14 september hindi diwas:भाषण, निबंध, स्लोगन ! hindi diwas speech ! hindi diwas essay
”hindi diwas ki shubhkamnaye , happy hindi diwas”
दोस्तों हर साल सितम्बर माह में राष्ट्रीय हिन्दी दिवस (14 september hindi diwas ) के रूप में मनाया जाता है। इस पोस्ट में हिन्दी दिवस पर लेख दिया जा रहा है हिन्दी दिवस पर भाषण (hindi diwas speech), हिन्दी दिवस पर निबंध ( hindi diwas essay) एवं हिन्दी दिवस पर नारे स्लोगन ( hindi diwas slogan) के लिए नीचे पढ़े।
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- Hindi Diwas kab manaya jata hai–14 september
- World Hindi day-10 january
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आज हिन्दी दिवस के अवसर पर मैं आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करता है मुझे गर्व होता है कि हमारी हिन्दी भाषा को इसकी महानता के कारण हर साल मनाया जाता है हर साल हिन्दी दिवस को दो बार मनाया जाता है एक तो विश्व हिन्दी दिवस जो 10 जनवरी को मनाया जाता है और दूसरा है राष्ट्रीय हिन्दी दिवस जो कि 14 सितम्बर को मनाया जाता है। विश्व हिन्दी दिवस world hindi day 1975 में पहली बार मनाया गया था। एवं राष्ट्रीय हिन्दी दिवस की शुरूवात 1949 को हुई । राष्ट्रीय हिन्दी दिवस 14 सितंम्बर (14 september hindi diwas)को हिंदी को भारत की अधिकारिक भाषाओं में शामिल किया गया था। तब से आज हर साल इस दिन को मनाया जाता हैं। हिन्दी का विकास तो भारत की आजादी के बाद शुरू हुआ है मगर बड़ी दुख की बात है कि आज भी भारत में हिंदी में अधिकतर काम नही होते हैं। आज भी अंग्रेजी ने कब्जा किया हुआ है। भारत के लगभग 8 से 10 राज्यों में ही केवल हिन्दी राज भाषा का दर्जा दिया गया हैं । पर फिर भी अंग्रेजी में ही काम हो रहे हैं। हमारी देश में अनेक भाषाऐं है मगर हिन्दी का महत्व सबसे अलग है हिन्दी विश्व में बोली जानी वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। मगर हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा में दर्ज नहीं किया गया हैं ।
हमें हिन्दी को विश्व पटल पर लाने का प्रयास करना चाहिए। हाल ही भारत में हाई कोर्ट ने निर्णय लिया था कि हिंदी में भी कोर्ट का फैसला किया जाएगा और हिन्दी में उसका प्रतिरूप तैयार किया जाएगा। हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी ने हिन्दी को निश्चत रूप से विश्व पटल पर लाने का प्रयास किया हैं। हिन्दी का महत्व पूरा देश जानता हैं। आज हिन्दी दिवस (14 september hindi diwas) के अवसर मैं आप को बधाई देता हूं कि ज्यादा से ज्यादा हिन्दी का प्रयोग करें। आज हिन्दी का इंटरनेट में महत्व बढ़ा युटूब youtube में बड़ा वर्ग हिन्दी में सक्रिय हैं। पाश्चात संस्कृति के कारण लोग अंग्रेजी सामग्री की ओर बढ रहे है मगर हमें हिन्दी के विकास में योगदान करना होगा। हमें हिन्दी को अपने देश भारत के अलावा विश्व में परचन लहराना हैं। hindi diwas ki hardik subhkamanaye।
हिन्दी का विकास कैंसे हुआ हिन्दी शब्द कहा से आया और हिन्दी का अर्थ क्या हैं हिंदी का इतिहास प्राचीन हैं। इसके लिए हिन्दी दिवस (14 september hindi diwas) पर निबंध में देखें ।
हिन्दी भाषा में अनेक गुण हैं– एक प्रमुख विशेषता है कि हिन्दी सभी भारतीय भाषाओं की अपेक्षा सीखने में सरल है और उसमें शब्द निर्माण की भी बड़ी सुविधा है। हिन्दी में हमारी सांस्कृतिक इच्छाओं और भावात्मक अभिवृतियों की अभिव्यकित् की पूर्ण क्षमता है साथ ही इनका साहित्य भी उत्कृष्ट एंव विशाल हैं।
भारत में समय समय पर भिन्न भिन्न राजभाषाओं का प्रयोग हुआ है। मुगलकाल में राजभाषा के रूप में फारसी का प्रयोग प्रचलित था तो अंग्रेजो के शासन काल में अंग्रेजी को यह सम्मान प्राप्त हुआ। सदियों से भारतीवासियों को एकता के सुत्र में बांधने का कार्य हिन्दी भाषा ने ही किया है। प्रारंभ में हिन्दी केवल बोलचाल की भाषा थी किन्तु समन्वयवादी एवं लोक व्यापक प्रकृति के फलस्वरूप इसके अनेक रूप प्रचलित हो गये। आज हिन्दी का प्रयोग साहित्यिक रूप में पत्रिकारिता के रूप में खेल कुद की भाषा के रूप में तथा कार्यलयी भाषा के रूप में हो रहा है।स्वतन्त्रता के पश्चात हिन्दी का एक अन्य रूप विकसित हुआ जिसका प्रयोग न्युनाधिक रूप से सरकारी कार्यालयों में हाने लगा। हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार के लिए मानव विकास मंत्रालयों के अनेक महत्वपूण र्योजनाए बनायी हैं। जिनमें हिन्दी की शिक्षा, एनजीओ हिन्दी संगठन हिन्दी माध्यम में परीक्षाओं को मान्यता सेमिनार एवं पुस्तक मेला का आयोजन हिन्दी किताबों का नि:शुल्क विवरण हिन्दी का प्रचार के लिए राज्य सरकारेां को वित्तीय सहायता, केन्दी्रय हिन्दी संस्थान केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय वैज्ञानिक तथा शब्दावली आयोग की स्थापना तथ पत्राकार पाठ्यक्रम के माध्यम से हिन्दी की शिक्षा देने पर विशेष बल दिया गया है। ये सभी योजनाएं अंग्रेजी की प्रभुता को समाप्त कर हिन्दी के उत्तरोत्तर प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रयत्नशील हैं।
गांधी जी ने कहा था कि ”राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम मे लाना देश की एकता और उन्नति के लिए आवश्यक हैं।” गांधीजी ने तो अपने रचनात्क कार्यक्रमों में हिन्दी के प्रचार प्रसार को भी रखा था। किसी भी भाषा का विकास उसको व्यवहार में लाने से होता है। यदि हिन्दी को सच्चे अर्थो में राजभाषा बनाना है उसे जीवित भाषा बने रहने देता है उसे बहता हुआ नीर बनाना हैफ तो हमे हिन्दी को प्राकृतिक बनाना चाहिए। गांधी जी ने राष्ट्रभाषा के महत्व को गहराई से समझा था उनके लिए तो राष्ट्रभाषा का प्रश्न स्वराज के प्रश्न से जुड़ा हुआ था। वह हिन्दी को सत्याग्रह और सत्य से जोड़कर देखते थे। बम्म्बई में 1998 में हिन्दी सम्मेलन की प्रारंभिक बैठक में उन्होंने कहा था, सत्य की लड़ाई के लिए सत्याग्रह जरूरी है। यदि हममें सत्य के प्रति सम्मान है तो यह स्वीकार करना होगा कि केवल हिन्दी ही वह भाषा है जिसका हम राष्ट्रभाषा के रूप् में उपयोग कर सकते हैं।
हिन्दी देश की सर्व स्वीकृत भाषाहै हिन्दी को राजभाषा का स्थान इसलिए नही मिला क्यों कि उसके समर्थ क संविधान सभा में अच्छी संख्या में थे और न हिन्दी इसलिए राजभाषा बनी क्यों कि गांधी जी जैसे देश के बड़े नेता उसकी पीठ पर थे । वास्तव में यह हिन्दी हर तरह से समर्थ होने के साथ देश के अधिकांश भाग में प्रचलित होने या समझे जाने के कारण राजभाषा बनी। हिन्दी को हमारे संविधान में राजभाषा का दर्जा दिया गया है संविधान के 343 वा अनुचछेद में स्पष्ट रू पसे कहा गया है कि संघ की राजभाषा हिन्दी एवं लिपि देवनागरी होगी।संविधान के अनुच्छेद 341 में इन बातों को ध्यान मे रखते हुये हिन्दी भाषा के विकास के लिए स्पष्ट निर्देश दिये गये है कि ”संघ का यह कर्त्तव्य होगा कि वह हिन्दी भाषा का प्रचार बढ़ाये उसका विकास करें जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यकित् का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति के हस्तक्षेप किया बिना हिन्दुस्तानी में और आठवीं अनुसुची में शामिल कर समृद्धि सुनिश्चित करें। ”।
विश्व भर मे होने चाहिए उतनी तेजी से प्रचार का कार्य नहीं हो पा रहा है इस पर ध्यान देना आवश्यक है विश्व के कई अन्य देशों में जहां हिन्दी भाषियों या भारतवासियों की बड़ी संख्या है वहां लम्बे समय से किसी न किसी स्तर पर हिन्दी को उचित स्थान दिलाने के लिए संघर्ष चल रहा हैं।
अंत मैं कहना चाहूगा कि हमें हिन्दी को बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रयास करना होगा वरना धीरे धीरे हिन्दी का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा आज हिन्दी बोलते तो है पर उसमें 80 प्रतिशत तक अंग्रेजी का प्रयोग करते हैं। हमें हिन्दी की इतिहास को कमजोर नहीं होने देना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि” एक राष्ट्रभाषा हिन्दी हो एक हृदय हो भारत जननी।”
एक बार फिर हिन्दी दिवस (14 september hindi diwas) का बहुत बहुत शुभकामनाएं। जय हिन्द जय भारत। । धन्यवाद 👍
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- हिन्दी दिवस (14 september hindi diwas)क्यों और हिन्दी दिवस का महत्व –
- हिन्दी का जन्म और विकास कब हुआ-
- हिन्दी के परिभाषा-
- हिन्दी भाषा की शुरूआत-
- हिन्दी का इतिहास-
- हिन्दी को विश्व भाषा बनना चाहिए। विदेशों में हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार के प्रयास-
- विश्व हिन्दी सम्मेलन-
- भारत में हिन्दी
- संविधान में हिन्दी-
- उपसंहार-
हिन्दी दिवस क्यों और हिन्दी दिवस का महत्व –
नेशनल हिन्दी दिवस हर साल 14 सितम्बर (14 september hindi diwas)को मनाया जाता है । हिन्दी दिवस हिन्दी के महत्व एवं इसके विस्तार के लिए हर संस्थान एवं राष्ट्रीय स्तर पर हर जगह मनाया जाता है इस दिन शिक्षा संस्थान एवं अन्य कार्यालयों मे विशेष आयोजन किया गया है बच्चों के लिए निबंध एवं भाषण चित्रकला एवं नारे आदि प्रतियोगिता का अयोजन किया जाता है एवं अच्छा प्रदर्शन करने वाले को पुरस्कार दिया जाता है। इस दिन अनेक शासकीय एवं अशासकीय कंपनी कार्यालय में हिन्दी के प्रभाव को प्रकट किया जाता हैं । जगह जगह हिन्दी पर संगोष्ठी सभा रेली आदि निकाली जाती हैं। हिन्दी दिवस को प्रभावशाली बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
हिन्दी का जन्म और विकास कब हुआ– हिन्दी शब्द का प्रयोग दो अर्थों में होता रहा है एक हिन्दुस्तान के निवासी के अर्थ में दूसरा हिन्दी भाषा के अर्थ में।
ईरान के बादशाह नौशेखां 539-578ई0 के आदेश से किये गये पंचतन्त्र पर आधारित कर्कटक और दिमनक के अनुवाद कलीला व दिमाग में लिखा गया है कि यह अनुवाद जबान ए हिन्दी में किया गया है। यहां हिन्दी का अर्थ हिन्दुस्तान से है। जबान ए हिन्दी अर्थात हिन्दुस्तान की भाषा। अमीर खुसरों ने हिन्दी का प्रयोग हिन्दुस्तानी मुसलमानों के अर्थ में किया है। इकबाल ने भी हिन्दी का प्रयोग देशके अर्थ में ही किया है। एक भाषा विशेष के अर्थ में हिन्दी का अर्थ है -हिन्दुस्तान की भाषा जैसे- जापान की भाषा जापानी। रूस की भाषा रूसी। इसके अतिरिक्त इस शब्द का प्रयोग उत्तर भारत की भाषा के संदर्भ में होता है। 14 सितम्बर 1949 को भारतीय प्रजातंत्र के लिए इसी दिन हिन्दी का संघ की राजभाषा बना था। इस कारण 14 सितम्ब्र को नेशनल हिन्दी दिवस (14 september hindi diwas) मानाया जाता हैं।
प्राचीन काल में केन्द्रीय प्रशासन की भाषा संस्कृत थी। मध्ययुग में केन्द्रीय प्रशासन की कार्य फारसी में होता था। और अंग्रेजी राज की स्थापना के कुछ दिन बाद फारसी की जगह अंग्रेजी ने ले ली।लेकिन जिस देश में भाषा की कोई गिनती न हो अर्थात जहां अनेक भाषाए बोजी जाती हों जहां सन 1853 से ही मैकाले और उनके बंधुओं के प्रयासों के कारण शिक्षा के ढांचे पर अंग्रेजी ऐसी हावी हो गयी थी कि विद्यार्थी आमतौर पर ज्यादा से ज्यादा समय अंगेजी सीखने में लगाते थे और जो पढ़कर निकलते थे वे सिर्फ कहने को भारतीय रह गये क्योंकि वे खुद रूचि मत अचार और विचारों से अंग्रेज बन जाते थे ऐसे देश के लिए सितम्बर 1949 की उपलबिध निश्चय ही असरदार मानी जायेगी।
हिन्दी ने तो सबसे समृद्ध है और न प्राचीन । भारतवर्ष में ऐसी अने क भाषाएं हैं जो हिन्दी से अधिक समृद्ध और प्राचीन हैं। तब क्यों अन्य भाषाओं को जानने वालों ने हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। अत: यह कहा जा सकता है कि हिन्दी देश की बहुसंख्यकों की मातृभाषा है।
हिन्दी के परिभाषा- हिन्दी भाषा है जो भारत के उत्तर में हिमालय, से लेकर राजस्थान और मध्यप्रदेश तक तथा पश्चिम में दिल्ली औ पंजाब से लेकर पूरब में बिहार तक बोली जाती है हिन्दी हैं।
हिन्दी भाषा की शुरूआत-
भारत एक प्राचीन देश है । यहां के लोग विभिन्न कालों में भिन्न भिन्न भाषाओं लिखते और बोलने आये हैं। संस्कृत इस देश की सबसे पुरानी भाषा है जिसका उपयोग ऋषि, मुनि,विद्वान और कवियों ने समय समय पर किया है। इसका प्राचीनतम रूप ऋग्वेद में दिखने के मिलता है। संस्कृत को आर्यभाषा या देव भाषा भी कहते हैं। यह आर्य भाषा 3500 वर्ष पुरानी है। हिन्दी इसी आर्य भाषा संस्कृत की उत्तराधिकारी है
हिन्दी का इतिहास-
पालि भारत की प्रथम देश भाषा है इससे सबसे पुरानी प्राकृत भी है इसी भाषा में भगवान बुद्ध ने उपदेश दिया था। श्रीलंका के लोग पालि को मागधी भी कहते हैं। आचार्य हेमचन्द इसे संस्कृत से निकली भाषा मानते हैं।साधारण बात यह है कि वह भाषा जो असंस्कृत थी बोलचाल की थी पंडितों में प्रचलित नहीं थी सहज ही में बोली और समझी जाती थी। पालि स्वभावत: प्राकृत कहलायी। भाषा विज्ञान में प्राकृतों के पांच भेद स्वीकार किये गये हैं। पहला शौरसेनी , दूसरा पैशाची तीसरा महाराष्ट्री, चौथा अर्द्धमागधी पांचवा मागधी शौरसेनी। प्राकृत मथुरा या शुरसेन जनपद के आसपास बोली जाती थी। यह मध्य देश की मुख्य भाषा थीं जिस पर संस्कृत का प्रभाव था। मध्य देश संस्कृत का मुख्य केन्द्र था। बाद में यही हिन्दी का मुल केन्द्र या गढ़ बन गया।
भारत की भाषा के इतिहास में 500 ई0 से 1000 ई0 तक के काल को अपभ्रंश काल कहा गया है। आधुनिक आर्य भाषाओं हिन्दी , बंगला, गुजराती,मराठी, पंजाबी, उदू उडि़या आदि का जन्म इन्हीं अपभ्रंश से हुई है।
हिन्दी का जनम मध्य भारत में संस्कृत प्राकृत और अपभ्रंश के योग से हुआ।
हिन्दी को विश्व भाषा बनना चाहिए। विदेशों में हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार के प्रयास-
हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषाओं में से एक है। हिन्दी एक ऐसी भाषा है जो भारत के हर एक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है, लेकिन साथ ही विश्व के अनेक देशों में भी इसके अध्ययन अध्यापन के प्रति रूचि लागातार बढ़ती जा रही है।हिन्दी विश्व भाषा का स्थान पाने के लिए तरह योग्य है। विदेशों में हिन्दी की पढ़ाई और उसके प्रचार प्रसार का काम दो धाराओं में बांटा गया है। पहली धारा के में विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है और दूसरी वह धारा है जहां प्रवासी भारतीय उन देशों में बड़ी संख्या में जब मजदूर और व्यापारी अपनी रोजगार चलाने या अपनी रोटी चलाने की तलाश में जब विदेशों में जाकर बसने को मजबूर हुए तो संकट और संघर्ष की उन परिस्थितियों में अपने देश की धर्म और संस्कृति को अपनी भाषा को सुरक्षित रखा उसके मजूद की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष किया ।
मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी में प्रवासी भारतीयों की यही धारा है एवं ब्रिटेन सिंगापुर मलेशिया थाईलैंड आदि देशों में प्रवासी भारतीयों की संख्या अधिका होने के कारण हिन्दी ने अपनी एक विशिष्ट पहचान बना रखी है। सरकार की ओर से भी हिन्दी प्रचार के लिए विदेशों में अनेक प्रयास कर रही हैं। हिन्दी प्रचार की योजना को सफल बनाने की दृष्टि विदिशों में स्थित दूतावासों में राजभाषा अधिकारी एंव अतासे नियुक्त किये जाते हैं। इन हिन्दी अधिकारियों की सहायता से वहां हिन्दी सिलेबस के निर्माण और टीवी के प्रसारण पर सांस्कृतिक आयोजन किया जाता है। कुछ प्रमुख संस्थाओं द्वारा संचालित परीक्षाओं के आयोजन में भी विदेश में स्थित ये अधिकारी संस्थाओं को सहायता प्रदान करते हैं। अकेले मॉरीशस में ही हजारों की संख्या में व्यकित हिन्दी साहित्य सम्मेलन की विभिन्न परीक्षाओं में भाग लेते हैं। आज बढ़ी खुशी की बात है कि कुछ दूतावास अपने पत्र व्यवहार में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ा रहे हैं।
हिन्दी को विश्व पटल पर प्रमुख स्थान दिलाने के उद्देष्य से मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सहयोग से हिन्दी के लेखकों को पुरस्कार देने की योजना भी शुरू की गई है और कुछ लेखक पुरस्कृत भी किये जा चुके हैं।
हिन्दी को विश्व पटल पर स्थान दिलाने के प्रयास से मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सहयोग से हिन्दी के लेखकों को पुरस्कार देने की योजना भी शुरू की गई है और कई लेखक को पुरस्कृत भी किया गया है। कुछ सालों में हिन्दी की शब्द संख्या में जितना अधिक विस्तार हुआ है उतना शायद ही विश्व की किसी अन्य भाषा में हुआ हो। शब्द संख्या की दृष्टि से आज हिन्दी संसार की सबसे समृद्ध भाषाओं में से एक मानी जाती है।
इण्डोनेशिया , थाईलैण्ड हांगकांग मलेशिया में हिन्दी फिल्मों का अच्छा बाजार है।
विश्व हिन्दी सम्मेलन-
जहां एक ओर पत्र पत्रिकाओं चलचित्र स्वयं सेवा संगठनों ने हिन्दी के प्रचार प्रसार में योगदान दिया वही दूसरी ओर विदेशों में हिन्दी के प्रचार प्रसार में विश्व हिन्दी सम्मेलनों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। इस सम्मेलन में बताया गया है कि हिन्दी भाषा भाषी बीस से अधिक देश हैं। जहां हिन्दी प्रमुख भाषा के रूप में प्रयोग मे लायी जाती है। विश्व में हिन्दी भाषा बोलने वालों की संख्या लगभग 60 करोड़ है। यह सभी देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य हैं। अत: हिन्दी भाषा को संयुक्त राष्ट्र संघ में मान्यता दी जाए इसके लिए उच्च राजनैतिक स्तर पर सक्रिय प्रयास की आवश्यकता है।
गांधी जी ने कहा था कि –
hindi, not in the place of the mother tongue,but in addition to it
भारत में हिन्दी
भारत एक विशाल देश है। यहां अनेक धर्म रीती रिवाज और भाषाए प्रचलित हैं लेकिन विविधताओं के बावजूद भी अद्भूत एकता दिखाई देती है। प्राचीनकाल में भाषाई एकता की स्थापना संस्कृत के माध्यम से हुई थी, आज यही कार्य हिन्दी भाषा के माध्यम से ही रहा है। हिन्दी लगभग 1000 वर्षो से संपर्क भाषा के रूप में इस देश में विद्यमान रही है। भारतवर्ष में नवजागरण के साथ साथ हिन्दी के प्रचार प्रसार के अवसर बढ़े । भारत के अखिल भारतीय ख्याति के नेताओं ने देश की एकता का स्वप्न देखा और राष्ट्रीय एकता की भावना पैदा करने का प्रयास किया। उन्होनं हिन्दी की तरफ विशेष ध्यान दिया। भारत में स्वतंत्रता के बाद अधिकांशत: नेताओं ने राजभाषा के रूप यह महसूस किया कि राजभाषा का स्थान अंग्रेजी के बदले किसी भारतीय भाषा को दिया जाये।
राजभाषा के प्रश्न पर काफी विवाद हुआ। कुछ नेता हिन्दुस्तानी के पक्षधर थे और हिन्दीतर प्रदेशों के बहुत से प्रतिनिधि हिन्दुस्तान के विरोधी थे। 6-7 अगस्त 1949 को राष्ट्रभाषा व्यवस्था परिषद् का अधिवेशन दिल्ली में हुआ। इस अधिवेशन में हिन्दीतर भाषी नेताओं ने भी हिन्दी का खुलकर समर्थन किया। काफी चर्चा के बाद परिषद् ने सर्वसम्मति से देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को ही देश की राजभाषा बनाने का प्रस्ताव स्वीकार किया। हिन्दी भाषा मुख्यत: उत्तर प्रदेश बिहार मध्यप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़, झारखंड, तथा हिमाचल प्रदेश की कार्यालयी भाषा है।
संविधान में हिन्दी-
26 जनवरी 1950 को संविधान के लागू होने के लगभग पाच वर्ष बाद केंद्रीय कार्यालयों में हिन्दी के प्रयोग को सरकारी मान्यता मिली। 8 दिसंम्बर 1955 को यह आदेश दिेये गये कि प्रत्येक मंत्रालय स्वयं इस बात का निश्चय करेगा कि उसका कितना काम हिन्दी में हो सकता है और इसके लिए उसे कितने कर्मचारियों की जरूरत होगी। वर्ष 1959 में राजभाषा आयोग बना। केन्द्र के कार्यालयों में हिन्दी का कार्य चूकि बाध्याता एवं पदोन्नति की भावनाओं से जुड़ता गया इसलिए हिन्दी मोलिक लेखन के स्थान पर अनुवाद की भाषा भी बनने लगी। मगर हिन्दी को राजभाषा को बनाने के बाद भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान के निर्माताओं में प्रमुख थे ने कहा था कि राजभाषा हिन्दी से संबंधित अनुच्छेद का इतना विरोध अन्य किसी भी अनुच्छेद में नहीं हुआ होगा।
1959 में संसद में पं जवाहर लाल नेहरू ने अहिन्दी भाषी राज्यों को अंग्रेजी के प्रश्न पर विशेषाधिकार प्रदान कर दिया। उन्होनं आश्वासन दे दिया कि जब तक अहिन्दी भाषी राज्य चाहेगे, संघ के कार्यों में अंग्रेजी का रूतबा कायत रहेगा। मगर 1957 में हिन्दी स्वत: ही भारत की प्रमुख राजभाषा बन गई पर उधर दक्षिण भारत में विरोध शुरू हुआ। फिर राजभाषा विधेयक मेंसंसोधन किया गया कि जब तक एक भी अहिन्दी भाषी राज्य चाहेगा, संघ का कार्य अंग्रेजी मेंचलता रहेगा। हिन्दी भाषा राज्य यदि किसी अहिन्दी भाषी राज्य को पत्र लिखेगा तो उसका अंग्रेजी अनुवाद साथ में भेजना पड़ेगा जब तक कर्मचारी अच्दी हिन्दी न सीख लें तब तक संघ सरकार द्वारा हिन्दी से साथ अंग्रेजी पत्र संलग्न करना अनिवार्य होगा।
- 343(1) अनुच्छेद – संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंको का रूप भारतीय अंको का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा।
- भारतीय संविधान की अष्टम अनुसूची में उल्लिखित भाषाए- हिन्दी, नेपाली, कोंकणी, सिन्धी, मणिपुरी,असमिया, आडि़या,उर्दू, कन्नढ , तेलुगु,पंजाबी,मराठी,मलयालम, संस्कृत, हिन्दी,कश्मीरी गुजराती तमिल,बंगला।
हिन्दी को प्रोत्साहित कैंसे करें-
हिन्दी को उसका प्रमुख स्थान वापस दिलाना है तो भारत की जनता और उसके प्रतिनिधियों को चाहिए कि संविधान के भाषा संबन्धी भाग को फिर से पूरा लिखने की मांग करें और नये भाषा प्राविधान में अंग्रेजी का कहीं नाम तक भी नहीं आय ।
- सारे देश के प्रशासन को हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के द्वारा जोड़ा जाय। आवश्यक हो केन्द्र बहुभाषी बने।
- अंग्रेजी का संविधान से खात्में का सबसे बड़ा परिणाम यह होगा कि एक नये भारत का निर्माण होगा और हिन्दी के विकास के लिए अनेक रास्ते खुल जायेंगे।
हिन्दी दिवस पर नारें । hindi diwas slogan। (14 september hindi diwas)
- हिन्दी भाषा जीवन की एक अलग दृष्टि है।जब कोई भाषा खो जाती है तो मुझे हमेशा दुख होता है, क्योंकि भाषाएं देश की इतिहास बया करती हैं।
- एक भाषा को तब तक नहीं समझा जा सकता जब तक आप कम से कम दो भाषा नहीं समझ लेते।
- हिन्दी दिवस हम सभी के लिए सभी प्रयासों के लिए राष्ट्र के महत्व के लिए प्रोत्साहन एवं अलख जाऐये रहे का माध्यम हैं।
- हिन्दी दिवस की गरिमा को बढ़ाने के लिए हमें अपनी पहुंच से बाहर निकलना होगा।
- हिन्दी भाषा का विस्तार मेरी दुनिया से कही ज्यादा
- हिन्दी भाषा होठों पर शराब की तरह हे जितनी प्रयोग होगी उतनी निखरेगी।
- जब कोई बच्चा हिन्दी भाषा को सीखता है , तब वह आर्यवीर कहलाता ” सभी दोस्तों, परिवार, छात्रों, हिन्दी दिवस (14 september hindi diwas) की हार्दिक बधाई ।
- भाषा के बिना, कोई लोगों से बात नहीं कर सकता और उन्हें समझ नहीं सकता; कोई अपनी उम्मीद और चाहत को एक दूसरे तक पहूंचा नहीं सकता! हिन्दी दिवस 2021!
- आपको हिन्दी दिवस 2021 (14 september hindi diwas)की शुभकामनाएं! भाषा उन चीजों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है जिनसे हम दूर नहीं हो सकते।
- हिन्दी भाषा आत्मा एवं खून है जिसमें विचार चलते हैं और जिससे वे बढ़ते हैं।
- हम भारतीयों के लिए, अंग्रेजी भावनाओं का वह जादू मुझे नहीं लगता कि कभी सफल होगी जो हमारी हिन्दी कर सकती है