5G kya hai ! 5g aur 4g me antar
यह युग इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग,
ऑर्टिफिशियल इंटेलिसजेंस आदि का है जब सभी वस्तुएं अनेक सेंसरों की
मदद से एक दूसरे के साथ ब्रॉडबैंड सिग्नल के जरिए संवाद कर पाएंगी। 4G तकनीक की मदद से दुनिया ने पहले ही उभरती प्रौद्योगिकी के युग में
रूपांतरण शुरू कर दिया है। हालांकि , आधुनिक प्रौद्योगिकी की
पूरी क्षमता का उपयोग केवल 5G की शुरूआत के साथ किया जा सकता है।
4G एवं 5G में क्या अन्तर:-
4G ने हमारे टीवी देखने के अनुभव को बदल दिया है
साथियों के साथ संवाद करने का तरीका भी वॉयस कॉल से वीडियों कॉल, मोबाइल पर बिजनेस मीटिंग आदि परन्तु 4G सेवा प्रदान
करने के लिए उपलब्ध bandwith 5G के bandwith की तुलना में बहुत कम है।
यह COMPUTATIONAL कार्य की मात्रा है जो 5G को एक परिवर्तनकारी तकनीक बनाती है जिसके कारण यह 4G की तुलना में कई गुना अधिक bandwith के साथ वायरलेस
नेटवर्क पर सपोर्ट कर सकता है।
वर्तमान में भारत 8 स्पेक्ट्रम
फ्रीक्वेंसी बैंड-700
megahertz band, 800 megahertz band; 900 megahertz band, 2100 megahertz band,2300
megahertz band 2500 megahertz band और 2600 megahertz
band में 4जी का उपयोग करने में सक्षम है।
प्रत्येक बैंड में आवृत्तियों के
लगभग 100 megahertz शामिल है परन्तु कुछ किलोमीटर
के बाद सिग्नल कमजोर हो जाते हैं और मोबाइल टॉवर स्थापित करके आवृतियों के समान
सेट का पुन: उपयोग किया जाता है। एयरवेब आवृत्तियों के विभाजन और आबंटन के उद्देश्य
से भारत को 22 दूरसंचार क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। इसलिए 800 megahertz आवृत्तियों का भारत भर में सर्कल के आधार पर पुन: उपयोग किया जा रहा है।
स्पेक्ट्रम के मामले में , सिग्नल कम आवृत्ति बैंड में
यानी संख्यात्मक मान के संदर्भ में अधिक क्षेत्र को कवर करते हैं। उदाहरण के लिए
700 megahertz band में संचालित मोबाइल सिग्नल 2100 megahertz
band में प्रेषित संकेतों की तुलना में तीन गुना अधिक क्षेत्र की
कवर करेगा।
बात जब 5जी की आती है तो दूरसंचार
मंत्रालय के तहत स्थापित एक उच्च स्तरीय पैनल ने 4जी मेंउपयोग किए जाने वाले
800 megahartz के एक सेट
की तुलना में लगभग 6000 megahertz की रेडियों वैबस की पहचान
की है जिसको अगली पीढ़ी की प्रौद्यौगिकी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। पैनल
ने 11 बैंड में 5G सेवा के लिए स्पेक्ट्रम की पहचान की है
जिनमें से4 बैंड premium 700 megahartz band, 3.5 गीगाहज , 24 गीगाहज और 28 गीगाहज बैउ की तुरन्त
सेवा के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है।
5G पैनल के अनुमान के अनुसार अच्च आवृत्ति बैंड
में 5G सेवाओं के लिए 5250 megahartz
स्पेक्टम, 3.5 गीगा बैंड में 300 megahartz और सब ।000 megahartz में 405 megahartz स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया जा सकता है।
वर्तमान में सरकार ने 5G सेवाओं के लिए 3300-
3600 megahartz रेंज के बीच आवृत्ति के 300 मेगाहज की पहचान
की है। तरंगो के प्रसार व्यवहार केअनुसार 5G सिग्नल बहुत
छोटे क्षेत्रों को कवर करेगा लेकिन उसकी गाति अधिक होगी। 5G
तकनीक की प्रवृत्ति 4G तकनीक से बहुत अलग है इसे एक पानी के
पाइप के उदाहरण से समझा जा सकता हे जहां एक मोटे पाइप से निकलने वाले पानी की
तुलना में धीमी होती है।
5G तकनीक को 4जी के लिए तैनात किए जा रहे है बेस
स्टेशनों की तुलना में विशेष प्रकार के छोटे मोबाइल टॉवर या सिग्नल प्रसारित
करने की आवश्यकता होगी। यहां तक कि 4G के लिए बेस स्टेशन
2जी के लिए तैनात बेस स्टैशन की तुलना में छोटे है। 5G
कनेक्टिविटी को 4G की तुलना में अधिक भरोसेमंद माना जाता है
क्योंकि यह उपकरणों की लगभग एक समर्पित कनेक्शन की तरह कनेक्ट करने में सक्षम होगा।
ई बैण्ड में रेडियोवेब , जो 71-76 geegahertz और 81586 geegahertz रेंज में आती है और वी बैंड जो
कि 57-64 geegahertz है बहुत उच्च गति पर डेटा संचारित कर
सकता है और यहां तक कि कम दूरी के डेटा ट्रांसमिशन के लिए, ऑप्टिकल
फाइबर भी बदल सकता है।
5G की शुरूआत
दुनियाभर में 100 से अधिक वाणिज्यिक5G नेटवर्क की शुरूआत
हुई है इसमें अमरीका, चीन, दक्षिण्
कोरिया, स्वीडन फिनलैण्ड, जर्मनी,
कनाड़ा, ब्राजील, अर्जेटीना,
सउदी अरब आदि के नेटवर्क शामिल है। एक मोबाइल ब्रॉडबैंड विश्लेषण
कंपनी के अनुसार , उपभोक्ताओं को 4G
नेटवर्क पर मिल रहे लगभग 30 एमबीपीएस की तुलना में, 5G नेटवर्क 377 मेगा बटि प्रति सेकंड की डाउनलोड गति दर्ज कर रहे हैं। आदर्श
रूप से 5G प्रौद्योगिकी वायरलेस नेटवर्क पर प्रति सेकंड 1
गीगाबिट की गति मिलने की उम्मीद है।
दूरसंचार मंत्रालय ने 2018 में भारत
में 5G की शुरूआत करने के
लिए 2020 का लक्ष्य निर्धारित किया था और परीक्षणों के संचालन के लिए कंपनियों को
स्पेक्ट्रम भी आबंटित किया था ताकि सुरक्षा को लेकर आशंकाओं के कारण स्वदेश में
विकसित दूरसंचार उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सके।
भारत में 5G की तैयारी
भारत मे टेजीकॉम कंपनियां 5G के लिए तैयार हैं
अगली पीढ़ी की तकनीक शुरू करने के लिए रेडियावेब की आवृत्तियां खरीदने के लिए स्पेक्ट्रम
नीलामी का इंतजार कर रही है परन्तु दूरसंचार विभाग, अंतरिक्ष
विभाग और रक्षा मंत्रालय, 5G सेवाओं के
लिए चुनी हुई स्पेक्ट्रम आवृतियों की अपनी आवश्यकता का दावा कर रहे हें।
दूरसंचार विभाग ने एक आवृत्ति
बैंड3300-3600 megahartz
band की पहचान की जिसका उपयोग 5जी सेवा के लिए किया जासकता है लेकिन
रक्षा मंत्रालय और इसरो के दावों के बाद, मोबाइल सेवाओं के
लिए केवल 175 मेगाहज के रेडियो वेब ही रहते हैं टेजीकॉम ऑपरेटरों ने कहा है कि उन्हें
5G सेवा को चालू करने के लिए प्रति ऑपरेटर कम से कम 100
मेगाहटज स्पेक्ट्रम की जरूरत है मोबाइल फोन कंपनियों ने भारत में 5G तैयार फोन बेचना शुरू कर दिया है नोकिया और एरिक्सन जैसे telecop
network विक्रेता भारत में 5G उपकरण बना रहे
है और उन देशों को निर्यात कर रहे हैं
जहां नेटवर्क से वाणिज्यक रोल शुरू हो गया
है relience jio ने घोषणा की है कि यह इन हाउस 5G तकनीक विकसित कर रहा है भारत में स्पेक्ट्रम की अनुपलब्धता के कारण,
कंपनी की सहायक कंपनी रेडिसिस संयुक्त राज्य अमरीका में इसके
द्वारा विकसित 5G समाधानों का परीक्षण कर रही है आई टी कंपनी
टेक महिंद्रा और राज्य संचालित tejicom मैन्यूफैक्चरिंग
फर्म आईटीआई ने स्वदेशी 5G सक्षम डिवाइस, मूलभूत प्रणाली आदि का विकास करने के लिए भागीदारी की है।
5G स्पेक्ट्रम
दूरसंचार विभाग से ज्ञात हुआ है कि
विभाग ने अंतरिक्ष विभाग और रक्षा मंत्रालय से 5G सेवाओं को चालू करने के लिए मध्यम और उच्च
श्रेणी के स्पेक्ट्रम बैंड में एयरबेव खाली करने का अनुरोध किया है।दूरसंचार
विभाग ने रक्षा मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह 3300-3400 मेगहाह की आवृत्ति
बैंड में स्पेक्ट्रम के 100 मेगाट को खाली करें और 3000-3100 megahartz
band में आवृत्तियो का उपयोग करें। दूरसंचार विभाग ने अंतरिक्ष
विभाग ने 3600-3700 megahartz band में स्पेक्ट्रम खाली
करने का आग्रह किया है।