शादी या ब्याह भारतीयो को विशेष संस्कार होता है उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी शादी या बिहाव का बड़ा महत्व एवं धूमधाम से रस्म रिवाज के अनुसार किया जाता है। शादी के अवसर पर घरों में छत्तीसगढ़ी बिहाव गीत गाये जाते है एंव कुछ रस्म भी किये जाते है। छत्तीसगढ़ी बिहाव गीत (chhattisgarhi bihav geet) के संस्कार में निम्न रस्म शामिल है और उनके लिए गीत गाया जाता है- चुलमाटी, तेलचघी, मायमौरी/ मायन, परघनी, नहडोरी, भडौनी/ गारी/ समधीन गीत, एवं भांवर गाया जाता है। छत्तीसगढ़ी बिहाव गीत (chhattisgarhi bihav geet) का विशेष आनन्द है।
इस पोस्ट मे छत्तीसगढ़ी बिहाव गीत (chhattisgarhi bihav geet) को लेख के रूप में प्रस्तुत किया गया है।यह जानकारी सामान्य एवं प्रतियोगिता परीक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण होती है।
छत्तीसगढ़ी बिहाव गीत (chhattisgarhi bihav geet)–
चुलमाटी Chulmaati
तोला माटी कोड़े ला नइ आवय मीत धीरे धीरे
तोर कनिहा ला ढील धीरे- धीरे
जतके परोसय ओतके ला लील धीरे-धीरे।।
तेलचघी Tailchaghi
एक तेल चढ़गे हो हरियर हरियर,
मंडवा मा दूलरू तोर बदन कुम्हिलाय,
राम लखन के, तेल ओ चढ़त हे,
कहँवा के दियना होवै अंजोर।
मायमौनी / मायन रसम Maymoni / Mayan ras
देव – धामा ल नेवतेंव,
उन्हूँ ल न्यौत्यौं,
जे घर छोडि़न बारे भोरेन ।
ता घर पगुरेन ही,
माता- पिता ला न्यौतयेन,
उन्हूं ल न्योत्येन।
परघनी Parghani
बड़े-बड़े देवता रेंगत हें बरात,
ब्रम्हा- महेस
लिली हंसा में रामचन्द्र चघत हें,
अउ लछिमन चघे सिंग बाध
लहसत रेंगत डांडी अउ डोलवा,
नाचत रेंगथे बरात।
लाली अउ पिंवरी बरतिरयां दिखत हें,
के कते दल दुलरू दामाद ।
झीनो पिछौरी के अलगा डारे हे,
के यही हर दुलरू दामाद ?
अपन सहर मा महादेव पहूंचे,
के दुनिया के आवथे देखइया,
निकरव कइना अपन महल ले,
कि डोलवा परिखन लागव/
नइ मैं निकरवं राजा अपन महल ले,
कि डोलवा परिखय तोर बेटा,
या परिखै ममा के बेटा।
नहडोरी Nahdori-
दे तो दाई, दे तो दाई असी ओ रूपैया,
सुन्दरि ला लानत्यौं बिहाय।
सुन्दरि-सुन्दरि रटन धरे बाबू,
तोर बर लानिहॉं दाई, रंधनी परोसनी
मोर बर घर के सिंगार।
भड़ौनी गीत Bharoni geet-
रचयिता- वसन्ती वर्मा
बिंदिया-
समधीन मोर पहिरे ओ माथे मा बिंदिया, ओ माथे मा बिंदिया।
कि समधीन तोर मुंह हर, दिखय कोइला कस करिया।।
नथनी-
समधीन मोर पहिरे ओ, नाके मा नथनी, ओ नाके मा नथनी।
कि समधीन तोर मुह हर, दिखत हे गुर के मथनी।।
गलपटिया-
समधीन मोर पहिरे ओ, घेंचे गलपटिया, ओ घेंचे गलपटिया।
कि समधीन तोर बहिनी मन, दिखत हें रिच्छिन मटिया।।
करधनिया-
समधीन मोर पहिरे ओ, कमर करधनिया, ओ कमर करध्निया।
कि समधीन तैं घुमत हस, काबर खड़े मंझनिया।।
पंइरी-
समधीन मोर पहिरे, गोड़े मा पंडरी, ओ गोडे मा पंइरी।
कि समधीन तैं हावस घलो, निचट भैंरी।।
बिछिया-
समधीन मोर पहिरे ओ, गोड़े मा बिछिया।
कि समाधीन तोर सुते मा, टूटगे ओ खटिया।।
लूगरा-
समधीन मोर पहिरे ओ, लुगरा फटहा, ओ लुगरा फटका।
कि समधीन तोर दुल्हा हर, हावय निचट गदहा।।
तरिया-
तरिया के पचरी, मोर दिखत हे सुन्ना ओ दिखत हे सुन्ना।
कि समधीन तैं दे हस, सासे लुगरा ओ जुन्ना।।
खेंड़हा-
मही के अम्मट म, रांधे ओ खेड़हा, ओ खेंड़़हा।
कि समधीन तोर भाई हर , हावय ओ लेड़हा।।
मुनगा-
कोला के मुनगा, फरे हे लदालद, फरे हे लदालद।
कि समधीन तोर बहिनी मन, कइसे गिरने बदाबद।
करौंदा-
नानकुन करौंदा के , कतकाकन कांटा, ओ कतकाकन कॉंटा।
कि समधीन तैं हावस, घलो तुरतुरी मांटा।।
मउहा-
जंगल डोंगरी म, गिरत हे मउहा, ओ गिरत हे मउहा।
कि समधीन तोर चुंदी हर, कइसे दिखत हे झउहा।
घुड़मुड़ी भाजी-
खेते म जामे हे, भाजी घुड़मुड़ी, ओ भाजी घुड़मुड़ी।
कि समधीन तोर, बहिनी मन, हावय निचट कुड़कुड़ही ।।
तुलसी-
अंगना के चौरा, लगायेंव ओ तुलसा, लगायेंव ओ तुलसा।
कि समधीन मोर गारी ल, झन राखबे ओ सुरता।।
भांवर Bhavar–
कामा उलोथे कारी बदरिया ?
कामा ले बरसे बूंद?
सरग उलोथे कारी बदरिया?
धरती म बरसे बूंद ?
काकर भींजे नवरंग चुनरिया?
काकर भींजे उरमाल ?
सीता के भींजे नवरंग चुनरिया?
राम के भींजे उरमाल?
कैसे के चिन्हँव सीता जानकी?
कैसे के चिन्हँव भगवान ?
कलसा बोहे चिन्हॅंव सीता- जानकी,
आघू-आघू मोर राम चलत हे,
पाछू लछिमन भाई,
अउ मंझोलन मोर सीता- जानकी,
चित्रकूट बर चले जाई।
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