स्वतंत्रता दिवस पर निबन्ध, कविता 2021 । स्‍वतंत्रता दिवस 2021 । independence day essay in hindi ! 

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दोस्‍तों
independence day 2021 की हार्दिक बधाई।हर
साल
स्वतंत्रता दिवस  के पर्व पर हम सब अपने विचार प्रकट
करते है एवं इस पर्व को याद करते है। इस
independence day 2021 में स्वतंत्रता दिवस पर निबन्‍ध , भाषण एवं
कविता की श्रृखंला में लेख आपके लिए प्रस्‍तुत किया गया है अपने विचार एवं महान बलिदानियों
के योगदान को साझा किया गया ।
swatantrata diwas par nibandh स्वतंत्रता दिवस पर निबन्ध को नीचे पढ़े-

परिचय(स्वतंत्रता दिवस पर निबन्ध)-

भारत अत्‍यंत प्राचीन देश है इसकी संस्‍कृति सदैव महानता दर्शाती है। भारत
देश विविध धर्मों
, जातियोंभाषाओं, जीवन पद्धतियों से भरपुर है।भारत अखण्‍ड प्रभुसत्‍ता
सम्‍पन्‍न राष्‍ट्र है
, जिसमें विभिन्‍न धर्मावलम्‍बी है,
हिन्‍दी उर्दु अंग्रेजी बंगाली मराठी गुजराती तमिल तेलगू कननड़ मलयालम
आदि कई सारी भाषा बोलने वाले लोग हैं। भारतीय लोगो की एक जुठ रहने की कला पुरे विश्‍व
में मशहुर है।भारत देश में एकता का प्रमाण इस बात से बता लगाया जा सकता है। कि पाकिस्‍तान
एवं चीन के कायराना करतुत का पूरा देश मिलकर एक जुठ होकर उसका विरोध करता हैं । पर
आज से 300 साल  पर भारत पर विदेशी ताकत ने हुकुमत किया और भारतीयों पर अपने कानुन एवं
नियम से शोषण किया अपने संस्‍कृति के बोझ भारतीयों पर डाला मगर भारत की राष्‍ट्रीय
एकता एवं बुद्धि जिवियों ने भारत पर भारतीयों का अधिकार हो इसके लिए अनेक कृत किये और
भारत को स्‍वतंत्र कराया ।

स्‍वतंत्रता दिवस पर कविता की कुछ पंक्ति independence
day poem hindi

कदम कदम सधा हुआ,

तेज हैं ऊफान हैं

आख आख ज्‍वाला है

भुजा भुजा कृपाण है

दुश्‍मन कान खोल के सुनों

महान है महान है ये देश महान
हैं।

Content-

स्वतंत्रता दिवस पर निबन्ध । swatantrata diwas par nibandh

  • प्रस्‍तावना
    परिचय
  • स्‍वतंत्रता दिवस क्‍यों मनाते हैं
  • पहली बार स्‍वतंत्रता दिवस कब मनाया गया
  • 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस क्‍यों मनाते हैं कारण
  • स्‍वतंत्रता की घोषणा आधी रात को 
  • स्‍वतंत्रता दिवस का महत्‍व
  • भारत पर विदेशी हुकुमत से स्‍वतंत्रता पाने तक का सफर
  • भारत के स्‍वतंत्रता के लिए प्रमुख इतिहास की घटनाएं
  • प्रमुख स्‍वतंत्रता क्रांतिकारी नारे
  • उपसंहार/ निर्ष्‍कष-

 

स्‍वतंत्रता दिवस क्‍यों मनाते हैं-

भारत की पहचान पहले 1757 से 1947 तक ब्रिटिश भारत के रूप में थी ।उसके बाद 15 अगस्‍त
1947 के बाद भारत स्‍वतंत्र के रूप में आजाद हुआ। इसका मतलब है कि भारत की अपनी संविधान
एवं नीति और अपने लोगों के द्वारा शासन का संचालन करना। पर आजादी पाना इतना आसान न
था। इसके लिए हजारों क्रांतियां हुए हजारों शहीद हुऐ इन सब के राष्‍ट्रवाद के कारण
भारत अंग्रेजो से मुक्‍त हुआ। उन्‍होने अपने शासन को भारत से हटा दिया।अंग्रेजो ने
15 अगस्‍त 1947 को मुक्‍त राष्‍ट्र की भारतीय जनता को सुपुर्द कर दिया तब से इस दिन
को शहीद के बलिदान
, साहस, एवं राष्‍ट्र
नेता को याद करने के लिए मानाया जाता है इस
स्‍वतंत्रता दिवस independence day 2021 को हम मना रहे हैं।

मातृभुमि की गान से गूंजता रहे गगन।

स्‍नेह नीर से सदा फूलते रहें सुमन।।

तुम जिधर चरण धरो, जीत का वरण करो।

आज आसमान पर, शान से बढ़े चलो।

 


पहली बार स्‍वतंत्रता दिवस कब मनाया गया-

15 अगस्‍त 1947 से पहले 31 दिसंम्‍बर 1929 को रात
के 12 बजे जवाहर लाल नेहरू ने लाहौर में रावी नदी के तट पर ए‍कत्रित जन समुदाय के
सामने तिरंगा फहराते हुए घोषणा किया गया कि स्‍वतंत्रता आंदोलन को का लक्ष्‍य
पूर्ण स्‍वराज्‍य है। एंव य‍ह निर्णय किया गया कि भारत के लोग 26 जनवरी 1930 को आम
साभाओं द्वारा इस दिन को स्‍वतंत्रता का दिन घोषित किया गया। उस‍ दिन के ऐतिहासिक
महत्‍व के कारण ही 1949 को भारते ने नया गणतंत्रीय संविधान तैयार किया।  

15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस क्‍यों मनाते हैं
कारण

15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस के रूप में मानाया
जाता है क्‍यो कि 15 अगस्‍त का निर्णय लॉर्ड माउंटबेटन उस समय के वायसराय ने लिया
था। द्वितीय विश्‍व युद्ध
(world war 2) के दौरान 15 अगस्‍त 1945 को ही जापान की सेना
ने आत्‍मसमर्पण कर दिया था।
भारत को 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता मिली। आजादी के बाद
पहली बार आधिकारिक रूप्‍ से राष्‍ट्रीय ध्‍वज ऑस्‍ट्रेलिया में भारत के तत्‍कालीन
उच्‍चायुक्‍त
sir raghunath paranipe के घर पर फहराया गया
। भारत के स्‍वतंत्र होने के समय इंग्‍लैण्‍ड के प्रधान मंत्री क्‍लीमेंट एटली जो
लेबर पार्टी थे। भारत के अलावा दक्षिण कोरिया
, बहरीन और रिपब्लिक ऑफ
कांगो को भी 15 अगस्‍त की तिथि को ही स्‍वतंत्रता मिली। दक्षिण कोरिया को वर्ष
1945 में बहरीन को 1971 में और रिपब्ल्कि ऑफ कांगो को 1960 में स्‍वतंत्रता मिली।

स्‍वतंत्रता की घोषणा आधी
रात को –

3 जून 1947 को निश्‍चित
किया गया कि 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दी जाएगी तो भारतीय के ज्‍योतिषों ने इस पर
आपत्ति दिखाई उनके अनुसार यह दिन देश के लिए शुभ नहीं है। लेकिन लार्ड माउंटबेटन
तो इसी दिन के लिए एक मत थे
, इसलिए ज्‍योतिषो ने कहा कि स्‍वतंत्रता का समय 14 अगस्‍त
रात 12 बजे हो
,
क्‍योंकि
भारतीय मान्‍यता के अनुसार अगले दिन सुर्योदय से दिन आरंभ माना जाता है इसलिए 15
अगस्‍त के अशुभ दिन से बचा जा सके।और अंग्रेज मानते थे कि रात 12 बजे से दिन बदल
जाता है। इस प्रकार लॉर्ड माउंटबेटन की राय भी सर्व मान्‍य किया गया । 

स्‍वतंत्रता दिवस का महत्‍व-

स्‍वतंत्र देश की अपनी पहचान एवं अस्मिता होती है।अपनी संविधान कानुन अपनी
संस्‍कृति अपनी भावनाऐं एवं जनता का समर्थन होता है। हर देश कभी किसी का गुलाम हो सकता
है क्‍यों कि किसी देश की सैनिक क्षमता कमजोर होने से अन्‍य शकित्‍शाली देश उन पर हमला
कर उस पर कब्‍जा कर सकते है एवं अपने कानुन एवं अधिकार उन पर थोप देते हैं। तो कुल
मिलाकर स्‍वंतत्रता दिवस का अपना ही महत्‍त्‍व होता है। स्‍वतत्रंता दिवस का अर्थ शहीद
योगदान बलिदान कालक्रम कई चीजों पर आधारित होता है। इस लिए इस दिन को खास बनाने के
लिए स्‍वतंत्रता दिवस को भारी उत्‍साह से मनाया जाता है। भव्‍य कार्यक्रम होते हैं
छोटे बच्‍चों को इसका महत्‍व बताया जाता है इसके देश के इतिहास को फिर से या द किया
जाता हैं। सामान्‍यत- भारत में हर स्‍कुल
, कार्यालयों में स्‍वतंत्रता दिवस को मनाया जाता
है इस दिन देश के प्‍यारे झंडे को फहराया जाता है राष्‍ट्र के गान को सामुहिक रूप से
गाया जाता है सांस्‍कृतिक कार्यकम होते हैं। भव्‍य तैयारी की जाती हैं। स्‍कूल में
प्रभात रैली होती हे बच्‍चें अपनी तैयार किये कार्य को प्रस्‍तु‍त करते हैं। आज के
दिन एक जुठता भाई चारें को नमुना प्रत्‍यक्ष रूप से देखा जा सकता हैं।
 

भारत पर विदेशी हुकुमत से स्‍वतंत्रता पाने तक का सफर –

विश्‍व के पश्चिमी देशों में भारत को सोने की चिडि़या कहा जाता था।
जिसके कारण विदेशी व्‍यापार करने के लिए भारत आने लगे। समुद्र मार्ग से पुर्तगाली
, डच, फ्रांसीसी आदि आये। 31 दिसम्‍बर 1600 को ब्रिटेन महारानी एलिजाबेथ प्रथम
ने भारत मे व्‍यापार करने शाही अधिकार दिया। इसके साथ भारत में ब्रिटिश ईस्‍ट कम्‍पनी
की स्‍थापना हुई। उन्‍होंने यहां की परिस्थितयों का लाभ उठाकर
, व्‍यापार के साथ की राजनीति, एवं सांस्‍कृतिक रूप से
प्रभुत्‍व बढ़ाया । साथ अंग्रेजी का प्रचार किया। भारत में कई प्रकार के सुधार
कार्यक्रम एवं धर्म आन्‍दोलनों के परिणाम पुनर्जागरण के विस्‍तार हुआ। भारतीयों
में राजनीतिक चेतना एवं जागृति की परिणति 1857 की क्रांति हुई। क्रांति के बाद
सुरक्षा कवच नाम से भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की स्‍थापना हुए।भारतीयों के
प्रयास तथा अंग्रेजों के आर्शीवाद का ही फल था कि भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस का
जन्‍म हुआ यह बहु प्रान्‍तीय
, बहुधर्मी, तथा बहुजातिय थी। इसका संगठन , स्‍वरूप एवं चरित्र
राष्‍ट्रीय था। 1885 से 1905 ई के समय तक कांग्रेस का जनाधार व्‍यापक नही था। इसके
बाद राष्‍ट्रवादियों ने राष्‍ट्रीय आन्‍दोलन को सुदृढ़ नींव डाली और ऐसे मार्ग का
निर्माण किया जिस पर चलकर आजादी प्राप्‍त की जा सकें। उदारवादी नेताओं ने भारतीय
समाज के पुन निर्माण पर बल दिया। उन्‍नीसवीं सदी के अन्‍त में भयंकर अकाल और उसके
परिणाम स्‍वरूप गंभीर संकट आया। प्‍लेग के भीषण प्रकोप से काफी लोग मरे। इसी समय
,
विशषत: बंगाल के शिक्षित लोगों के बीच, बेकारी
काफी बढ़ गई थी।

इसलिए ये
बेकार शिक्षित युवावर्ग नरमदल से विमुख होकर उग्रवाद की ओर आकर्षित हुए। 1905 के
बाद यह आन्‍दोलन राष्‍ट्रवाद में प्रमुख गया।कर्जन की निति और 1905 में हुआ बंगाल
का विभाजन से भारतीय जनता चकित रह गई। बंगाल के विभाजन विरोधी आन्‍दोलन में सभी
विचारधाराओं के राष्‍ट्र वादियों ने भाग लिया । 1907 में सुरत में कांग्रेस अधिवेशन
का विभाजन हो गया। इसके बाद एक वर्ग जो कि भाषण देने
, प्रस्‍ताव पास करने वाली नीति से शांति से आंदोलन कर रही थी। वही दूसरी ओर
कुछ लोग हिंसा से सक्रिया विरोध कर रहे थे। इसके साथ राष्‍ट्रवादियों में आत्‍म
विश्‍वास की भावना लगातार पैदा हो रही थी।ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति लागु कि
जैसे- 1907 में राज विरोधी सभी प्रतिबन्‍ध अधिनियम
, 1908 में
समाचार पत्र अधिनियम लागू किया आदि।

स्‍वतन्‍त्रता को सार्थक करने,

कण कण में चेतना भरने

आज पूरा देश खड़ा है।

 


स्‍वंतत्रता
संघर्ष में क्रांतिकारियों का भी विशेष योगदान रहा । क्रांतिकारियों में अदम्‍य
, साहस, वीरता त्‍याग बलिदान एवं देश के प्रति समर्पण
भाव आदि कूट कूट भरी थी। अपने प्राणों की बाजी लगाकर अंग्रेजो की हत्‍या करना
,
ट्रेन में डकैतियां डालना,बम विस्‍फोट आदि ऐसे
अनेक साहसिक कार्य किये गये। क्रांतिकारी मरने से नहीं डरते थे उनका मानना था कि व्‍यकित
पुराना वस्‍त्र धारण कर नया वस्‍त्र पहनता है वैसे ही शरीर से आत्‍मा भी है तो
मरने से क्‍या घबराना । क्रांतिकारियों ने साहित्‍य
, पत्र
पत्रिकाओं
, पर्चों तथा न्‍यायालयों में दिये भाषण के माध्‍यम
से राष्‍ट्रीयता एवं क्रांति की भावना जगाते थे। भगत सिंह ने उस समय सेट्रल जेल बम
काण्‍ड 1929 किया । ऐसी घटना से परेशान होकर एवं क्रांतिकारी आंदोलन को दबाने के
लिए सरकार भय तथा लालच दिखाकर कुछ विश्‍वासघाती भारतीय नवयुवकों को मुखबिर बनालेती
है। महान क्रांति‍कारी देशभक्‍त शचीन्‍द्रनाथ सान्‍याल ने हिन्‍दुस्‍तान प्रजा‍तांत्रिक
संघ एवं भगत सिंह
, चन्‍द्रशेखर आजाद, ने
हिन्‍दुस्‍तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ संगठन का निर्माण किया । क्रांतिकारियों
द्वारा हिंसक गतिविध्यिों के कारण उसे ब्रिटिश सरकार ने आतंकवादी माना। मगर वे
आतंकवदी नहीं थे क्‍यों कि वे निरपराध्यिों की हत्‍या नहीं करते थे। मातृभुमि की
मुकित के लिए किये गये त्‍याग एवं बलिदान के कारण ही चापेकर बन्‍धु
, वीर सावरकर, शचीन्‍द्रनाथ सान्‍याल, भगत सिंह, चन्‍द्रशेखर आजाद, सूर्यसेन
आदि क्रांतिकारी नेता देश में लोकिप्रिय हुए।23 मार्च 1931 को भगत सिंह
, राजगुरू, सुखदेव को फांसी दी गयी।उस समय भारत के
हजारों घरों में कई दिनों तक शोक मनाया गया।

हिंसक
गतिविधियों के बाद भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस ने महात्‍मा गांधी के नेतृत्‍व में
अहिंसात्‍मक आन्‍दोलनों एवं नैतिक साधनों द्वारा स्‍वतंत्रता संघर्ष को आगे
बढ़ाया। अन्‍त: 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजो से भारत को राजनीतिक दबाव एवं आंदोलन
के जिरिऐ आजादी दिलाई गयी। वास्‍तव में भारतीय स्‍वतंत्रता संघर्ष
, पार्टी विशेष अथवा आन्‍दोलन विशेष का परिणाम न होकर विविध राष्‍ट्रवादी
शक्तियों के सतत् संघर्ष एवं योगदान का परिणाम था।

स्‍वतंत्रता दिवस के
प्रमुख तथ्‍य-

  • प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर
    लाल नेहरू ने अपने भाषण
    treaty with destiny 14 अगस्‍त की रात को
    दिय
    , मगर वे 15 अगस्‍त को
    प्रधानमंत्री बने।
  • डा राजेन्‍द्र प्रसाद ने
    उज्‍जैन के ज्‍योतिसाचार्य सूर्य नारायण से आजादी का शुभ मुहुर्त निकलवाया था।
  • महात्‍मा गांधी 15 अगस्‍त के
    आजादी के कार्यक्रम में शामिल न हो सकें वे कलकत्‍ता में दंगे रोकने में लगे।
  • भारत 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्र
    को गया मगर उसका कोई राष्‍ट्रगा नहीं था।
  • पाकिस्‍तान 14 अगस्‍त को आजाद
    हुआ ।
  • 17 अगस्‍त को भारत एवं पाकिस्‍तान
    के बीच रेडकिल्‍फ लाइन खीचीं गई।

  

भारत के स्‍वतंत्रता के
लिए प्रमुख इतिहास की घटनाएं

  • भारत का प्रथम स्‍वतंत्रता
    दिवस
    – 10 मई 1857
  • भारतीय राष्‍ट्रीय
    क्रांगेस का जन्‍म
    – 28 दिसम्‍ब्‍र 1885
  • जलियावाला बाग हत्‍या
    कांड
    – 13 अप्रैल 1919
  • असहयोग आंदोलन– 1 अगस्‍त
    1920
  • पूर्ण स्‍वराज्‍य की
    घोषणा
    – 26 जनवरी 1929
  • दाण्‍डी मार्च नमक सत्‍याग्रह
    नमक सत्‍याग्रह
  • भारत छोड़ो आंदोलन– 8 अगस्‍त
    1942
  • स्‍वराज्‍य की मांग– 25
    अगस्‍त 1946
  • भारत को स्‍वतंत्रता
    प्राप्ति
    – 15 अगस्‍त 1947


प्रमुख स्‍वतंत्रता क्रांतिकारी नारे

  • करो या मरो– महात्‍मा गांधी
  • चलो दिल्‍ली– सुभाष चन्‍द्र बोस
  • इंकलाब जिन्‍दाबाद– भगत सिंह
  • पूर्ण स्‍वराज्‍य– जवाहर लाल नेहरू
  • आराम हराम है– जवाहर लाल नेहरू
  • हे राम– महात्‍मा गांधी
  • भारत छोड़ो– युसफ मेहर अली।
  • अंग्रेजो भारत छोड़ो– महात्‍मा गाधी।
  • जय जवान जय किसान– लाल बहादुर शास्‍त्री।
  • कर मत दो– सरदार वल्‍लभ भाई पटेल।
  • संपूर्ण क्रांति– जयप्रकाश नारायण।
  • विजयी विश्‍व तिरंगा प्‍यारा– श्‍याम लाल गुप्‍ता
    पार्षद
  • वंदे मातरम-बंकिमचन्‍द्र चटर्जी
  • जन गण मन अधिनायक जय हे  -रवीन्‍द्र नाथ टैगौर
  • साम्राज्‍य वाद का नाश हो– भगत सिंह
  • स्‍वराज हमारा जन्‍म सिद्ध अधिकार है– बाल गंगाधर
    तिलक
  • सरफरोसी की तमन्‍ना अब हमार दिल में है– राम प्रसाद
    बिसिमल
  • सारे जहां से अचछा हिंदोस्‍तां हमारा– इकबाल।
  • तुम मुझे खून दो मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा– सुभाष
    चन्‍द्र बोस
  • साइमन कमीशन वापस जाओ– लाला लाजपत राय।
  • हू ल्ब्सि इन इंडिया डाइज– जवाहर लाल नेहरू
  • सत्‍यमेंव जयते– पं मदन मोहन मालवीय
  • जय जवान जय किसान जय विज्ञान– अटल विहारी वाजपेयी।

उपसंहार-

भारत माता के सच्‍चे सपूत, स्‍वंतत्रता
के पुजारी
, साहसी एवं वीर क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश दासता की
समाप्ति और स्‍वतंत्रता प्राप्ति के लिए अपना सर्वस्‍व त्‍याग किया। यह राष्‍ट्र
के लिए उनका अविस्‍मरीण योगदान है।

राष्‍ट्रीय आंदोलन मे क्रांतिकारियों की भूमिका के
बारे में देखे तो मानना पड़ेगा कि देश के लिए सर्वस्‍व बलिदान करने वाले
, हंसते
हंसते फांसी के तख्‍ते पर चढ़ने वाले तथा जेलों में बर्बरता पूर्ण व्‍यवहार और
यातनाएं सहने वाले क्रांतिकारियों ने भारत के युवकों में जागृति फैलाने और
साम्राज्‍य के विरूद्ध संघर्ष में जुट जाने के लिए तैयार करने में जो भूमिका
निभायी वह किसी से कम नहीं है। इस प्रकार क्रांतिकारी आदर्शवादियों ने भारत में एक
नई चेतना जगाई और इसी कारण वे आज राष्‍ट्रवादियों के साथ या‍द किए जाते हैं। 


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