मुहावरा पूर्ण रूप से वाक्य नहीं होते लेकिन वाक्यांश है इसका मतलब है यह वाक्य का भाग या हिस्सा है। मुहावरों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं होता हे इसके साथ वाक्य का प्रयोग किया जाता है। मुहावरों का काम शब्दों में चतम्कार गति उत्पन्न कर भाषा के सौंदर्य को स्थापित करना हे। यह विकारी शब्द है अर्थात काल, वचन, ऑर पुरूष के अनुसार इसमें परिवर्तन होता है। वाक्य रचना को आसान एवं सुलभ बनाने के लिए कुछ मात्रा में बदलाव किया जा सकता है मगर इसके अर्थ् मे बदलाव नही होना चाहिए इसकारण इसे विकारी शब्द कहते हैं।
मुहावरा शब्द का अरबी शब्द है व हिन्दी, छत्तीसगढ़ी में उसी रूप में प्रयुक्त है।
नीचे बारहखड़ी के शब्द के अनुसार छत्तीसगढ़ी मुहावरें दिये गये है एवं प्रत्येक के हिन्दी, अंग्रेजी में अर्थ दिये गये है।
अ
- अपन हाथ जगन्नाथ
- अपन लइका ला कोनो कनवा नई कहय
आ
- आगी खाके अंगरा उगलना
- आधा छोर पूरा बर जावे, आधा मिलै न पूरा पावै
- आदमी के पहचान बखत म होये
- आही तेन जाहीच
- आमद कम खर्चा जादा
इ
ई
उ
- उदाली मारथे
- उपर छावा मया
- उपर म राम राम तरी म कसई
ऊ
ए
ऐ
ओ
औ
अं
- आंखी खुलगे
- अंगरी धरत धरत पहुंचा धरिलस
अ:
क
- कान नई दै
- करेला ते म नीम चढें
- करम ठठावय
- करेजा कतरना
- कॉटा कस गड़ना
- कठुआ के हडि़या बार बान नइ चघै
- कौंड़ी नई हे
- कानो कान खबर नई हे
- काम ल काम सिखोथे
- कुछ गंवाबे त पाबे
- कौवा के चोंच म हीरा
ख
ग
- गॉंठ जोरना
- गहॅू के संग कीरा रमजागे
- गुदड़ी के लाल
घ
- घर के भेदिया लंका ढाए
- घाट घाट के पानी पिए हे
च
- चित भी मोर, पट भी मोर
- चेरिहा के पेट में पानी नइ पचै
- चलत चलत मरगें
- चार दिन के चादनी फिर अंधेरी रात
छ
- छाती जुड़ा गे
ज
झ
ट
- ठेंगवा देखना
- टकटकी लगगे
ठ
ड
ढ
त
थ
- थूक चाटे ले पियास नई बझाय
द
ध
न
प
- पुन्न के बछिया के दॉंत नइ गिनथे
- पानी के मोल बेचाना
फ
ब
- बुध सठियागे
- बहना म मूंडी देना
- बेंदरा कस नचवाथे
भ
म
- मांस न हाड़ा
य
र
ल
व
स
- सावन के अंधरा ला हरियरे हरियर
- सूरा साग बर हरदी
ह
- हीरा खुदे चमकथे
- हाथी चले बाजार कुकुर भौंके हजार