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पेटिंग इन छत्तीसगढ़ chhattisgarh painting chhattisgarh ki lok kala
छत्तीसगढ़ में चित्रकला painting in chhattisgarh विषय में इतिहास से
लेकर आधुनिक चित्रकला में किस प्रकार की बात चीत है एवं छत्तीसगढ़ी चित्रकार एवं जनजाति चित्रकला के बारे
में इस पोस्ट में देखेगें।
Content-Painting In Chhattisgarh
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चित्रकला पृष्ठभुमि
इतिहास में मानव अपने क्रियाकलाप एवं विचार अभिव्यक्ति को पहाड़ो पत्थरों
दीवारों में अंकित करता था ऐसे चित्र अवशेष हमें कई हिस्सों में जैसें भारतके
अंदर भीमबैठका, मिर्जापुर,पचमढी आदि देखने को मिलता है तथा छत्तीसगढ़ में सिंघनपुर, कबरा
पहाड,
चितवाडोंगरी में देखने को मिलता है।
इतिहास में चित्र के अवशेष
हमें सरगुजा, के जोगीमारा , अजंता ,बाघ , ऐलोरा, आदि स्थान पर जो
3ईसा पूर्व से 9शताब्दी के बीच की मानी जाती है।
इन चित्रों में बौद्ध, जैन और हिन्दू मतों का प्रभाव
परिलक्षित होता है। पूर्व मध्यकाल में दक्षिण के चोल तथा उत्तर के पाल चित्र
शैलियों के उदाहरण मिलते हैं/ देश में मुस्लिम के साथ चित्रकला का विशेष संबंध रहा
है।मुगलों के विशेष संरक्षण से यहां पर हिन्दू फारसी चित्रशैली ने खुब उन्नति की
पुन: औरंगजेब की ताजपोशी के बाद से एवं मुगलों के पतन ने इस दरबारी चित्रकला को
क्षेत्रीय संरक्षण में जाने को बाध्य किया और फिर जन्म हुआ। अनेक क्षेत्रीय
शैलियों का जिनमें मेवाड़, किशनगढ़, जयपुर,
ओरक्षा, कांगडा, गढ़वाला,
बसोहली, कुल्लु जम्मू और कश्मीर आदि प्रमुख
थै।
युरोपीय आने के बाद भारत
की आधुनिक चित्रकला ने अपना स्वरूप गढ़ना आरम्भ कर दिया।
भारत मे चित्रकला संक्षिप्त में-
भारतीय चित्रकला के आधुनिक
युग का सूत्रपात 20वीं शताब्दी के आरंभ से हुआ । 19वीं में राजा रविवर्मा ने
युरोपीय पद्धति के अनुरूप भारतीय चित्रकला की धारा को नई दिशा प्रदान करने की चेष्टा
की वे तत्कालीन यूरोपीय शैली में चित्रकला की करने वाले भारतीयों में श्रेष्ठ थे
। टैगोंर बंधुओं ने चित्रकला की जिन प्रवृतियों को स्पष्ट किया, वे आधुनिक चित्रकला का पोष्ण करने वाली आधार भूमी थी। ये बंगाल स्कूल के
नाम से प्रसिद्ध है।दूसरी ओर भारतके पंश्चिम में बम्म्बई स्कल ऑ आर्टस के नाम
से अध्ययन का नवीन रूप प्रस्तुत हुआ
छत्तीसगढ़ में चित्रकला –
आधुनिक स्वरूप छत्तीसगढ़ में वर्तमान स्वरूप में चित्रकला का केन्द्र
यहां के शासकीय, अर्धशासकीय, अशासकीय,कला महाविद्यालय और कला संस्थाएं है जिनमें
प्रदेश का संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़़ एवं अन्य संगीत संस्थान प्रमुख है ये
संस्थाएं है जिनमें प्रदेश में विविध कलात्मक गतिविघियों का संचालन कर रही है
यहां फाइन आर्टस के अन्तर्गत चित्रकला का अध्ययन व प्रशिक्षण कलाकरों को मिलता
है रायपुर प्रदेश का मुख्य चित्रकला केन्द्र हैं भिलाई संयंत्र द्वारा संचालित
आर्ट गैलरी भी इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है।
छत्तीसगढ़ में चित्रकला का महत्व एवं स्वरूप-
अनेक त्योहारों और
विवाह आदि के अवसरों पर यह कला हमें चौंक या रांगोली के रूप् में दिखाई पड़ती है।
मेघदूत आदि संस्कृत के काव्यों में भी इसप्रकार की गृह कलाओं का जिक्र है।
जिनमें घर की सित्रयों की भावनाओं की अभिव्यकित पाई जाती है। घर के आंगन इत्यादि
को गोबर से लीपकर आटा अनाज तथा शिलाचूण आदि से जो चित्र बनाये जाते थे, उनमें
कला का संदर रूप मिलता है। नारदशिल्प में इस चित्रांकन में चिडि़यों, सांपो,हाथियों और घोड़ो आदि के चित्र बनाए जाने का
वर्णन है । छत्तीसगढ़ में आज भी
दीवारों पर विशेष त्यौहारों और विवाह आदि के अवसरों पर अनेक प्रकार के चित्र बनाए
जाते हैं मिट्टी के बर्तनों पर भी यह कला देखने योग्य होती है जो छत्तीसगढ़ के
आदिवासियों में घरों में देखी जा सकती है।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख चित्रकार painter’s of chhattisgarh –
छत्तीसगढ़ में रायपुर के सर्वश्री कल्याण प्रसाद शर्मा, चौरागढ़े, एके मुखर्जी मनोहरलाल यदु और एकेदानी आदि का योगदान महत्वपूर्ण रहा है
लोककला के अभिप्रायों में बड़ी खूबी से श्री शर्मा ने अपने चित्रों में चित्रित
किया है। वर्तमान में िनंरजन महावर एवं डा। प्रवीण शर्मा आदि चित्रकला के क्षेत्र
में सक्रिय है यहां से कालाकृति नामक पत्रिका का प्रकाशन भी होता है।
लक्ष्मीनारायण पचौरी –आचार्य
नंदलाल बसु आचार्य की शैली पर चित्रांकन करने वाले वाले लोगों ने धमतरी के लक्ष्मीनारायण
पचौरी प्रमुख थे। इनका कला में आचार्य बसु की कला का सुंदर प्रतिबिम्ब मिलता है। लक्ष्मीनारायण
पचौरी 1966 में शांतिनिकेतन से चित्रकला की शिक्षा प्राप्त कर अपने निवास स्थान
धमतरी आए थे।
डा. प्रवीणशर्मा Dr
praveen sharma– इन्होनें 42 राष्ट्रीय
एवं 8 राज्यस्तरीय कला प्रदर्शननियों में हिस्सा िलया हैं इन्हें लगातार तीन
बार भारतीय काल प्रदर्शनी 1982 से 84 में अवाड्र प्राप्त हुआ है।
निरंजर
महावर niranjan
mahawar– कविता पेंटिंग, मूर्तिकला
व फोटो्ग्राफी के क्षेत्र में सक्रिय हैं इसनी लोक कला खंड संग्रह ने विश्वभर में
प्रसिद्धी प्राप्त की है। ये आदिवासी लोकलाओं से सम्बधित भारत की आदिवासी कला, छतीसगढ़
का विश्वकोष, भारत का लोक रंगमंच विषयक तीन वृहद परियोजना पर कार्यरत
रहे इनके पास आदिवासी एवं लोककला कृतियों का महत्वपूर्ण निजी संग्रह है।
गणेशराम मिश्र – छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध चित्रकार रहे है वे रायपुर
में रहकर चित्रकारी करते थे उनके चित्र माधुरी तथा शारदा जैसी पत्रिकाओं में छापते
रहे हैं।
निष्कर्ष-
इस प्रकार छत्तीसगढ़ में चित्रकला painting in chhattisgarhके
अंतगत कम शब्दों में आसानी से समझने का प्रयास किया है इस पोस्ट में इन विशेष पहलू
पर ध्यान दिया गया है – चित्रकला पृष्ठभुमि भारत
मे चित्रकला संक्षिप्त में chhattisgarh painting छत्तीसगढ़ में
चित्रकला का महत्व एवं स्वरूप छत्तीसगढ़ के प्रमुख चित्रकार आदि इसके अलावा जनजाति
में चित्रकला का स्वरूप किस प्रकार है को भी दूसरे नये पोस्ट में बताया गया है तो
पढते रहीये और सीखते रहीये।