पंथी गीत (panthi geet)– पंथी छत्तीसगढ़ के सतनामी पंथ का परम्परागत नृत्य है, विशेष अवसरों पर सतनामी जैतखाम की स्थापना करते हैं और आस-पास गोल घेरे में गीतमय नृत्य करते हैं, इसकी शुरूआत गुरू वन्दना से होती है, गायन का प्रमुख विषय गुरू घासीदास का चरित्र होता है। पंथी गीत (panthi geet) की अपनी विशिष्ट धुन हैं, उनके संदेश हैं, सत्कार्य करने के प्ररेणादायी स्वर हैं, गुरू और गुरू परिवार की स्तुति है मुक्ति के मार्ग पर आने बढ़ने के प्रेरक विचार हैं पंथी नृत्य में आध्यात्मिक संदेश के साथ मनुष्य जीवन की महत्ता भी होती है, गायन के साथ मुख्य वाद्य मांदर एवं झांझ होते हैं।
पंथी गीत (Panthi Geet)
तन्ना- नन्न नन्ना नन्ना वारे नन्ना।
एक पेड़ अँवरा दूसर पेड़ धँवरा।
नाम ले के आए साहब नाम ले के आए।
माला, मुँगवा छूटिस कंठी पहिनाए।
अधरे के नागर अधरे जुवाड़ी,
अधरे मा धोतिया सुखाए।
अइसन करनी कर नाम ला कमाए।
नाम के डंका ला गिरौद मा बजाए।
गिरौद ला छाडि़ के भंडार पुरी आए।
जहां तैंहा नाम के धजा ला फहराए।
मरे-मरे मुरदा ला तैंहा जिआए।
सांप चाबे-चाबे ला अमरित मां जिआए।
अइसन-अइसन करनी ला दुनिया हा देखिस।
तभे सबे दुनिया सरन गति आइस।
जाके देखे कोनो तेलासी नगर मा।
जहां तोर नाम के दियना बरत हे।
पंथी गीत (Panthi Geet) English
tanna- nann nanna nanna vare nanna
ek ped anvra dooser ped dhanvara
naam le ke aye sahab naam le ke aye
mala, mungava chhutis kanthi pahinae
adhare ke nagar adhare juvadi,
adhare ma dhotiya sukhaye
aisan karni kar naam la kamaae
naam ke danka la giroud ma bajaye
giroud la chhadi k bhandar puri aye
jahan tainha naam ke dhaja la fahraye
mare-mare murda la tainha jiaye
samp chaabe-chaabe la amerit man jiaye
aisan-aisan karni la duniya ha dekhisa
tabhe sabe duniya saran gati ais
jake dekhe kono telasi nagar maa
jahan tor naam ke diana barat hey
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