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क्रिसमस (christmas), क्रिसमस पर
निबंध
क्रिसमस (christmas) kyu
manate hai
हिन्दुओं के त्यौहार में जो महत्व होली का
है, मुसलमानों में ईद का , आदिवासियों
में सरहुल का, वही महत्व ईसाइयों में क्रिसमस का है। यह पर्व या त्यौहार
प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है। यह वही पावन दिन है, जब ईसा
प्रभु का इस धरा पर अवतरण हुआ था। ईसा को लोग यीशु भी कहते हैं। इस प्रकार यीशु के
जन्मदिन के उपलक्ष्य में ईसाइयों का महान पर्व क्रिसमस (christmas) मनाया जाता है।
ईसा
मसीह की कहानी
उन
दिनों यहूदी जाति रोमन शासकों के अत्याचार से त्रस्त थी। यहूदी जाति दाने दाने
के लिए तरस रही थी। इस भीषण संकट में भी उन्हें विश्वास था कि प्रभु की कृपा से
ही इस संकट से उबरेंगे। 25 दिसम्बर को उन्हें विश्वास का फल मिला। जब ईसा प्रभु
ने कुमारी माता मरियम के गर्भ से जन्म लिया। ईसा को ईश्वर पुत्र भी कहा जाता है।
उन्हें यहूदियों के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व मानवता के मुकितदाता के रूप् में
देखता है। महाप्रभु ईसा का जन्म रहस्य बड़ा अद्भुत है। एक स्वर्गदूत ने कुमारी
मरियम से कहा – ”एक पवित्र आत्मा” तुम पर
उतरेगी। इसलिए जो बालक तुझसे उत्पन्न होगा, वह
परमेश्वर का पुत्र कहलायेगा।” कुमारी मरियम ने स्वर्गदूत से कहा- ” मैं
परेश्वर की सेविका हूं। जैसा आपने कहा वेसा मेरे लिये हो।”
इस
प्रकार समय पूरा होने पर माता मरियम के गर्भ से महा प्रभु ईसा का जनम बैतलहेम नगर
के एक गोशाला में हुआ। उसी समय बैतलहेम नगर के मैदान में कुछ चरवाहे भेड़ चरा
रहेथे। एकाएक स्वर्गदूत ने प्रकट होकर उन चरवाहे से कहा- ”डरो मत।
मैं तुमहारे लिये शुभ संदेश लाया हूं। दाउद के नगर बैतलहेम में तुम दीन -दुखियों
के सेवक ने जन्म लिया है। वही प्रभु ईसामसी हैं। उनकी यहपहचान है कि उन्हें तुम
गोशाला की नाद में मैले कपड़े में लिपटे विहंसते बालक शिशु के रूप् में देखोगे।”
इसके
बाद चरवाहे उस स्थान के लिए दौड़े पडे़। वहां जाकर उन्होंने ईसा प्रभु के दर्शन
किये। उनकी खुशियों की इंतहा न नहीं।सबने श्रद्धाभाव से प्रभु ईसा के चरणों में
अभिवादन किया और फिर वे वापस लौट पड़े। इस प्रकार ईसा के अवतरण के बारे में चारों
ओर बातें फैल् गयीं।
ईसा
मसीह की महानता
ईसा
मसीह महान आत्मा ही थे। दीन दुख्यिों के परम उपकारी थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या
का जीवन था।उनका उपदेश सुलभाचार कहलाता है। उनके उपदेश सुन्दर हैं कि उन पर आचरण
करने से मनुष्य की कायापलट हो जाये। उनके उपदेशों का सार है- स्वर्ग का राज्य
दीन दुखियों का है। ” नम्र व्यक्ति ही धन्य है। इस पृथ्वी के वही अधिकारी
हैं। शुद्ध ह्दय वाले ही ईश्वर को पा सकते हैं। मनुष्य सप्ता या सम्पत्ति से
महान होता , बल्कि दश्मिक स्वच्छता और ईश्वरीय निकटता से महान
होता है इत्यादि।
ईसा
मसीह का नारा था- पाप से घृणा करो, पापियों से नहीं। वे अन्त तक मानवता की सेवा और उसूलों
की रक्षा करते हैं। इसीलिए ईसाई लोग भक्तिपूर्वक इस महान आत्मा की पूजा करते हैं।
क्रिसमस (christmas) kaise manate hai
यह
त्यौहार बड़े उत्साह और धूमधाम से बनाया जाता है। यह सप्ताह भर चलता है। ईसाई
लोग क्रिसमस (christmas
Tree) पेड़ को सजाते और उसे प्रकाश से जगमगाते हैं। वे चर्च
जाकर प्रार्थना करते हैं। वे अपने सगे सम्बधियों के घर जाकर खुशियां बांटते हैं।
सबसे अच्छी बात है कि इन दिनों गरीबों को भोजन मुफत खिलाया जाता है और उन्हें
दान भी दिया जाता है।
इस
प्रकार क्रिसमस (christmas)
खुशियां बांटने का त्यौहार है। गरीबों ओर दीन दुखियों
की सेवा करने का त्यौहार है। ईसा के सच्चे अनुयायी बनकर ही हम दुनियां में सुख
शांति ला सकते हं।
क्रिसमस पर निबंध –
Christmas Essay in Hindi
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