छत्तीसगढ़ के साहित्यकार एवं उनकी रचनाएं
हिंदी साहित्य में छत्तीसगढ़ के अनेक साहित्यकारों ने अपनी विशेष रचनाएं से ख्याति प्राप्त की है स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद से छत्तीसगढ़ के साहित्यकार अधिक सक्रिय हो गए थे
- गजानन माधव मुक्तिबोध
गजानन माधव मुक्तिबोध चांद का मुंह टेढ़ा ब्रह्मराक्षस अंधेरे में जैसे प्रसिद्ध कविताओं के अलावा अनेक प्रकार की आलोचनाओं आलेखन किया है उनकी लिखी विस्तृत समीक्षा कामायनी कामायनी एक पुनर्विचार एक साहित्यिक की डायरी नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र काफी लोक प्रिय है
- See More-पदुम लाल पुनालाल बख्सी बायोग्राफी
- विनोद कुमार शुक्ल
किताबों की दुनिया में विनोद कुमार शुक्ल का प्रवेश हुआ उनकी रचनाओं में लगभग जैसी हिंद और वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह ऐसी कविताओं का संग्रह किया है उन्होंने उनकी उपन्यास नौकर की कमीज यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें एक अलग ही पहचान दी है बाद में खिलेगा तो देखेंगे और दीवार में एक खिड़की रहती थी बहुत ही लोकप्रिय हुई विनोद कुमार शुक्ल साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले एकमात्र छत्तीसगढ़ के रचनाकार हैं
- गुलशेर अहमद सानी
गुलशेर अहमद सानी की प्रमुख रचनाएं काला जल नदी और सीपियां सांप और सीढ़ी यह प्रमुख उपन्यास उन्होंने लिखा हिंदी की दुनिया में साहनी की रचनाएं की लोकप्रियता का स्तर अलग ही मुकाम पर है
छत्तीसगढ़ के साहित्य में लेखन निबंध समालोचना और संस्मरण के लिए प्रमुख साहित्यकार
मायाराम सुरजन राजेश्वर सक्सेना धनंजय वर्मा क्रांति कुमार प्रमुख है प्रमोद वर्मा राजेंद्र मिश्र, प्रभात त्रिपाठी और श्रीकांत वर्मा इन साहित्यकारों की कविताएं और समालोचना काफी लोकप्रिय है इन रचनाकारों का पूरा विवरण इस प्रकार है
- राजेश्वर सक्सेना का साहित्य इतिहास विचारधारा और साहित्य उत्तर आधुनिकता और सौंदर्यशास्त्र
- मायाराम सुरजन का द्वारा लिखी गई टीवी जीवन घाटियों में धूप छांव के दिन अंतरंग मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश के धनंजय वर्मा की रचना हिंदी की प्रगतिशील कहानियां के अलावा नागार्जुन वह परसाई पर लिखी उनकी कृतियां महत्वपूर्ण है
- प्रमोद वर्मा का ले खा ले हलफनामा बुलाने से नहीं आती नदी साहित्य रूप और सृजन प्रक्रिया के संदर्भ में
- राजेंद्र मिश्र की रचना समकालीन कविता सार्थकता और समाज नई कविता की पहचान
- प्रभात त्रिपाठी खिड़की से बरसात रचना के साथ नहीं लिख सका मैं
- श्रीकांत वर्मा का मगध माया दर्पण जल सागर जीरह वाह गरुण किसने देखा है आदि उल्लेख किया गया
इसके अलावा छत्तीसगढ़ में हिंदी के लेखक वर्ग में अश्विनी कुमार दुबे, आनंद हरसुल, आलोक वर्मा, एकांत श्रीवास्तव, कनक तिवारी, गिरीश पंकज, गोरेलाल चंदेल, जाधवानी परितोष चक्रवर्ती, प्रभाकर चौबे, प्रभु नारायण वर्मा, पुष्पा तिवारी, पूर्ण चंद्र, बच्चों जांजगीरी, मनहर मेहरुन्निसा परवेज, मलय रूपड़ा, रमेश, रमाकांत श्रीवास्तव, रामकुमार तिवारी, सियाराम शर्मा, शरद देवड़ा, शारदा प्रसाद तिवारी, ललित सुरजन, विजय गुप्ता आदि शामिल है
भाषा विज्ञान के क्षेत्र में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान रमेशचंद्र महारोत्रा जी के प्रसिद्धि राष्ट्रीय स्तर पर है पत्रिका साहित्यिक के मामले में छत्तीसगढ़ देश के दूसरे हिस्सों के साथ लगातार ताल बनाए हुए हैं हस्ताक्षर नव संज्ञा साथी छत्तीसगढ़ व्यंग सती और शुरुआत जैसे कई पत्रिका यहां छत्तीसगढ़ से प्रकाशित होती रही है जिन पत्रिकाओं को आज राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है उसमें अक्षर पर्व सापेक्ष बहुमत साम्य सद्भावना दर्पण मडई सूत्र महत्वपूर्ण है
- विनोद कुमार शुक्ल
विनोद कुमार शुक्ल जी का
जन्म 1 जनवरी 1937
को राजनांदगांव छत्तीसगढ़ में हुआ वे एक कवि एवं उपन्यासकार है
उनकी प्रमुख रचनाओं में उपन्यास
नौकर की कमीज खिलेगा तो देखेंगे दीवार में एक लड़की
रहती थी हरि घास की खप्पर वाली झोपड़ी और भावना पहाड़, यासी
रासा त, एक चुप्पी जगह
कविता संग्रह में– लगभग जय हिंद वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर
विचार की तरह सब कुछ होना बचा रहेगा अतिरिक्त नहीं कविता से लंबी कविता आकाश धरती को खटखटाता है कभी के बाद अभी
कहानी– महाविद्यालय
और पेड़ पर कमरा
वे भारत भवन स्थित निराला
सृजन पीठ के अध्यक्ष साहित्य अकादमी नई दिल्ली महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी
विश्वविद्यालय वर्धा के कार्य परिषदों में रहे हैं उनकी रचनाओं में बनी फिल्में
केरल और विनीत अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में काफी मशहूर एवं पुरस्कृत की गई है
उनके अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है जिसमें भारत सरकार का साहित्य
अकादमी पुरस्कार मध्यप्रदेश शासन का राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान व शिखर
सम्मान मोदी फाउंडेशन का दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान उत्तर प्रदेश का हिंदी गौरव
सम्मान और छत्तीसगढ़ का पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान प्रमुख है
- राजेंद्र मिश्र-
छत्तीसगढ़ के अर्जुंदा में 17 सितंबर 1937 को जन्मे राजेंद्र मिश्रा की प्रसिद्धि आलोचक संपादक एवं स्तंभ लेखक के रूप में है 30 साल से अधिक वे छत्तीसगढ़ राज्य के हिंदी साहित्य के प्रजापत रहे
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित बक्शी शोध पीठ के पहले अध्यक्ष रहे इसी विश्वविद्यालय में हिंदी अध्ययन शाला की शुरुआत करने का श्रेय श्री राजेंद्र मिश्र को जाता है उनकी प्रमुख पुस्तकों में आधुनिक हिंदी काव्य समकालीन कविता सार्थकता और समझ नई कविता की पहचान हद बेहद के बीच गांधी अंग्रेजी भूल गया है हिंदी में पीएचडी उपाधि प्राप्त श्री राजेंद्र मिश्र ने श्यामा स्वप्न श्रीकांत वर्मा का रचना संसार आदि पुस्तकों का संपादन भी
किया है कई प्रसिद्ध पत्रिकाओं के वे अतिथि संपादक भी रहे हैं
- प्रभात त्रिपाठी
प्रभा त्रिपाठी का जन्म छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला में सन 1941 में हुआ लेखक कवि और आलोचक हैं बागेश्वरी पुरस्कार माखनलाल चतुर्वेदी सम्मान सौहार्द पुरस्कार शमशेर सम्मान मुक्तिबोध सम्मान सहित अनेक सम्मान से पुरस्कृत श्री त्रिपाठी को प्रमुख रचना कविता खिड़की से बरसात नहीं लिख सका मैं सड़क पर चुपचाप लिखा मुझे वृक्षों ने शामिल है
उपन्यास– सपना शुरू अन आत्मकथा किस्सा बेसिर पैर प्रमुख ह-
कहानी– तलघर और अन्य कहानिया
आलोचना– प्रतिबद्धता और मुक्तिबोध का काव्य
रचना के साथ पुनश्च तुमुल कोलाहल कलह में प्रमुख है उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों का अनुवाद किया है मध्यप्रदेश में वे मध्य प्रदेश सरकार की पत्रिका साक्षात्कार के संपादक और मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के सचिव भी रहे हैं
- एकांत श्रीवास्तव
गरियाबंद के छुरा में 8 फरवरी 1965 को एकांत श्रीवास्तव का जन्म हुआ अत्यंत समर्थ कवि के रूप में उनकी पहचान है सभी प्रमुख पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित की है प्रथम शरद बिल्लौर स्मृति
कविता पुरस्कार कवि रामविलास शर्मा पुरस्कार रितु बंद सम्मान दुष्यंत पुरस्कार केदार सम्मान आदि से श्री एकांत श्रीवास्तव सम्मानित हो चुके हैं उनकी प्रमुख कृतियों में अन्य मेरे शब्द मिट्टी से कहूंगा धन्यवाद आदि है
- निरंजन महावर
निरंजन महावर पिछले 30 वर्षों से कविता पेंटिंग फोटोग्राफी के क्षेत्र में सक्रिय है उनका लोक कला खंड संग्रह काफी पसंद किया गया है आदिवासी कला छत्तीसगढ़ का विश्वकोश भारत का लोक मंच विषयक वृहद परियोजनाओं पर उन्होंने कार्य किया है रायपुर में निवासरत श्री महावर की लोक कला समीक्षक के रूप में ख्याती है
- रवि श्रीवास्तव
गरियाबंद के राजीव के कोमा में 20 दिसंबर 1942 को जन्मे श्री रवि श्रीवास्तव छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय साहित्य संगठन और कवि है उन्होंने मंच लोकप्रियता से ना केवल कविता को बचाया बल्कि जीवन की जिजीविषा को पूरी सहजता व आत्मविश्वास से व्यक्ति भी किया गद्य व्यंग से अपनी पूरी पर्यवेक्षण क्षमता के साथ था और संस्कृति की जड़ में भूल को सामर्थ के साथ उजागर
करते हैं उनकी प्रमुख कृतियों में पहाड़ पर चढ़ते पाव लाल बत्ती का डूबता सूरज आदि प्रमुख है
- तेजिंदर सिंह गगन
श्री तेजिंदर सिंह लग्न का जन्म 10 मई 1951 को जालंधर में हुआ था प्रारंभिक शिक्षा कांकेर और बस्तर में तथा उच्च शिक्षा रायपुर में हुआ शुरुआत में वह समाचार पत्रों और बैंक से जुड़े रहे लंबा समय आकाशवाणी और दूरदर्शन में बीता दूरदर्शन से महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त प्रमुख
रचनाओं में उपन्यास मेरा चेहरा काला पादरी हेलो सुजीत वीडियो कहानी संग्रह घोड़ा बादल और क्या तुम नहा चुके एक कवितासंग्रह बच्चे अलाव ताप रहे हैं तथा एक डायरी सागा सागा शामिल है
छत्तीसगढ़ का पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान वागीश्वरी पुरस्कार वन्माली सम्मान तथा कथाक्रम पुरस्कार सहित अनेक सम्मान उन्हें प्राप्त हुए हैं
हिंदी साहित्य में छत्तीसगढ़ के
साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ के इस लेख में प्रमुख साहित्यकारो की बात की गई है यह
छत्तीसगढ़ के साहित्यकार है जो कि हिंदी साहित्य में विशेष भुमिका रखते हैं।
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