international youth day speech in hindi

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international youth day
speech in hindi
अंतराष्‍ट्रीय युवा
दिवस 12 अगस्‍त 2022




दोस्‍तों हर वर्ष अंतराष्‍ट्रीय युवा दिवस 12 अगस्‍त  international
youth day
मनाया जाता है इस वर्ष से भी
international youth day 2022, 12 अगस्‍त  को मानाया जा रहा है। युवा को प्रेरित एवं उनके समस्‍याओं
पर बात करने के लिए युवा दिवा मनाया जाता है। इस पोस्‍ट में अंतराष्‍ट्रीय युवा
दिवस पर भाषण
international youth day
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आपके सामने प्रस्‍तुत किया
जा रहा है। इस भाषण में युवा का महत्‍व एवं आधुनिकता में युवा का समाज में योगदान एवं
युवा को अवसाद से बचाया जाना चाहिए इन विषयों को केन्द्रित किया गया है।

आपको अंतराष्‍ट्रीय युवा
दिवस 2022 की ढ़ेरा बधाई। इस पर्ष की
international
youth day2022 
theme हैं-

युवा क्‍या है कौन होता है युवा-

संयुक्‍त राष्‍ट्र ने 15 से 24 आयु वाले वर्ग को
युवा वर्ग माना है हमारे भारत में राट्रीय युवा नीति के आाधार पर 13 से 35 वर्ष
साल के बीच वाला वर्ग युवा हैं। भारत में कुल आबादी का 55 करोड़ युवाओ की संख्‍या हैं।
इस आधार पर कहे तो अगर कुछ नया व बदलाव की उम्‍मीद किसी से की जा सकती है तो वह है
युवा
,या
नौजवान
, जिसमें भविष्‍य की आशा एवं वर्तमान की शकित होती है।वह
चाहे साहित्यिक क्षेत्र में भारतेन्‍दु हरिश्‍चन्‍द्र से लेकर वर्तमान युवा साहित्‍यकार
हों या राजनीतिक क्षेत्र में जवाहर लाल नेहरू
, राजीव गांधी से लकर आज की पीढ़ी के युवा नेता
हो। समाज में परिवर्तन व बदलाव करने की क्षमता युवा वर्ग में ही विद्यमान होती
है।इसी युवा शक्ति को स्‍वामी विवेकानन्‍द ने पहचानते हुए कहा था कि आज हमें ऐसे
युवकों की आवश्‍यकता है जो दृढ़ बलशाली विश्‍वासी निष्‍ठावान और श्रद्धावान हो अगर
ऐसे सौ व्‍यकित होतो विश्‍व में क्रान्ति आ जाए। 




आज आवश्‍यकता है युवाओं के
प्रेरणास्‍त्रोत स्‍वामी विवेकानन्‍द के आदर्शों को अपनाकर उस पर चलने की ।  हमें यह देख चाहिए कि  आज की युवा पीढि़ किस ओर जा रही है
, लेकिन
आज यह लग रहा है कि भारतीय युवा फिर से अपनी जड़ों की ओर लौट कर आ रहा है। आज उसकी
मानसिक दशा सामाजिक मूल्‍यों परंपराओं से टकराने की नही बल्कि उनमें कुछ फेरबदल
करने व उन्‍हें अपनाने की अधिक जरूरत हैं। युवा शक्ति के प्रेरणा के लिए ही 12
अगस्‍त को अंतर्राष्‍ट्रीय युवा दिवस
international
youth day 2021

मनाया जा रहा है।
APJ ABDUL KALAM साहब का कहना था कि की
युवाआं में प्राणवायु का संचार होता है वे कहते है मेरा सन्‍देश विशेष रूप से
युवाओं के लिए है। उनमें सोच रखने का साहस नए रास्‍तों पा चलने का साहस आविष्‍कार
करेन का साहस होना चाहिए। ये सभी महान गुण है और युवाओं को इन गुवों को अपनाना
चाहिए।

 


युवा का अर्थ है नये विचार
उर्जा शक्ति तथा साहस से भरपुर। अन्‍याय को चुनौती देने का हौसला व देशक में
परिवर्तन लाने की शक्ति युवाओं में ही संभव है। इसका ज्‍वलंत उदहारण हरियाणा के
नीरज चोपड़ा है जो कि हाल ही में
tokyo
olumpic 2021
jewalin भाला फेंक में गोल्‍ड
मेडल जीता जो कि महज 23 साल के है
neeraj
chopra
ऐसा
करके इतिहास बना दिया । इसे कहते है युवा का साहस। वास्‍तव में युवावस्‍था ऐसी
अवस्‍था है जिसमें बच्‍चों का सा अल्‍हड़पन
, किशोरों, सा उत्‍साह और वयस्‍क सी
प्रौढ़ता समाहित होती है।जैसे जैसे उसका शारिरिक और मानसिक विकास होता है वेसे
वैसे वह अपने परिवार के सदस्‍यों अपने समुहों
, संस्‍थाओं और परंपराओं व
स्‍वयं की रूचियों और इच्‍छाओं से प्रभावित होकर सामाजिक व्‍यवहार करने लगता है।युवा
शक्ति जिस तरह से जागरूक हो रही है उससे आने वाले दस सालों में स्थितियां काफी कुछ
बदल जाएगी।आज का युवा उत्‍साह और उर्जा का भण्‍डार है यही युवा देश का भविष्‍य तय
करता हैं।अब वे भ्रष्‍ट व्‍यवस्‍थाओं को दूर करने के लिए आगे आ रहे हैं। वे खुलकर
अव्‍यवस्‍थाओं का विरोध करने से भी नहीं घबराते हैं। अब्‍दुल कालाम के बात हमेशा
याद रखना- आज के नौजवानों को जीवन शैली को स्‍वराज्‍य की ओर ले जाने वाले इन रास्‍तों
से बचना चाहिए।

युवाओं में समाज का दबाव –

आज अधिकतर व्‍यक्त्‍
आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं क्‍योंकि हमारी आवश्‍यकताए और इच्‍छाए कई गुना बढ गई
है वे एक अदद नौकरी के‍ लिए भटक रहे हैं । नौकरी न मिलने व छूट जाने में उनके अन्‍दर
ऐसा भय है जिससे वह मानसिक तनाव में रहते है। क्‍योंकि उनका मानना है कि परिवार के
लोग हमें ही दोषी ठहरायेंगे। हमारे पिताओं का कहना है कि उनके जमाने में ऐसा नहीं
होता था । वे समझते हैं कि हम ही नालायक है । अब उन्‍हें किस तरह से समझाऐ ।इन
कारणों से वह अन्‍दर ही अन्‍दर कुंठित हो जाते हैं अकेलापन महसूस करता है समाज व
परिवार की निगाह उसे प्रश्‍न चिन्‍ह के साथ नजर आती है अब परिणाम वह घर से बाहर
निकलना पसंद नहीं करता । जो कि अवसाद का कारण है आज इंटरनेट के अतिशय प्रयोग से ही
यह युवा वर्ग अकेलेपन का शिकार हो गया हैं। उपयुक्‍त स्थितियों से उबारने में सबसे
म‍हत्‍वपूर्ण भूमिका अगर देखा जाये तो परिवार की हो सकती है। जब अवसादग्रस्‍त
नोजवान को परिवार का भावनात्‍म्‍क समर्थन
, धैर्य, समझ, स्‍नेह और प्रोत्‍साहन
मिलता है तो वह कठिन से कठिन परिस्थितियों का मुकाबला आसानी से कर पाने में सक्षम
हो पाता है।




साहित्‍यकारों का मानना है
कि तारे और बच्‍चे की चमक में कोई फर्क नहीं है दोनों की चमक हीरे की तरह इस
दुनिया को रोशन करती है । जिस तरह आसमान से तारे के टुटने पर उसकी चमक कम हो जाती
है वैसे ही एक बच्‍चे की मौत्‍ दुनिया को उसकी चमक से महरूम कर देती है। अत: इसकी
चमक को बरकरार रखने के लिए समाज का नजरिया इनके प्रति सकारात्‍मक होना चाहिए। आज
समाज के समक्ष सबसे बडी चिन्‍ता भी यही है कि हमारी युवा पीढ़ी सही रास्‍ते पर
जाये। व्‍यावसायिकता के इस दौर में वह कहीं दिशाहीन होकर भटकन का शिकार नहीं बने। चेतन
भगत की रचना का केन्‍द्र तो आज का युवा ही है। अपनी युवा सोच को लेकर लिखी गई उसकी
रचना पर आमीर खान अभिनित फिल्‍म्‍
three
idiot
का
निर्माण हुआ जिसके केन्‍द्र में भी आज का युवा व शिक्षा के स्‍तर को बखूबी बताना ही
था।शिक्षा का स्‍तर वर्तमान में इस तरह हो गया है कि प्रथम श्रेणी के मायने तब तक नहीं
है जब तक वह 90 से 95 प्रतिशत तक अंक न‍हीं ले आए। युवाओं के प्रति समाज का नजरिया
विशेष रूप से जब वे बेरोजगार होतो बदल जाता हे। उनका घूमना-फिरना
, मित्र मण्डली, के साथ बातें करना, सुख सुविधाओं का वह उपयोग भी
कर रहा होतो उन्‍हें अखरने लगता है।समाज का यह नजरिया बेरोजगार बैठे युवाओ में नकारात्‍मक
प्रभाव डालता है । लेकिन युवाओं के लिए अब यह बातें आम हो गई हैं इसलिए वे अब इन बातों
पर मन में न लें।

वर्तमान में युवा 

आज उच्‍च शिक्षा में प्रि‍तस्‍पर्धा
के चलते मानसिक दबाव बढ़ रहा है। कैरियर को लेकर आऐ दिन मेधीवी छात्रों की मौंतों की
खबर आ रही है। यह वह अवस्‍था है जिसमें वह बंधन में नहीं बंधा रहना चाहता है।
परंपराओं को तर्क के अभाव में स्‍वीकार नहीं करता  ऐसे आवश्‍यकता है उन्‍हें आवश्‍यकता है सही दिशा
दिखाने और सही मार्गदर्शन करने की।

WHO की रिपोर्ट के
अनुसार-
अगर तनाव टेंसन की मौजूदा रफतार ऐसी ही बरकरार रही तो सन 2030 तक अवसाद
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी पेरशानी बन चुकी होगी।
WHO के आंकड़ो के
मुताबिक दुनिया में तकरीबन 340 मिलियन लोग अवसाद का शिकार हे  और इनमें ज्‍यादातर युवा हैं।दुनिया की दूसरी
सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत के लिए युवाओं में बढ़ता अवसाद एक बड़ी परेशानी बन
कर हमारे सामने खड़ा हो रहा है।

आज शहरी करण तेजी से बढ़ रहा
है परिवार छोटे हाते जा रहे है सामाजिकता घट रही है । अकेलापन बढ़ रहा है इसी के
साथ युवाओं के अवसाद की जकड़न में आने की आशंका भी कई गुना बढ़ ही रही है।

युवाओ को अवसादों से मुक्‍त
केसें करे-

युवाओं के प्रेरणा स्‍त्रोत
रहे स्‍वामी विवेकानन्‍द जी के आदर्शों से अवगत कराने व उस पर चलने की प्रेरणा
देनी चाहिए। युवाओं के आदर्श विवेकानन्‍द को युवाओं में असीम सम्‍भावनाएं नजर आती थी
वे युवाओं से उम्‍मीद करते थे कि वे भारतीय संस्‍कृति की अस्मिता को बचाने का
निरत्‍नर प्रयास करते रहेंगे। 

By Admin