छत्तीसगढ़ में 1857 की क्रांति-
पृष्ठभूमि
आदिवासी किसान मजदूर सामान्य जनता, जमींदार, कुछ सैनिकों ने इस आंदोलन में भाग लिया । साथ ही इसमें जेल के सुरक्षा
पहरी भी शामिल थे।
छत्तीसगढ़ में 1857 की क्रांति का असर महानदी
घाटी में क्षेत्र में था। सर्वाधिक प्रभाव सोनाखान , संबलपुर में देखा गया।
छत्तीसगढ़ में 1857 की क्रांति में जमींदार एवं
सैनिक विद्रोह
1丨सोहागपूर में संघर्ष
सोहागपूर संघर्ष के
नेतृत्वकर्ता रंगाजी बापू थे जो कि सतारा के राजा केभूतपूर्व वकील थे।
क्षेत्र कोरिया रियासत में।
सोहागपूर में संघर्ष में 15 अगस्त् 1857 को
गुरूर सिंह, रणमंत
सिंह और संबलपुर जमींदारों द्वारा विद्रोह हेतु सोहागपूर के पास एकत्रित हुए। इसके बाद उन पर रायपुर डिप्टी कमिश्नर ने
हमला करवा दिया।
सोहागपूर में संघर्ष का परिणाम असफल हो गया । संघर्ष वही रूक
गया।
2丨सोनाखान का विद्रोह-
स्थान– सोनाखान बलोदाबाजार
सोनाखान का विद्रोह का नेत्तृत्वकर्ता– वीरनारायण सिंह सोनाखान जमींदार, जो बिंझवार जाति का था।
मुखबिर– देवरी के जमींदार चाचा महाराय राय।
क्रांति के समय पदाधिकारी–
- नागपुर कमिश्नर –
मि. प्लाउडन - डि.कमिश्नर रायपुर- सी इलियट
- पुलिस अधिकारी- कैप्टन स्मिथ
सोनाखान का विद्रोह का कारण अकाल पीडि़तो को अनाज उपबल्ध
कराने के लिए वीरनारायण सिंह ने कसडोल के व्यापारी माखनलाल के गोदाम से अनाज
लूटकर जनता में बांट दिया।
वीरनारायण सिंह की गिरफ्तारी 24 अक्टूबर 1856
सम्बलपुर से रायपूर जेल कैप्टन स्मिथ द्वारा। 27 अगस्त 1857, 8 महिने बाद जेल से सुरंग
बनाकर फरार।
वीरनारायण सिंह की फांसी 10 दिसम्बर 1857
रायपुर जयस्तंभ चौक चार्ल्स इलियट द्वारा फांसी।
वीरनारायण सिंह प्रथम शहीद छग स्वतंत्रता
संग्राम का माना जाता हैं।
नारायण की मृत्यु के बाद सोनाखान- गोंविद सिंह
एवं अंग्रेज में मध्य संधि
नारायण सिंह की मृत्यु पुत्र गोविन्द सिंह
गिरफ्तार कर नागपूर जेल भेज दिये। उनके चाचा महाराज साय देवरी के जमींदारी को पर कब्जा कर लिया। गोविन्द
सिंह 1860 में रिहा होकर सम्बलपुर के सुरेन्द्र साय के साथ मिलकर चाचा की हत्या
कर दिया। इसके बाद दोनों ने अंग्रेजो के विरूद्ध अभियान शूरू कर दिया। अंग्रेजो ने
दोनों पर इनाम की घोषणा की। इसके बाद सुरेन्द्र साय पकड़ा गया उसे असीरगढ़ किले में
कैद कर दिया गया । बदले में गोंविद सिंह सन्धि कर अंग्रेज से जमींदारी वापस ले
लिया।
3丨सम्बलपुर का सुरेन्द्र साय का विद्रोह-
कारण सम्बलपुर के चौहान राजा की 1827 में
मृत्यु हो गयी। सुरेन्द्र साय ने राजगददी पर अधिकार कर लिया। इस निर्णय से
अंग्रेज अस्वीकार कर दिये। उन्होंने चौहान राज की विधवा की विधवा रानी
मोहनकुमारी को गद्दी पर बैठाया जिससे जनता में असंतोष फैल गया। फिर बरपाली चौहान
परिवार का नारायण सिंह राजा नियुक्त हुआ। उन सब के कारण सुरेन्द्र साय एवं 6 भाई
एवं चाचा बलराम सिंह वहां के जमीदार द्वारा विद्रोह की शुरूआत हुई।
परिणाम– भाई सुरेन्द्र साय, उदन्य साय चाचा बलराम सिंह को आजीवन कारावास हजारी बाग
जेल । मगर सुरेन्द्र साय 31 अक्टूबर 1857 को फरार हो गया अन्त में 23 जनवरी 1964 को गिरफ्तार कर 90 वर्ष
असीरगढ़ जेल में 28 फरवरी 1884 को मृत्यु हो गयी।
4丨रायपुर सैन्य विद्रोह
हनुमान सिंह की क्रांति ,
हनुमान सिंह बैंसवाड़ा का राजपूत था।
18 जनवरी 1858 रायपुर फौजी छावनी मेंगजीन लश्कर
हनुमान सिंह राजपुत ने सिडवेल की हत्या कर रायपुर में क्रांति की शुरूआत किया । 6
घंटे बाद 17 लोग गिरफ्तार, हनुमान बच गया।
परिणाम-हनुमान सिंह आजीवन फरार। इलियट द्वारा
मुकदमा चलाया गया। 22 जनवरी 1858 को पूरे 17 लोगों को फांसी।
उन महान अमर शहीद के नाम– गाजीखान (हवलदार)
बाकी 16 गोलन्दाज थे- अब्दूल हमात,
मूल्लू शिवनारायण पन्नालाल, मातादीन,
दवीदीन ठाकूरसिंह, अकबर हुसैन, बल्ली दुबे, लल्लासिंह, बुद्धु,
परमानंद, शोभाराम, दुर्गाप्रसाद,
नजर मोहम्मद,शिवगोंविद।
छत्तीसगढ़ का मंगलपाण्डे हनुमान सिंह कहलाते
हैं।
5丨उदय पुर का विद्रोह
सरगुजा रियासत, उदयपुर राज्य में हुआ।
1852 में कल्याण सिंह एवं उनके भाई पर मानव हत्या का आरोप अंग्रेजों
ने कैदि बना लिए।1858 में उन्होने विद्रोह कर दिया। अग्रेज सरगुजा राजा को एवं
भाइयों को 1859 में गिरफ्तार कर आजन्म कालापानी की सजा अण्डमान भेज दिया। एवं उदयपुर
की रियासत सरगुजा राजा के भाई बिन्देश्वरी प्रसाद सिंहदेव को 1860 में दे दिया गया।