शतरंज का इतिहास history of
chess in hindi
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भारत में शतरंज के
प्रेमी तो है कि साथ इस खेल chess को खेलने वालों की संख्या पूरी दुनिया में कई
ज्यादा है इसे दीमाग वाले खेल कहा जाता है।
इंटरनेट में कई सारें सर्च है जैसें- how to play chess hindi, learn chess hindi , chess kaise khelte hain hindi mein जो कि chess खेलने चाहते है एवं सीखना चाहती । इंटरनेट में बड़ी
आसानी से शतरंज हिन्दी में (learn chess hindi ) सीखा जा सकता है। youtube
chess class की
भरमार है। यू तो शतरंज
खेलना अच्छा भी माना जाता है जो कि ब्रेन की निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है ।
इस पोस्ट में शतरंज फैक्ट (chess facts in hindi) एवं शतरंज की शुरूआत कैसे हुई, शतरंज
का इतिहास क्या रहा। शतरंज की शुरूआत किस देश में कब हुई। पूरी जानकारी हिन्दी (chess hindi) में देखेंगे।
शतरंज
खेल chess game hindi की
पूरी जानकारी (chess hindi mein) देने
का प्रयास किया जा रहा है।
- Chess Hindi Name चेश का हिन्दी मतलब–शतरंज (Satranj)
- Chess Ka Hindi Meaning चेश को हिन्दी क्या कहते है–शतरंज
(Satranj) - Chess Kaise Khelte Hain Hindi Mein चेश कैसे खेलते है हिन्दी में बताये-आगेे पढ़े
- Chess In Hindi Languageहिन्दी भाषा में चेश का अर्थ–शतरंज
(satranj)
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शतरंज की शुरूआत एवं शतरंज का इतिहास
आपने जानकर यह अचंभा होगा की कभी शतरंज (chess) को
फालतू लोगों का खेल समझा जाता था पर इंटरनेशनल लेवल आज शतरंज (chess) को एक
महान दिमागी कसरत का खेल होने का दर्जा प्राप्त है। विश्व शतरंज (chess) चैम्पियन
गैरी कास्पारोव को एवं विश्व के नम्बर दो खिलाड़ी भारत के विश्वनाथ आनन्द
द्वारा जोरदार टक्कर दिए जाने के बाद अब भारत में शतरंज (chess) काफी
लोकप्रिय हो गया है तथा पुरूष ही नहीं, महिलाएं भी इस खेल में भारी नाम कमा रही है।
शतरंज (chess)
कब शुरू हुआ ?
शतरंज (chess)
कब शुरू हुआ इसका जन्मदाता कौन
था सही मायनों में उत्तर ठीक ठाक नहीं
दिया जा सकता। एक कहानी के अनुसार इस मनोरंजक खेल का आविष्कार यूनान के दार्शनिक
फिलोमीड्स ने किया था। फिलोमीड्स बेबीलोन के त्तकालीन सम्राट हेलियोडोरिस का
सलाहकार था। इस प्रकार यह शतरंज (chess)
का आविष्कार 6 वीं शताब्दी ईसा
पूर्व हुआ।
एक
मन्य मान्यता है कि इस खेल का आविष्कार ईरान में वहां के सम्राट सेरसिस ने
किया। सेरसिस ने ईसा से पांच सौ साल पहले स्पार्टा के योद्धाओं से थर्मावल्ली
नामक स्थान पर लोहा लिया था। कुल लोगों का विचार है कि चौल्डिया में फिलेमीड्स को
ही सेसरिस कहा जाता है किन्तु यह युक्ति सही प्रतीन नहीं हाती है क्योंकि देानों
के काल में करीब 200 साल का अन्तर है।
एक
अन्य कहानी यह है कि यह खेल का आविष्कार पालामीड्स ने सुप्रसिद्ध ट्राय नगर की
घेराबंन्दी के दिनों में किया। ट्रांय का विध्वंस करने में यूनानियों को कई साल
लग गए थे। ट्रांय की मोर्चाबन्दी न तो ड़ सकने से यूनानी सैनिकों का मनोबल न गिर जाए और उनका समय भी कट जाए इस उद्देश्य को
समाने रखकर शतरंज खेल का आविष्कार किया गया । खाली समय में युद्ध की थकान उतारने
के लिए यूनानी सैथ्नक यही खेल खेला करते थे।
इस
अन्य मान्यता के अनुसार इस शतरंज (chess)
का आविष्कार पालामीड्स ने नहीं
यूलिसिस ने किया था। यूलिसिस एक विख्यात यूनानी राजकुमार था जिसने ट्राय के युद्ध
में सफल्तापूर्वक भाग लिया था इसी यूलिससिस ने पालीमीड्स का वध कराया था क्यांकि
पालामीड्स ने यूलिसिस के विरूद्ध यह शिकायत कर दी थी कि यूलिसिल ट्राय युद्ध में
नहीं लड़ना चाहता और इसलिए पागलपन का बहाना कर रहा है।
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शतरंज (chess)
एक प्रकार का अद्भूत खेल है यही
कारण है कि इसके जनमदाता होने का दावा मिस्त्रवासियों, यहूदियों, चीनियों, अरबों, और
भारतीयों ने भी किया है। चिकित्सा शास्त्र के निष्णात विद्वान हिप्पोके्ट्स और
गेलन का मानना था कि शतरंज खेलने में संग्रहणी ओर हैजा जैसे कई रोगों का उपचार
संभव है। अरस्तु और सुलेमान को शतरंज में बहुत दिलचस्पी थी।
कुछ
अन्य मान्यता के अनुसार शतरंज (chess)
का आविष्कार भारत में बौद्धों ने
किया था, कारण् बौद्ध चाहते थे, कि इस
अहिंसक युद्ध को प्रोत्साहन देकर वास्तविक युद्ध से बचा जा सके। इस मत के
सर्मथकों में डा, लिंडसे का नाम भी आता है।
इन
सभी मान्यता एंव कहानी के बाद अधिकांश इितहास मर्मज्ञों का मत है कि शतरंज का
आविष्कार प्राचीन हिन्दू मस्तिष्क की उपज है।
कहते
है कि इस शतरंज
(chess) खेल का आविष्कार रावण की राजमहिषी मंदोदरी ने किया
था। रावण का मन लंका के घोर संग्राम से विरत करने के लिए मंदोदरी उसके साथ शतरंज
खेला करती थी।
अन्य
हिन्दी किवंदती के अनुसार- शतरंज (chess)
का आविष्कार एक ब्राह्मण शिक्षक
ने राजा को प्रसन्न करने के लिए किया था। यह राजा कौन थ किस देश प्रदेश में राज
करता था और किस का में हुआ यह तो निश्चित नहीं हो सका। परन्तु कहते हैं राजा इस
खेल से इतना प्रसन्न हुआ कि वह गद्गद होकर अवष्किर्ता से बोला– तुम्हारा
यह खेल अत्यंन्ता अद्भुत है । इस के लिए तुम्हें जो भी पुरस्कार मांगना हो
मांग लो मै तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरी करूंगा।
ब्राम्हण
अत्यंत नम्रता से बोला- महाराजा यदि आप इतने ही प्रसन्न है तो मुझे जो पुरस्कार
चाहिए उसका विवरण ध्यान से सुनें।आप जानते ही है कि शतरंज (chess) के 64
खाने होते हैं। आप पहले खाने के बदले में मुझे चावल का एक दाना, दूसरे
खाने के बदलने में दो दाने, तीसरे खाने के बदले में चार दाने चौथे खाने के बदले
में आठ खाने और पांचवे खाने के बदले में सोलह दाने दें।इसी प्रकार शेष खानों के
लिए चावलों की संख्या दुगुनी करते चलें पूरे चौंसठ खानों के बदले में इस प्रकार
चावल के जितने दाने बनते हैं उतने दानें मुझे दिलाने का आदेश दें।यह सुनकर राजा
खिलखिला कर हंस पड़ा और बोला- वाह ब्राह्मण देवता ! क्या पुरस्कार
मांगा है। चावल तो आप बिना दाने गिने जितने चाहे ले लें किन्तु कोई और अच्छा सा
पुरस्कार भी मांग लें।
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ब्राह्मण ने उत्तर दिया- चावल के जितने दाने शतरंज के
चौंसठ खानों के हिसाब से बनते हैं मुझे बस उतने ही दाने चाहिए- मुझे अन्य किसी
पुरस्कारों की कोई कामना नहीं है। लाचार होकर राजा ने गणितज्ञों को आदेश दिया कि
वेहिसाब लगाकर बताएं कि ब्राह्मण को चावल के कितने दाने दिए जाने चाहिए। बाकायदा
हिसाब लगाया तो पहता चला कि देय चावल की संख्या 98, 446,744, 073, 709, 551, 195 बनती है। वजन का
हिसाब किया तो पता चला कि इस अद्भुत मांग को पूरा करने लायक चावल पूरे देश भर में
भी नहीं है। राजा स्तम्भित रह गया और बोला- पंडित जी , आप जीते मैं हारा। शतरंज (chess) जैसे
अद्भूत खेल का अपने आविष्कार किया है पुरसकार भी वैसा ही अद्भुत मांगा है। मै
अपना सम्पूर्ण राज आपको दे सकता हूं पर आपने जो पुरस्कार मांगा है उसे देने में
असमर्थ हूं। पुरस्कार मांगने में भी अपने मुझे मात दे दी है।
इस
प्रकार से शतरंज
(chess) का आविष्कार हुआ एवं शतरंज (chess) का
इतिहास रहा है।