Parakram Diwas । parakram diwas speech in Hindi
पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) की शुरूआत 2021 को 23 जनवरी से किया
गया । दोस्तों Parakram Diwas शौर्य , बलिदान का प्रतीक है जो कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती
पर मनाया जाता है। नेता जी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती का आयोजन हर वर्ष किया जाता
है पर आने वाले वाले वर्ष में यह और भी खास हो गया है क्योंकि इस दिवस को पराक्रम
दिवस (Parakram Diwas) ने नाम से जाना जाने लगा है। इससे इस
विशेष दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। parakram diwas date 23
जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन को नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर्व् के
रूप में मनाया जाता है parakram diwas is celebrated in the memory of
birth anniversary of netaji Subhash chandra bosh.इस वर्ष पराक्रम दिवस २०२२ Parakram Diwas 2022 का
विशेष अयोजन किया जा रहा है। वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी के
द्वारा गणतंत्र दिवस २०२२ Republic day 2022 के भव्य
कार्यक्रम का हिस्सा बना दिया गया है अर्थात 26 january Republic day 2022 को मनाने में 23
january से पराक्रम दिवस (Parakram
Diwas) से मनाया जाएगा । 23 से 26 जनवरी 2022 तग गणतंत्र दिवस को
उत्साह के साथ मनाया जाएगा।
इस पोस्ट में पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) के
विशेष महत्व पर प्रकाश डाला जाएगा साथ ही पराक्रम दिवस पर भाषण हिन्दी में ( parakram diwas speech in
Hindi) प्रस्तुत किया जा रहा है। parakram diwas speech in
Hindi के माध्यम से स्कूल, कॉलेज , पराक्रम दिवस सभा में, जहां पर
इस दिवस को मनाया जाता है साथ नेता सुभाष चंद्र बोस को याद किया जाता है वहां parakram
diwas speech आपको निश्चित रूप से काम आएगा। इसके अलावा parakram
diwas date का महत्व विभिन्न परीक्षाओं जैसे– parakram
diwas upsc, pcs, ssc, में भी पूछा जाता है। इस पोस्ट में
Subhash chandra
bosh biography भी देखने को मिलेगी। सुभाष चंद्र बोस का योगदान, महत्पव
, स्वतंत्रता आंदोलन मे प्रमुख कार्य आदि की जानकारी दी जा रही है। parakram diwas speech in Hindi के माध्ययम से राजनीतिक, समाजिक, धार्मिक, भाषण की रू प रेखा प्रस्तुत
किया गया है। यह जानकारी आपको अच्छी लगेगी,
Parakram diwas speech in Hindi । पराक्रम दिवस
पर भाषण । पराक्रम दिवस स्पीच इन हिन्दी
जान अर्पित प्राण अर्पित्
रक्त का कण कण समर्पित:
चाहता हूं देश की धरती
तुझे कुछ और भी दूं- रामावतार त्यागी
यह पंक्ति को नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को समर्पित है
उन्होने अंतिम सांस तक भारत माता के लिए न्यौछावर कर दिया ऐसे महान नेता को मैं
तन मन धन से नमन करता है। आज के इस विशेष दिन जिसे पराक्रम दिवस के रूप में जाना
जाता है आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता है दोस्तों/ मित्रों /
साथियों हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2021 को ऐलान किया था कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की
जयंती को नया नाम से जाना जाएगा उसे parakram diwas कहा गया इससे नेता जी सुभाष चन्द्र
बोस के बलिदान, योगदान को सम्मान मिला है। हाल ही नरेन्द्र
मोदी जी ने गणतंत्र दिवस के सेलिब्रेसन को 23 जनवरी से प्रारम्भ किया है।
पराक्रम दिवस से लेकर गणतंत्र दिवस को अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।
दोस्तों/ मित्रों / साथियों नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की महानता, एवं जीवन के बारे में
मैं बताता हूं। देश की आजादी के लिए आजीवन ब्रह्चर्य का व्रत लेने वाले ICS की
उपाधि (तत्कालिन सबसे कठीन परीक्षा वर्तमान upsc के समकक्ष ) को ठुकरा देने वाले नेता जी सुभाष चन्द्र बोस
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के विशेष नक्षत्र थे। उनके पराक्रम की कोई
सीमा न थी। नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का नारा था- तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी
दुंगा। असल मायने में स्वतंत्रता की लड़ाई में इन्होंने अपनी जीवन अर्पित कर
दिया। मातृभूमि के इस सपुत का जन्म 23 जनवरी 1897 को प. बंगाल
प्रांत के कटक(वर्तमान ओडिशा) में हुआ था। इनके पिता जानकीनाथ एव अच्छे वकील थे।
नेता
जी सुभाष चन्द्र बोस की प्रारम्भिक शिक्षा एक यूरोपियन स्कूल में हुई थी।
मैट्रिक परीक्षा में इन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान प्राप्त
किया था। इसके बाद कोलकाता के प्रेसिडेंटी कॉजेल में इनका नामांकन हुआ । इस विश्वविद्यालय
में ओटेन नाम एक अंग्रेज प्राध्यापक, जो भारतीयों को हमेशा
अपमानित किया करता था। एक दिन नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने कक्षा में ही प्रोफेसर
को एक तमाचा मार दिया था। बचपन से ऐसा पराक्रम रखते थे नेता जी। अंग्रेज प्रोफेसर
क होश ठिकाने लग गये और उस दिन से उसने भारतीयों को अपमानित करना बंद कर दिया ।
इस घटना के कारण उन्हें स्कूल से निकाल
दिया गया ।
अब आपका नामांकन स्काटिश चर्च कॉलेज में हुआ और वहां से
इन्होंने स्नातक प्रतिष्ठा की परीक्षा पास की। सन् 1919 में ICS
परीक्षा की तैयारी हेतु इंग्लैण्ड चले गये। कुछ दिनों के बाद ICS
की परीक्षा सम्मान क साथ पास कर सुभाष चन्द्र बोस भारत लौट आये। उन दिनों भारत में
असहयोग आंदोलन चल रहा था। नेता जी सुभाष चन्द्र बोस पर भी इसका आसर पड़ा। फिर उन्होंने
ICS लात
मारकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। पिताजी के विवाह के आग्रह को भी सुभाष
बाबु ने ठुकरा दिया। सुभाष बाबू जिस क्षेत्र में भी हांथ बंटाते थे। अपनी प्रतिभा
का छाप अवश्य छोड़ जाते थे। क्रांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन इसका अच्छा उदाहरण
है। उस अधिवेशन में सुभाष बाबू गांधी जी की इच्छा के विरूद्ध कांग्रेस क अध्यक्ष
चुने गये। उन दिनों गांधी जी की इच्छा के विरूद्ध कांग्रेस में अध्यक्ष का पद पा
लेना कोई साधारण बात नहीं थी। इस चुनाव से सुभाष बाबु और गांधी जी के बीच दूरी बढ़
गयी थी। अब सुभाष बाबू ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर फारवर्ड ब्लॉक नामक एक अलग
संगठन की स्थापना की। ये भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई को खीचकर विदेश तक ले गये।
शस्त्र की जरूरत को पूरा करने
के लिए इन्होने चीन, जापान, रूस, जर्मनी
से सम्पर्क किया । इसी क्रम में एक दिन नेताजी वेश बदलकर भारत से अंगेजो के नजरों
से फरार हो गये। विदेशों में रहकर इन्होंने आजाद हिन्द फौज की स्थापना जिसका
उद्देश्य अंग्रेजों से लड़कर भारत को आजादी दिलाना था। इन्हें जापान का भरपूर
सहयोग प्राप्त हुआ। इसके बाद इन्होने इन्होने अमेरिका एंव इंग्लैण्ड के
विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का सम्पर्क मुसोलिनी एवं हिटलर
से थे उनका समर्थन उन्हें प्राप्त हुआ। यही वह नेता जी कहे जाने लगे। नेता जी
सुभाष चन्द्र बोस ने दिल्ली चलो का नारा दिया उनकी आजाद हिन्द सेना कोहिमा ओर मणिपुर
तक आ गई और एक बार तो उसने अंग्रेजी सेना को पीछे खदेड़ दिया लेकिन साधनों की कमी के
कारण वह परजित हुए।लेकिन दुर्भाग्यवश अमेरिका के अनुबन्ध के कार ण
जापानियों को आत्मसमर्पण करना पड़ा। नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की सारी योजना इसी कारण पड़ी रही
गयी।
कुछ लोगों का यह भी कहना है कि एक विमान दुर्घटना में
इनकी मृत्यु हो गयी। 23 अगस्त 1945 को एक वायुयान दुघटना में सुभाष बाबू घायल हुए
और परलोकवासी हो गए। सच्चाई जो भी हो, पर नेता जी भारतवासियों के लिए हमेशा के लिए
हमेशा अमर रहेंगे। नेता जी सुभाष चन्द्र
बोस आज भी हमारे युवकों के प्ररेणास्त्रोत बने हुए हैं उनकी जन्म जयंन्ती के अवसर
पराक्रम दिवस के अवसर हम उनकी पूण्य स्मृति को शत शत प्रणाम।
भारत माता की जय, वन्दे मातरम । धन्यवाद ।