मद्यपान पर निबंध । Madyapan nibhandh
मद्यपान (Madyapan) एक अभिशाप । मद्यपान निषेध दिवस पर निबंध
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युवा पीढ़ी पर मद्यपान का प्रभाव-मादक पदार्थों का इतिहास
एवं आधुनिक समय में मादक सामग्री।
आज भारत में बड़ी संख्या
में लोग किसी न किसी माद्रक पदार्थों का सेवन करते हैं। इनमें अधिकांशत: युवा वर्ग
शामिल है। प्राचीन काल में ग्रामीण क्षेत्रों में हुक्का बीड़ी के रूप में तम्बाकू
सेवन तथा नगरीय क्षेत्र में शराब या मद्य, सिगरेट, गांजा, भांग, तम्बाकू आदि का प्रयोग किया जाता था। आधुनिक
समय में युवा वर्ग में जिन मादक पदार्थों के सेवन का चलन तेजी से बढ़ रहा है वह है
अत्यंत तेज असर वाले अंग्रेजी, देशी मदिरा या शराब, चरस, अफीम कोकीन, स्मैक, हशीश और हेरोईन आदि इस प्रकार के नशे की
युवावर्ग को इतनी लत पड़ चुकी है कि वे एक दिन भी इसके बिना रह नहीं पाते।
युवा वर्ग में मद्यपान
(Madyapan) का सेवन निरंतर रूप से बढ़ता ही जा रहा है।
युवावर्ग में लड़के तो नशा करते ही है, लड़कियां भी
इस प्रकार का सेवन करने में पीछे नहीं है,। इस नशे के आदी युवकों में से काफी ऐसे हैं जो उच्च वर्ग से संबंध रखते
हैं। आज इस प्रकार के नशे का प्रसार मध्यम वर्ग के बच्चों कस्बों और गांवो में
भी हो रहा है। नशे का सेवन करने से प्रतिदिन अनेक व्यक्तियों की जान जाती हैं।
भारत एवं राज्यों में मद्यपान (Madyapan) के चलन के प्रमुख कारण निम्न हैं-
- भारत में मद्यपान (Madyapan) के सेवन के चलन का मुख्य कारण 70 के दशक में
अमेरिका से शान्ति की खोज में भारत आने वाले हिप्पी लोगों को माना जाता है। हिप्पी
वे व्यक्ति थे जिनके पास धन की कोई कमी नहीं थी, परन्तु फिर भी उन्हें किसी प्रकार का सुख एवं शान्ति नहीं थी। उन्होंने
भारत में ही नहीं अपितु संसार के अनेक देशों में माद्रक द्रव्यों के सेवन की बहुत
बुरी लत डाल दी। - युवकों में मद्यपान (Madyapan) एवं नशाखोरी की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने
वाला दूसरा प्रमुख कारण परिवारिक वातावरण में प्रेम और अपने पर की कमी का है। उच्च
वर्ग के माता पिता अपने काम में इतने व्यस्त रहते हैंकि उन्हें अपने बच्चों से
प्रेमपूर्वक देा चार बातें करने का समय भी नहीं मिलता।परिवार में माता पिता का प्यार
न मिलने के कारण बच्चे कुसंगति में पड़ जाते हैं, मानिसक चिंता एवं निराशा से छुटकारा पाने के लिए पहले तो वे शराब, सिगरेट, तम्बाकू आदि हल्के पदार्थों का सेवन करते
हैं, फिर धीरे धीरे वे चरस, अफीम, गांजा, हेरेाईन, आदि तेज मादक द्रव्यों का सेवन करने लगते
हैं। - शहरी करण की बढ़ती प्रवृत्ति एवं उपभोक्तावादी संस्कृति ने मानव मस्तिष्क
पर अनेक दबाव उत्पन्न किये हैं। मध्यम वर्ग के व्यक्ति की उन्नाति को देखकर
निराश होता रहता है। वह चाहता है कि उसकी तरह उन्नति करे और संसार की सारी सुख
सविधाओं से परिपूर्ण रहे । इस प्रकार की इच्छाओं के पूर्ण न होने पर वह हाताशा और
कुण्ठा का शिकार हो जाता है जिस कारण वह मादक पदार्थों का सेवन करने लगता है। - कार्यक्षमता में वृद्धि हेतु भी कुछ युवक इस प्रकार के मद्यपान (Madyapan) का सेवन करते हैं। इसकी के साथ साथ आज अनेक
खिलाड़ी भी इनका प्रयोग तीव्रता से कर रहे हैं। ओलम्पिक सामिति द्वारा परीक्षण
किेये जाने पर अनेक खिलाडि़यों को मादक द्रव्यों का सेवन का दोषी पाया गया और उन्हें
निलम्बित किया गया ।
मद्यपान निषेध कैसे करें। मद्यपान को कैंसे रोके।
- सभी सरकारी मदिरा
दुकानों को बंद करनी चाहिए अपने राजकोष भरने के लिए दूसरे विकल्प निकालने चाहिए ।अवैध
रूप से निर्माण को रोका जाना चाहिए।
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- मद्यपान (Madyapan) को रोकने के लिए सर्वप्रथम सरकार को कठोर
कानून बनाना चाहिए ताकि मदिरा एवं शराब का चलन , व्यापार एवं तस्करी करने वालों को सख्त से सख्त सजा मिल सके। - इस प्रकार के नियम का पालन भी सख्ती से होना चाहिये। एसे अपराध्यिों को एक
बार पकड़ जाने पर आसानी से जमानत देकर छोड़ा नहीं जाना चाहिए। - पारिवारिक स्तर पर प्रत्येक माता पिता का यह कर्तव्य है कि वे काम के
साथ साथ अपने बच्चों पर भी पूरा ध्यान दें तथा उन्हें प्यार करें ताकि वे
हताशा और कुण्ठा का शिकार न बनें। - मद्यपान का सेवन करने
वाले युवाओं को उचित चिकित्सा सुविधायों उपलब्ध कराई जानी चाहिए। चिकित्सा के उपरांत
उनके सामाजिक पुनर्वास की भी व्यवस्था करनी चाहिए। - शिक्षण संस्थाओं एवं सामाजिक
संस्थाओं को इस विषय में एक प्रभावी आन्दोलन चलाना चाहिए जिससे समाज में जागरूकता
उत्पन्न हो सके। इस प्रकार की विचारधारा द्वारा ही तीव्र गति से बढ़ रहे मदिरा पान
एवं मादक द्रव्यों के चलन को रोका जा सकता है।