छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल पर निबंध । chhattisgarh ke teerth s‍thal nibhandh

chhattisgarh ke teerth s‍thal छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल


 


भारत देश के मध्‍य में स्थित छत्तीसगढ़ राज्‍य के उत्तर में
सतपुड़ा मध्‍य में महानदी दक्षिणी भाग में बस्‍तर का मैदान एवं पठार उपस्‍थित है छत्तीसगढ़
के तीर्थ स्‍थल अनेक हैं छत्तीसगढ़ प्राचीन स्‍मारकों दुर्लभ वन्‍य जीवों
, मंदिरों, धार्मिक स्‍थलों, राजमहलों, जलप्रपात,
गुफाओं एवं शैल चि
त्र से संम्‍पन्‍न है। छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल ऐतिहासिक, धार्मिक, पुरातात्विक, प्राकृतिक सौन्‍दर्य वन्‍य प्राणी संरक्षण
क्षेत्र से सम्‍बन्धित हैं । छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल में से कुल पर्यटक स्‍थल की
संख्‍या 105 से भी अधिक है। छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल की दृ ष्टिकोण से देखें तो छत्तीसगढ़
काफी प्रचुर रूप से संम्‍पन्‍न है जो हर वर्ग के पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम
है प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल निम्‍न है-

गिरौधपुर सतनामी समाज का तीर्थस्‍थल-

गिरौधपुरी छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल का प्रमुख प्रकार है
छत्तीसगढ़ की पावन भूमि एवं महानदी के किनारे स्थित पवित्र गांव गिरोधपुरी में सोमवार
माघ पूर्णिमा 18 दिसम्‍बर 156 को घासीदास का जन्‍म हुआ था जो आगे चलकर संत घासीदास
के नाम से गुरू घासीदास छत्तीसगढ़ में सामाजिक क्रांति के प्रथम अग्रदूत एवं सतनामी
सम्‍प्रदाय के प्रणेता बनें।

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राजीव लोचन मंदिर राजीम-

गरियाबंद जिले के राजिम क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल
में एक राजीव लोचन मंदिर है जिसमें एक शिलालेख है इस शिलालेख में कल्‍चुरी पृथ्‍वीदेव
द्वितीय के सेनानी द्वारा तलहारि मंडल को पराजित करने  का वर्णन मिलता है यह म‍ंदिर यहां के मंदिरों में
सर्वाधिक प्राचीन है यह मंदिर अपनी शिल्‍पकला के कारण प्रमुख छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल
माना जाता है। श्री राजीव लोचन मंदिर को पांचवा धाम माना जाता है।

चम्‍पारन- प्रभु वल्‍लभाचार्य की जन्‍म स्‍थली

राजिम से 9 किलोमीटर पर स्थित चम्‍पारण चम्‍पाझर नदी के किनारे
बसा है। जो कि छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल के रूप में मशहुर है। चम्‍पारन के बीच चम्‍पकेश्‍वर
महादेव का ए्क प्राचीन मंदिर है यहां पर दूर दूर से वैष्‍णव एवं सभी धर्मों के लोग
दर्शन एवं पर्यटन हेतु आते हैं हर साल माघ पूर्णिमा के अवसर पर यहां विशाल मेला लगता
है।




आरंग – मंदिरों का नगर

आरंग प्रमुख छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल में शामिल है आरंग
को मंदिरों का नगर कहा जाता है यहां जैनियों का एक कला पूर्ण उत्‍कृष्‍ट मंदिर है इसे
लो ग भांड देवल के नाम से जानते हैं 12 वीं शताब्‍दी में इसके गर्भगृह में जैनधर्म
के तीर्थंकर नेमीनाथ
, अजीत नाथ, तथा श्रेयांश की 6 फूट उची ग्रनाइट पत्‍थर
की मूर्तियां है। शिवरात्रि में इस क्षेत्र में मेला लगता है। यहां पर कुछ प्रमुख मंदिर
जैसे महामाया मंदिर
, पचंमुखी महादेव, पंचमुखी
हनुमान
, बाबा हर देव लाल मंदिर स्थित है।

सिरपुर-

यहा छोटा सा गांव कभी शरभपुरीय वंश उसके बाद पाण्‍डुवंशीय
राजाओं की राजधानी रहा है । ऐसा माना जाता है कि सिरपुर ही महाभारतकालीन अर्जुन के
पुत्र भब्रुवाहन की राजधानी थी यहां स्थित प्रमुख मंदिर निम्‍न है जो कि छत्तीसगढ़
के तीर्थ स्‍थल में महत्‍पवूर्ण स्‍थान रखते है। बौद्ध विहार तथा स्‍वास्तिक विहार
, लक्ष्‍मण मंदिर,
गंधेश्‍वर महादेव मंदिर, आदि।
 

नगपुरा- छत्तीसगढ़ का एक मात्र जैन तीर्थ स्‍थल

नगपुरा में पार्श्‍वनाथ का विशाल मंदिर है तीन शिखरों से
यूक्‍त इस मंदिर में गर्भगृह मे पार्श्‍वनाथ की 15 प्रतिमाये है।

डोंगरगढ़ राजनांदगांव-

यह छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल का प्रमुख केन्‍द्र है यहां
पर भव्‍य बम्‍लेश्‍वरी मंदिर है यहां के राजा वीरसेन ने बम्‍लेश्‍वरी मंदिर को बनाया
था जो कि पहाड़ी के सबसे उपर शिखर पर स्थित है। हर साल चैत्र नवरात्रि एवं क्‍वार नवरात्रि
के अवसर पर यहां 9 दिनों का भव्‍य मेला का आयोजन होता है।

भोरमदेव – छत्तीसगढ़ का खजुराहो

खजुराहों एंव कोणार्क की कला का संगम स्‍थल भोमरदेव मंदिर
है ।




रतनपुर- बिलासपुर

रतनपुर अनेक तालाबों और मंदिरों से युक्‍त प्राचीन धार्मिक
नगरी है । यहां प्रसिद्ध महामाया मंदिर सिथत है इसके आलावा यहां भैरम मंदिर
, राम पंचायतन मंदिर रामटेकरी,
रतनपुर का किला, सती चौरा, इकबीर का मंदिर,आदि स्थित है।

इसके अलावा कई सारें छत्तीसगढ़ के तीर्थ स्‍थल हे जो कि छत्तीसगढ़
के प्रमुख विशेषता को दर्शाती हैं।

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