छत्तीसगढ़ी व्याकरण । छत्तीसगढ़ी व्याकरण का इतिहास | History of Chhattisgarhi
सन् 1885 में धमतरी के श्री हीरालाल काव्योपाध्याय ने जार्ज ग्रियर्सन के अनुरोध पर छत्तीसगढ़ी बोली का व्याकरण की रचना की। सन् 1890 में जार्ज ग्रियर्सन ने इस किताब का अनुवाद अंग्रेजी में किया और ए ग्रामर ऑफ द डायलेक्ट ऑफ छत्तीसगढ़ इन द सेन्ट्रल प्राविनसेंस शीर्षक से जनरल ऑफ एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल के अंक 59 में प्रकाशित किया ।
Chhattisgarhi language or dialect | छत्तीसगढ़ी भाषा है या बोली ?
भारत के महान संत ने कहा था- राष्ट्रभाषा राष्ट्र की पहचान होती है और मातृभाषा राज्य की पहचान होती है। Chhattisgarhi छत्तीसगढ़ की मातृभाषा है जो लोगों की सम्पर्क भाषा है। Chhattisgarhi छत्तीसगढ़ के हाट बाजार, कोर्ट कचहरी, अस्पताल और कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों के आम व्यवहार की भाषा है।
इसके बावजूद भी Chhattisgarhi भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में शामिल नहीं है। परिणाम स्वरूप Chhattisgarhi को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिलने के कारण Chhattisgarhi आज भी बोली ही समझी जाती है।
हम कह सकते हैं कि Chhattisgarhi में भाषा के सभी गुण होने के बाद भी आज Chhattisgarhi एक बोली के रूप् में ही मान्य है। Chhattisgarhi राजभाषा संशोधन विधेयक 2007 द्वारा Chhattisgarhi को Chhattisgarh प्रदेश की राजभाषा घोषित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य Chhattisgarhi को संविधान की आठवीं अनुसूचीं में शामिल कराना, छत्तीसगढ़ी के भाषा साहित्य का संरक्षण एवं संवर्धन है, ताकि इसे पूरे देश में भाषा के रूप में मान्यता मिल सके।
Chhattisgarhi को लिखने की लिपि | Chhattisgarhi ko kis liphi me likha jata hai
Chhattisgarhi को लिखने के लिए देश की सबसे अधिक ग्राह्य और प्रचलित लिपि देवनागरी का प्रयोग होता है। भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के द्वारा प्रतिपादित- परिवर्धित देवनागरी के रहते Chhattisgarhi के सामने कभी कोई समस्या नहीं आएगी।
Chhattisgarhi Grammar ! History of Chhattisgarhi Grammar ! Grammar of Chhattisgarhi dialect