सद्भावना दिवस का महत्व प्रतिज्ञा निंबध, स्पीच । सद्भावना
दिवस 2021 Sadbhavana
Diwas
राष्ट्रीय सद्भावना विषय पर एक लेख लिखिए
20 अगस्त, दिन
शुक्रवार को राजीव गाँधी का 77 वें जन्म दिन पर भारत में सद्भावना दिवस (Sadhbhavana diwas 2021)
मनाया जायेगा। पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी की याद में हर साल
सद्भावना दिवस मनाया जाता है, राजीव
गांधी ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना देखा था। उनके द्वारा देश के लिए
किए गए कई सामाजिक और आर्थिक कार्यों के द्वारा भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने
निरंतर प्रयास किया । उनकी जयंती पर देश के विकास के लिए दिए गए उनके भाषणों एवं
प्रेरणा शब्दों को समाज में उत्साहयुक्त और प्रेरणादायी वचन का प्रसार किया जाता
है । जो देश के युवाओं को भारत का नेतृत्व करने के लिये प्रेरित करते है।
सद्भावना का अर्थ- अच्छे विचार रखना दूसरों के
प्रति
सद्भावना दिवस पर प्रतिज्ञा
- मैं प्रतिज्ञा करता हूं/ करती हूं कि मैं जाति, सम्प्रदाय, क्षेत्र, धर्म अथवा भाषा का भेदभाव किए बिना सभी भारतवासियों की भावनात्मक
एकता और सद्भावना के लिए कार्य करूंगा/करूंगी। - मैं पुन. प्रतिज्ञा करता हूं/ करती हूं कि मै
हिंसा का सहारा लिए बिना सभी प्रकार के मदभेद बातचीत और संवैधानिक माध्यमों से
सुलझाऊंगा/सुलझाऊंगी ।
- ये भी पढ़े💬मुर्हरम क्या है इसका महत्व एवं इतिहास
राजीव गांधी जीवन परिचय । rajeev
gandhi biography
राजीव गांधी एक ऐसा नाम जिसे सुनकर जनमानस के मस्तिष्क में एक अत्यन्त
सुसभ्य, सृसंस्कृत
विचारशील,
दूरदर्शी र्धये की मूर्ति, कर्मठ,और योग्य व्यक्ति की प्रतिमूर्ति मस्तिष्क में सहज भाव से उत्पन्न हो
जाती है। सन् 1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की हवाई दुर्घटना में आकस्मिक
मृत्यु के बाद अपनी मां एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इन्दिरा गांधी के सम्बल
के रूप में भारतीय राजनीति में पदार्पण किया और अपनी मां के राजनीतिक सलाहकार बन
गये। श्री राजीव गांधी का भारतीय राजनीति में जितनी तीव्रता के साथ उदय हुआ उतनी
ही लोमहर्षक एवं ह्दय विदारक ढ़ग से राजनीति क साथ साथ इस संसार से भी अलविदा हो
गये। इसके परिवामस्वरूप भारतीय राजनीति में जो रिक्तता आयी वह अभी तक न तो पूरी
हो सकी है और न तो सरलता से पूरी हो सकेगी।
श्रीमति इंदिरा गांधी के
ज्येष्ठ पुत्र श्री राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को नेहरू जी की छोटी
बहन श्रीमति कृष्णा हठी सिंह के बम्बई स्थित घर पर हुआ। उस समय स्वतत्रता आन्दोलन
चरम सीमा पर था। इनके माता-पिता और नाना स्वाधीनता के लिए ब्रिटिश शासन से जुझ
रहे थे। उस समय नेहरू जी ब्रिटिश सरकार के राजनैतिक बन्दी थे। इन्दिरा गांधी 15
माह पहले जेल से रिहा होकर आई थी और उनके पति फिरोज गांधी भी राजीव के जन्म के एक
वर्ष पहले जेल से मुक्त हुए थे। राजीव का जन्म तीन ऐतिहासीक घटनाओं के मध्य हुआ
था। प्रथम, द्वितीय विश्व युद्ध, द्वितीय,
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और तृतीय महात्मा गाधी का भारत छोड़ो
आन्दोलन। फिरोज गाधी ने उनके जन्म पर नामों की सूची नेहरू जी को जेल में भेजी
थी। उनमें से पंडित जी ने राजीव नाम चुना था जिसका अर्थ संस्कृत में कमल होता है।
इनका बचपन आनन्द भवन और तीन मूर्ति भवन में व्यतीत हुआ जहां राष्ट्र प्रेम की
भावना चरमोत्कर्ष पर थी। उनका प्रारम्भिक लालन-पालन एक डेनिश गवर्नेस की देखरेख
में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा एलिजाबेथ गोबा के किण्डरगार्टन स्कूल नई दिल्ली
में हूइ और माध्यमिक शिक्षा सेंट कोलम्बस स्कूल नई दिल्ली वेल्हेम्स ब्वायस
स्कूल, देहरादून, दून स्कूल, देहरादून में हूई। इसके बाद आई0एसी0सी की परिक्षा पास करने के बाद उच्च
शिक्षा के लिए इंगलैण्ड चले गये और वहा इम्पीरयिल कालेज, लंदन
ट्रिनिटी कालेज यूनिवर्सिटी ऑफ लन्दन, यूके से शिक्षा ग्रहण
किया।
नेहरू के पौत्र और इंदिरा
गांधी के सुपुत्र श्री राजीव गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी। भारतीय राजनीति
से बहुत दूर उन्होंने विमानचालक के साहसिक क्षेत्र में उज्जवल भविष्य की सम्भावनाओं
को देखा। उनकी दुनिया ऐरोडेम तक सीमित थी। इंग्लेंण्ड में शिक्षा के दौरान अपनी
मित्र इटालियन मूल की सुन्दर एवं प्रतिभाशाली युवती सोनिया माइनों से परिजनों की
स्वीकृति के पश्चात 25 फरवरी 1968 को दमपत्य सूत्र में बंधे और 19 जून 1970 में
राहुल गांधी और 12 जनवरी 1972 को प्रियंका गांधी का जन्म हुआ और मई 1968 में
इण्डियन एयरलाइन्स में पायलट की नौकरी कर ली । राजीव जी एवरो विमान उड़ाते थे।
अपने भाई अनुज श्री संजय
गाधी जो कि भारतीय राजनीति में सक्रिय थे, 23 जून 1980 में
उनकी मृत्यु के पश्चात भारत के लोग राजीव गांधी को श्रीमति इन्दिरा गांधी के उत्तराधिकारी
के रूप में देखने लगे थे। जिसके फलस्वरूप वे मई 1981 में अमेठी लोकसभा क्षेत्र
में सांसद के रूप में निर्वाचित होकर सक्रिया राजनीति में प्रवेश किया। और 1983 मं क्रांगेस (आई) के महासचिव
निर्वाचित हुए। इसे प्रकृति की त्रासदी कहिये या विडम्बना कि उनकी मां तत्कालीन
प्रधानमंत्री श्रीमति इन्दिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 ई में निर्मम हत्या हो
गई। और वे उस दिन पश्चिम बंगाल में थे। उनके उपरान्त राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह
के दबाव में श्री राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद स्वीकार करना पड़ा। अपना
प्रकृति के अनुसार राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री बनते ही अपनी छाप छोड़ना प्रारम्भ
कर दिया। वे प्रतिष्ठित हुए। भारतीय राजनीति के सबसे युवा प्रधानमंत्री के रूप में
उन्होंने आत्मनिर्भर उद्योग एवं तकनीकी से विकसित कृषि प्रधान तथा विश्व
क्षितिज पर महाशकित बनने का सपना देखा। उन्होंने विज्ञान और तकनीकी को आम आदमी के
कल्याण के लिए नियोजित करने का संकल्प किया । राजीव गांधी का सपना था कि भारत क
प्रत्येक गांव बिजली, पानी एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं के
साथ- साथ कम्प्यूटर, इन्टरनेट की भी सुविधा से युक्त हों
। उन्होने एक बार कहा था कि केन्द्र से जो पैसा भारतीय,जनता
के लिए दियाजाता है चूंकि भारत की 80 प्रतिशत आबादी गांव में बसती है वहां तक
पहूंचते 2 जनता को सिर्फ 13 प्रतिशत तक का लाभ मिलता है। इसी कड़ी में उन्होंने
पंचायती राज की शुरूआत की। राजीव जी की पहल पर खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की स्थापना
भी 1988 में हुई। इसके तहत वे भारत को फूड बास्केट की दिशा में ले जाना चाहते थे।
21 वीं सदी की चुनौतियों
के प्रति उनकी दृष्टि स्पष्ट थी। राजीव गांधी के विचार इसी से झलकते थे कि उन्होंने
जून,
1985 को यूएस कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन में कहा था कि I
am young and I have a dream for my country.इससे साबित होता है कि उनके हृदय में भारत को विश्व राजनीति
के शिखर पर लाने की कितनी बड़ी अभिलाषा थी । 21 वीं सदी की चुनौती के प्रति उनकी दृष्टि स्पष्ट
थी। उन्होंने आर्थिक उदार नीति, कम्प्युटर क्रान्ति, सूचना क्रान्ति
और औद्योगिक क्रान्ति, वैश्वीकरण,
विज्ञान प्रगति, विदेश नीति
इत्यादि में भारत के तीव्रतम विकास के युग की शुरूआत की। उनकी इन नीतियों का विपक्षी
राजनीतिक दलों ने विरोध किया । किन्तु अन्तत: भारत को आज एक आर्थिक महाशकित् के
रूप में यदि विश्व में जाना जाता है तो इन्हीं नीतियों की देन थी। उनके विराधियों
ने भी सत्ता में आने के पश्चात इन्हीं नीतियों का अनुसरण किया । उनकी नतियों की
सर्वत्र सराहना हुई तथा देश के आर्थिक विकास की गति तेज हुई जिससे उनका व्यक्तित्व
उनके राजनीतिक विरोधियों एवं सहयोगियों पर भारी पड़ने लगा। जिसके फलस्वरूप उनके विरोधी
उनकी छवि बिगाड़ने के लिए दिन-रात षडद्यंत्र रचने लगे। उनके कुछ सहयोगियों ने राजीव
जी के साथ विश्वासघात किया । जिसके फलस्वरूप उनकों प्रधानमंत्री पद से महरूम होना
पड़ा तथा बोर्फोस दलाली का आरोप भी लगा
किन्तु
उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि उनके इस घोटाले में शामिल होने की बात आज भी गले से नीचे
नहीं उतरती। इन सब घटनाओं में उन्होंने एक दृढ़निश्चय एवं धैर्य का परिचय दिया। 29
नवम्बर 1989 को वे पुन- लोकसभा मे विपक्ष के नेता के रूप में निर्वाचित हुए। नवम्बर
1990 में vp singh की सरकार
गिरने के बाद राष्ट्रपति ने उन्हें सरकार बनाने का न्योता दोबारा दिया।
राजीव गांधी की हत्या
इन
घटनाओं के उपरान्त वे एक परिपक्व राजनीतिक के रूप में प्रतिष्ठित हुए। भारतवासी आने
वाले चुनाव में उन्हें एक अचछे एंव कुशल नेता के रूप में देख रहे थे कि उनके खिलाफ
आतांकवादी संगठन लिट्टे के सड़यन्त्र ने असयम ही एक भावी एवं कुशल प्रधानमंत्री को
21 मई सन् 1991 में भारती से छीन लिया। जिस दिन उनकी हत्या हुई वे आम चुनाव के लिए
प्रचार कर रहे थे। श्रीपेरम्बदूर तमिलनाडु में , उसी समय लिट्टे
की एक महिला सदस्य जिसका नाम धानु था,
मानव बम से राजीव जी का उसी समय उड़ा दिया। उस बम में RDX का प्रयोग किया गया था। जो कि 10.0002mm के स्टील
बाल थे। इस षड्यंत्र में भारतीय कोर्ट ने 26 लोगों को सात साला बाद दोषी ठहराया। राजीव
गांधी की हत्या के लिए उनमें से चार अपराधी को फांसी की सजा सुनाई। 6 जुलाई 1991 को
राजीव गांधी को भारत रत्न का सम्मान मिला तथा वे indian citizen award 1991
for national integration के साथ उन्हें
इंदिरा गांधी शान्ति पुरस्कार 1991 तथा बियौन्ड द वार 1985 से सम्मानित हुए। उन्हें
चार भाषाओं का ज्ञान था हिंन्दी अंग्रेजी इटालियन और फ्रेंच। राजीव जी को फुरसत के
क्षणों में फोटोग्राफी, रेडियों सुनना अच्छा लगता था और बेलास्टिक में भी वे निपुण
थे।
उन्होंने
अपने जीवन काल में पचास देशों से भी अधिक देशों की यात्रा की जिनमें कुछ के नाम इस
प्रकार हैं। अल्जीरिया, अंगोला, ऑस्ट्रलिया,
बहामास, बांग्लादेश चीना क्यूबा मिश्र फ्रांस जर्मनी हंगरी इन्डोनेशिया
इरान इटली जापान मलेशिया मालडिव मौरिसस मेक्सिको नेपाल नीदरलैण्ड न्युजीलेण्ड पाकिस्तान
श्री लंका स्वीडेन स्वीट्रजरलेण्ड सिरिया अरब, रूस अमेरिका, युनाइटेड
किंगडम वियतनाम युकोस्लेविया एवं जिम्बाम्बे। इन सभी देशों की यात्राओं करके राजीव
गांधी ने यह साबित कर दिया कि वे भारत को अन्तराष्ट्रीय मंच पर एक शक्तिशाली देश
के रूप में लाने के लिए प्रतिबद्ध थे। जितना उन्होंने द्विपक्षीय संबंधो को मजबूत
बनाने में योगदान दिया उतना किसी प्रधानमंत्री थे। इस प्रकार भारतीय राजनीति का एक
चमकता सितारा अपने चरम पर पहूंचने से पहले ही असमय अस्त हो गया जिसकी टीम आज भी भारतवासियों
का सालती है।
उपरोक्त
परिदृश्य में विस्तारपूर्वक जाने की आवश्यकता है तथा राजीव गांधी की नितियों की
गहन शोध की आवश्यकता है जिससे भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान परिलक्षित हो
सके।