अगस्त 2021 में तालिबान (Taliban) सेना का अफगानिस्तान के काबुल में
कब्जा हो गया है। जो कि अफगानिस्तान में पूरी कब्जे करने की ओर बढ़ रही है। वहां
के राष्ट्रपति ने राजधानी छोड़ दिया है। तालिबान क्या है तालिबान की विचार धारा क्या
है इस पोस्ट में आगे बताया जा रहा हैं।
तालिबान क्या हैं( Taliban kya hai ) ।
तालिबान कौन हैं( Taliban kon hai )
तालिबानी
आंदोलन से जन्मा तालिबान संगठन को मुल्ला मोहम्मद उमर ने 1994 में तालिबान
समर्थकों के साथ तालिबान (Taliban) की स्थापना की. अफगानिस्तान गृह युद्ध के दौरान
भ्रष्टाचार और अपराध को चुनौती देना तालिबान का प्रमुख मकसद था.
ओसामा- बिन-
लादेन का तालिबान से संबंध-
लादेन और
उसके मेजबान तालिबान (Taliban) का मेल खतरनाक है। इससे पूर्व अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को अपने
खतरनाक दुश्मनों में से एक घोषित कर रखा था। इसलिये उसने लादेन पर 50 लाख डालर का
ईनाम रखा था और अगस्त 1999 में अफगानिस्तान में लादेन के गुप्त ठिकानों पर हमला
भी किया। लादेन को खत्म करने के लिए अमेरिका ने भारत से मदद मांगी।लादेन ने भी धमकी
दिया था। इसके धमकी का भारत की नई अफगान नीति से सीधा संबंध है। तत्कालीन भारत सरकार
तालिबान की आलोचना कर रही थी । तालिबान को यह अंदेशा था कि मई 1999 में जब तालिबान
ने मसूद और रब्बानी को पंजशेर घाटी से खदेड़ने का अभियान छेड़ा था तब भारत ने सम्भवत:
रूप और ईरान के साथ मिलकर उन दोनों की मदद की थी।तालिबान और लादेन इस अभियान में झटका
लगने से नाराज थे। और उनका मानना था कि इसके पीछे भारत का हाथ है।
अमेरिकी में
हमले के बाद तो वह करोड़ो मसलमानों का हीरो बन गया। पाकिस्तान और अफगानिस्तान की
दुकानों ,
चाय टपरी पर लगे पोस्टरों में लादेन की तश्विरें होती थी। मुसलमानों
में बच्चों के नाम अब उसके नाम पर रखे जाने लगे । ओसामा बिन लोदन के पास 350 करोड़
डॉलर संपत्ति थी जो कि दुनिया भर के प्रमुख कट्टरपंथी गुटों के सम्पर्क में था।
तालिबान
का मतलब क्या है (Taliban meaning in hindi)-
तालिबान
शब्द तुलबा शब्द से बना है, जिसका उर्दू, पश्तो एवं फारसी में अर्थ होता – तालीम लेने वाला। अर्थात विद्यार्थी । तालिबान (Taliban) का अन्य अर्थ- तालिबान का अर्थ सत्य की खोज करने वाला भी हैं।
तालिबान
का इतिहास (Taliban
ka itihas)तालिबान क्या चाहता है।( Taliban
kya chahta hai)-
तालिबान (Taliban) शब्द विश्व के लिए अवश्य नया था परन्तु अफगानिस्तान के लिये नहीं। अफगानिस्तान
का उत्तर पश्चिमी सीमान्त क्षेत्र तलीब शब्द से 1898 से ही परिचित है। इसके
अतिरिक्त बिटिश प्रधानमंत्री विहस्टन चर्चिल ने घूमने वाले एक समुदाय तालिब उल
इल्मस पर कुछ कंमेन्ट लिखी थी जो कि तुर्की के आध्यात्मिक विद्यार्थियों के
अनुरूप थी। ये दूसरों के खर्चे पर नि:शुल्क जीवनयापन करते थे। 1980 में अफगानिस्तान
में युद्ध के आगमन ने तालिबों का रूख युद्ध क्षेत्र की ओर कर दिया। ये तालिब या विद्यार्थी
वस्तुत: पाकिस्तान में स्थापित अफगान शरणार्थी शिविरों में चलने वाले मदरसों
में शिक्षा प्राप्त करने वाले अनाथ और गरीब परिवारों के लड़के थे, जिनका अफगान गृहयुद्ध से सब कुछ छिन गया था।इन छात्रों का धार्मिक
प्रशिक्षण देवबन्दी विचारधारा के द्वारा अत्यन्त प्रभावित हुआ जो कि दारूल उलूम
देवबन्द में उत्पन्न हुयी थी। यह संस्थान भारत के एक कस्बे देवबन्द में 1867
में स्थापित किया गया था।
तालिबान क्या चाहता है।( Taliban
kya chahta hai)-
तालिबान (Taliban) जिन मदरसों में शिक्षित हुये थे वे मूलत: अफगानिस्तान
पर सोवियत संघ के आक्रमण के बाद अस्तित्व में आये जिनका एक मात्र उद्देश्य अफगानिस्तान
में इस्लामिक क्रान्ति को अन्जाम देकर इस्लामिक शासन लागू करना था। इसलिये 80 के
दशक में इन मदरसों से निकले ये छात्र पूर्व सोवियत संघ के विरूद्ध लाल फौजों से लड़ते
थे। मगर 1989 में जब सोवियत सेनाएं अफगानिस्तान से कूच कर गयी तो एक बार लगा कि मदरसों
की उपयोगिता खत्म हो गयी। अफगान गृह युद्ध मे एक नई राजनैतिक शक्ति का उदय हुआ। उग्र
धार्मिक भावना से प्रेरित हिंसक राजनीति में अटूट विश्वास रखने वाले तालिबान गुट
के मुख्य तीन उदद्येश्य थे।
तालिबान क्या
चाहता है तालिबान का विचारधारा क्या हैं।-
1-सत्ता
के लिए संघर्षरत सभी अफगान गुटों का खात्मा।
2-देश में इस्लामिक राज्य कायम करना।
3-महिलाओं को देश के सार्वजनिक जीवन से पूर्णत बाहर रखना।
अपने शुरूआती
दौर में तालिबान (Taliban) ने देश को भ्रष्ट्राचारियों से मुक्त करने चोर बजारी को बंद कराने
तथा देश में अमन स्थापित करने का प्रयास किया, जिसके कारण इन्हें
व्यापक जनसर्मथन मिला और इनकी सदस्य संख्या तेजी से बड़ती गयी तथा प्रभाव क्षेत्र
का तीव्रता के साथ विकास हुआ।
Top Taliban head commander
- हैबतुल्लाह
अखुंदज़ादा - मुल्ला
याकूब - सिराजुद्दीन
हक्कानी - मुल्ला
अब्दुल घनी बरादार - शेर
मोहम्मद अब्बास स्टैनिकजई
भारत में तालिबान का प्रभाव-
अफगानिस्तान में तालिबान सैनिकों का अधिकार हो चुका है आज
2021 की परिस्थतियां में देखे तो इसका क्या असर होगा यह तो आगे ही देखने को
मिलेगा। तालिबान (Taliban) की सरकार बनने के बाद। इससे पहले की स्थिति के बात करें तो भारत
में और एशिया महाद्वीप में इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा। सम्पूर्ण एशिया के
लोकतांत्रिक तथा धर्म निरपेक्ष राष्ट्रों के लिये हानिकारक हो सकती थी। अफगानिस्तान
में तालिबान का सत्तारूढ़ होना आम जनता और विदेशी मामलों के लिए किसी गहरे धक्के
से कम नहीं था विशेषकर इसलिये कि अफगानिस्तान पर तालिबान का प्रभुत्व भारत के
हिंतो पर खासा प्रभाव डालता हो, और भातरीय विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा साबित
होता है।वास्तव में दक्षिण एशियाई राजनीति तथा भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति में
अफगानिस्तान की एक लम्बे समय से दखलंदाजी रही है। 19 वीं शताब्दी से लेकर
वर्तमान तक भारत, अफगानिस्तान में हाने वाले परिवर्तनों से प्रभावित होता
रहा है। यही कारण था कि 1989 में रूसी प्रभुत्व वाला अफगानिस्तान भारत के लिए
गम्भीर चिन्ता का विषय बना। इसके बाद भी भारत के रूस से दोस्ताना सम्बंध थे, परन्तु
शीत युद्ध के कारण रूस में विखण्डन के बाद अस्तित्व में आये राष्ट्रों के साथ
सम्ब्न्धों में यह एक महत्वपूर्ण कारक बना।
1-इसका कारण था मध्य एशियाई तेल और गैस पाने के
लिये अफगानिसतान एक मार्ग के रूप में काम करता था। अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) के
सत्ता में आने से भारत के व्यापारिक और आर्थीक दोनों हित प्रभावित हुयें। 1993
में भारत और ईरान के मध्य 2657 किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन बिछाने का 6 अरब डालर
लगभग 28200 करोड़ रूपये का समझौता हुआ। यह पाइप लाइन ईरान के मुल्तान होते हुये
राजस्थान बाड़मेर तक आनी थी। इस समाझौते पर अभी तक क्रियान्वन मात्र इसलिये नहीं
हो सका क्योंकि कहीं पाकिस्तान में सक्रीय तालिबान समर्थक तत्त्व इस पाईप लाइन
को नुकसान न पहूंचा दे। तालिबान सरीखे गुटों से पाइप लाइन को हाने वाले खतरे से
इनकार नहीं किया जा सकता। इस कारण मध्य एशिया से भारत का विदेशी व्यापार प्रभावित
हुआ।
2- इसके अलावा अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज
होने के बाद से ही पाकिस्तान की गुप्तचर इन्टर सर्विसेज इन्टलीजेन्स ने
तालिबान (Taliban) के साथ मिलकर मादक द्रव्यों के व्यापार से प्राप्त होने वाले धन का
प्रयोग कश्मीर में आतंकी वादी कार्यो में सहायता लिये किया। उसने अफगानिस्तान
में बड़े पैमाने पर पैदा होने वाली अफीम को परिष्कृत कर हेरोइन बनने के उघोग का
निर्माण किया तथा इसका मुखय बाजार भारत अमेरिका, तथा यूरोपीय देशों को बनाया। इससे
अफीम की खेती के व्यापार के साथ ही छोटे हथियारों की आपूर्ति भी सुनिश्चित होने
लगी।
1998 के
अंत तक जब तालिबान (Taliban) में अफगानिस्तान के 90 प्रतिशत भाग पर अपना अधिकार जमा लिया
था,
उसी समय कश्मीर में चल रहे युद्ध में एक तेजी आ गयी थी।