुआ इस सत्‍याग्रह में भाग लेने
हेतु महात्‍मा गांधी छत्‍तीसगढ़ आये थे। लेकिन इस बात की खबर की वे छत्‍तीसगढ़ आने
वाले है सुनकर अंग्रेजो ने कर वापस ले लिया था।

1933 में दूसरी बार वे पुन: छत्‍तीसगढ़ इस बार वे हरिजन के उत्थान पर
कार्य करने यहां की जनता को जागरूक कर स्‍वतंत्रता की अलख जगाने आये थे।

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माखन लाल चतुर्वेदी



हिन्‍दी साहित्‍य के महान कवि लेखक माखन लाल चतुर्वेदी बिलासपुर में प्रान्‍तीय राजनैतिक सम्‍मेलन के
दौरान 1921 को शनिचरी चौक (वर्तमान) में आये थे। इसमें माखनलाल चतुर्वेदी ने ओजस्‍वी
भाषण दिया। इस कारण उन्‍हें जबलपुर में गिरफ्तार कर दो महिने के लिए मुकदमें के
बाद  8 माह की कठोर सजा हुई। 


उन्‍होंने जेल
रहकर ही  पुष्‍प की अभिलाषा एवं पर्वत की
अभिलाषा नाम कविता लिखा। फिर 1922 को केंद्रीय जेल जबलपुर ट्रांसफर कर‍ दिया। इस
प्रकार 4 से 6 माह छत्तीसगढ़ की जेल में गुजारा।

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 डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद का आगमन

1921 के असहयोग आंदोलन के दौरान जब डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद स्‍वतंत्रता
कार्यकर्ता थे तब वे छत्तीसगढ़ आये थे। उन्‍होंने रायपुर में जागरूक राष्‍ट्र
चेतना को देखते हुए यहां का दौरा किया। इसके अलावा वे धमतरी के प्रवास पर भी थे। 


उनके साथ सी.आर. राजगोपालचारी, सुभद्राकुमारी देवी भी
थी।1935 में पुन: उनका आगमन छत्तीसगढ़ हुआ था।

पं. जवाहर लाल नेहरू

छत्‍तीसगढ़1935 दिसम्‍बर दो दिन के सम्‍मेलन के लिए जवाहर लाल नेहरू रायपुर, जिला कौंसिल के 6वें वार्षिक शिक्षक सम्‍मेलन में कांग्रेस अध्‍यक्ष बनकर आये
थे।

 स्‍वामी विवेकानन्‍द

1877 से 1879 तक दो वर्ष के लिए वे अपने पुरे परिवार भाई, बहन, माता के एवं पिता के सा‍थ वर्तमान बूढ़ा तालाब के
निकट रहते थे। उनके पिता विश्‍वनाथ पेशे से वकील थे। विवेकानन्‍द के बचपन का नाम नरेंद्रनाथ
था। तब वे छोटे थे माध्‍यमिक की शिक्षा रायपुर में ही प्रारंभ किया था।

उनकी स्‍मृति में वर्तमान विवेकानन्‍द सरोवर एवं श्री रामकृष्‍ण सेवा
समिति स्‍थापित किया गया है।


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आपने जाना छत्तीसगढ़ के इतिहास में महान लोगों के साथ क्‍या संबंध थे। किस प्रकार प्राचीन समय में अन्‍य राज्‍य के शासक यहां आते जाते रहते थे।इसके साथ ही हमने जाना आधुनिक भारत के स्‍वतंत्रता में महान सेनानी अपने विचारों को यहां की जनता से साझा करते थे। 


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