Jawaharlal nehru jayanti- Jawaharlal nehru life history
नेहरू जयंती पर निबंध ।। जवाहर लाल नेहरू बायोग्राफी।। बाल दिवस पर निबंध
भारत की महान विभूतियों में अग्रगण्य पंडित
जवाहर लाल नेहरू के विषय में देशी विदेशी महापुरूषों के विचार उद्भूत किये जाते
हैं जिससे स्पष्ट होता है कि सचमुच जवाहर लाल नेहरू जी महान थे।-
जवाहर जी ह्दय सौंदर्य के पुष्पित
गुलाब हैं। – रवीन्द्रनाथ टैगोर।नेहरू जी मैत्री के सेतु हैं। उनके
सिर से पैर तक सौहार्द्र की मिठास टपकती है।– जेराल्ड हर्ड।जवाहर लाल नेहरू जी एक करिष्मा हैं।
प्रजातंत्रवाद का ऐसा मानदण्ड इतिहास में शायद ही कहीं मिलेगा कि क्षणभर पहले जो
प्रश्न प्रति प्रश्नों की लपटों से घिरा अग्निकुंड था। वही क्षण भर बाद सौजन्य
एवं सौहार्द के ठंडे पानी का बादल बन गया।– आचार्य नरेंद्र देव ।देश की खुशकिस्मती है जो जवाहर लाल
जैसा सिपाही हमारी आजादी की लड़ाई का सेनापति है। वह मोती सा उजला है शीशे सा
आबदार है और गंगा सा पवित्र है। देश का झण्डा उसके हाथों में सदा उंचा रहेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।– महात्मा गांधी।
पंडित मोती लाल नेहरू के एक मात्र पुत्र पं जवाहर
लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 ई में इलाहाबाद में हुआ था, उनके पिता पं0 मोती लाल नेहरू अपने समय के नामी वकील थे। जैसा पीता, वैसा ही पुत्र। सचमुच मोती में अगर मोती की चमक थी तो जवाहर में जवाहर की आभा।
स्वतंत्र भारत का पहल प्रधान मंत्री बनकर जवाहर लाल ने अपनी आभा का परिचय दिया। फलत:
लोग कह उठे – मोती का पुत्र जवाहर ही निकला।
जवाहर लाल नेहरू की प्रारम्भिक शिक्षा इलाहाबाद
में हुई। 15 वर्ष की अवस्था में इन्हें शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया गया।
वहीं ये इंगलैण्ड के सुप्रसिद्ध , हैरी पब्लिक स्कूल
के छात्र बने। इन्होंने कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय में भी शिक्षा पायी। अंत में लंदन
विश्वविद्यालय से बैरिस्टट्री की डिग्री प्राप्त कर सन् 1912 ई0 में स्वदेश लोटे।
स्वदेश आकर इन्होंने वकालत शुरू की। उस समय
हमारा देश अंगेजों का गुलाम था। अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर तरह तरह के अत्याचार
किये जा रहे थे। इससे जवाहर लाल नेहरू जी का ह्दय द्रवित हो उठा और वे अपनी वकालत छोड़कर
स्वतंत्रता आंदोलन में कुद पड़े। गांधी जी इसने राजनीतिक गुरू थे। जवाहर लाल नेहरू
गांधी जी के आदर्शों पर चलने लगे। गांधी जी के प्रभाव का फल यह हुआ कि जो जवाहर लाल
नेहरू पेरिस के धुले कपड़े पहनते थे, अब खादी की मोटी
धोती पहनने लगे। बेशकीमति गाडि़यों पर घूमने वाले नेहरू जी अब गांव गांव पैदल घूमने
लगे। अंग्रेजों के शासन में कोपभाजन बनना पड़ा और बार बार उन्हें जेल जाना पड़ा। लेकिन
उनकी हिम्मत नहीं टूटी। कठिन संघषौं के बाद 15 अगस्त 1947 ई को भारत आजाद हो गया।
जवाहर लाल नेहरू सर्वसम्मति से स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। वे आजीवन
27 मई 1964 ई तक इस पद को सुशोभित करते रहे।
इनके प्रधानमंत्रित्व काल में देश का चतुर्दिक
विकास हुआ। इन्होंने विज्ञान और उद्योग के क्षेत्र में देश को एक नयी दिशा दी। इन्होंने
तटस्थता को भारत की विदेश नीति बनायी। जवाहर लाल नेहरू एक सफल प्रशासक, चिंतक और साहित्यकार थे। दो राष्ट्रों के बीच विवाद को सुलझाने हेतु उन्होंने
पंचशील का सिद्धांत अपनाया। इनकी रचित पुस्तकों में डिस्कवरी ऑफ इंडिया एंव पिता
का पुत्र पुत्री के नाम काफी लोकप्रिय हैं । ये बच्चों को बेहद प्यार करते थे। इन्होंने
बच्चों के विकास के लिए अनेक कार्यक्रम चलाये। इसीलिए इनका जन्मदिन 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जवाहर लाल नेहरू राजनीति के साथ साथ समाज सुधार
का काम भी करते थे। सामान्य राजनीतिज्ञ की भांति वे समाज सुधार पर सिर्फ भाषण नहीं
करते थे अपितु स्वयं उस पर अमल करते थे।यही कारण है कि उन्होंने अपनी दोनों बहन विजया, कृष्णा एवं अपनी पुत्री इन्दिरा जी का अन्तर्जातीय विवाह कर जात पात के लौहदुर्ग
पर वज्र प्रहार किया।
जवाहर लाल नेहरू पूरब और पश्चिम ह्दय ओर बुद्धि
एवं विचार और कर्म के सुन्दर समन्वय शिल्पी थे। शारिरिक सौंदर्य और बौद्धिक वैभव
दोनों का मणिकंचन संयोग इनके व्यक्तित्व की एक खास विशेषता थी।राष्ट्र प्रम की भावना
भी जवाहर लाल में कूट कुट कर भरी हुई थी। इसलिए इन्होंने अपनी मुत्यु के पूर्व स्वयं
कहा था- मैं चाहता हूं कि मेरी भस्म का शेष भाग उन खेतों में बिखेर दिया जाये, जहां भारत के किसान कड़ी मेहनत करते हैं, ताकि वह भारत की धूल और मिट्टी में मिलकर भारत का ही अभिन्न अंग बन जाये।
27 मई 1964 को इनकी मृत्यु पर सारा देश रो पड़ा।
अचानक राष्ट्रव्यापी चीत्कार हुई-
धरती कांपी आकाश हिला सागर में उठा उबाल रे ।
रो रही विकल भारत माता, चल बसा जवाहर लाल रे।।