Gomutra Peene Ke Fayde | Gomutra ke labh fayde | Gomutra benefits | गौमूत्र
गौमूत्र
क्या है– गाय के रक्त में प्राण शक्ति होती है गौमूत्र रक्त का गुर्दौ द्वारा
छना हुआ भाग है गुर्दे रक्त को छानते हैं जो भी तत्व इसके रक्त में होते है वही
तत्व गौमूत्र में हैं-
गौमूत्र
में पाये जाने वाले तत्व
- क्रियेटीनिन
- स्वर्ण
क्षार, - हिप्यूनिक
एसिड - एन्जाइम्स
- दूध
देती गाय के मृत्र में लेक्टोज - मिनरल्स
या खनिज, - विटामिन
a b c d e - सल्फर
- अमोनिया
गैस - पोटेशियम
- युरिया
- आरोग्यकारक
अम्ल् - जल
- युरिक
एसिड - सोडीयम
- नाइट्रोजन
- आमोनिया
- कॉपर
- मैग्नीज
- साल्ट
- कैल्शियम
- आयरन
- फोस्फेट
- कार्बोलिक
एसिड
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गौमूत्र
के चमत्कारीक गुण
- गौमूत्र
में किसी भी प्रकार की कीटाणु नष्ट करने की चमत्कारी शक्ति है सभी कीटाणुजन्य
व्याधियां नष्ट होती है। - गौमूत्र
त्रिदोष को समान बनाता है अत एवं रोग नष्ट हो जाते है। - गौमूत्र
बॉडी में लिवर को सही कर रक्त् को साफ बनाकर किसी भी बिमारी का विरोध करने की बल
प्रदान करता है। - गौमूत्र
में सभी तत्व ऐसे है जो हमारे शरीर के आरोग्यदायक तत्वों की कमी को पूरा करते
है। - गौमूत्र
में कई मिनरल खासकर तांबा होता है जिसका पुर्ति से शरीर के खनिज तत्व पूर्ण् हो
जाते है स्वण क्षार भी होनेसे रोगों से बचने की शक्ति देता है। - मानसिक
क्षोंभ से स्नायु तंत्र नर्वस सिस्टम को अघात होता है गौमूत्र को मेघ और ह्दय
कहा है यानि मस्तिष्क एंव ह्दय को शक्ति प्रदान करता है अत एवं मानसिक कारणों से
होने वाले बिमारी से बचाता है। - किसी
भी प्रकार की औषधियों की मात्रा का अपिप्रयोग हो जाने से जो तत्व शरीर में रहकर
किसी प्रकार से उपद्रव्य पैदा करते है उनको गौमूत्र अपनी विषनाशक शक्ति से नाश्कर
रोगी को निरोग बनाता है। - विद्युत
तरंगे हमारे शरीर को स्वस्थ रखती है ये वातावरण में विद्यमान है सूक्ष्मातिसूक्ष्म
रूप से तंरगे हमारे शरीर में गौमूत्र से प्राप्त ताम्र के रहने से ताम्र के अपने विद्युतीय आकर्षण गुण के कारण शरीर से आकर्षित होती रहकर
स्वास्थ्य प्रदान करती है। - गौमूत्र
रसायन है यह बुढ़ापा रोकता है व्याधियों को नष्ट करता है। - आहार
में जो पोषक तत्व कम प्राप्त होते है उनकी पूर्ति गौमूत्र में विद्यमान तत्वों
से होकर स्वास्थ्य लाभ होता है। - आत्मा
के विरूद्ध कर्म करने से ह्रदय और दिमाग संकुचित होता है जिससे शरीर में क्रिया
कलापों पर प्रभाव पड़कर रोग हो जाते है गौमूत्र सात्विक बुद्धि प्रदान सही कार्य
कराकर इस तरह के रोगों से बचाता है। - शास्त्रों
में पूर्व कर्मज व्याधियां भी कही है जो हमें भुगतनी पड़ती है। गौमूत्र में गंगा
ने बास किया है। गंगा पाप नाशिनी है अत एवं गौमूत्र का सेवन से पूर्व जनम के पाप
क्षय होकर इस प्रकार के रोग नष्ट हो जाते है। - भूतो
के शरीर में प्रवेश के कारण हाने वाले बिमारी पर गौमूत्र इसलिये प्रभाव करता है कि
भूतो के अधिपति भगवान शंकर है शकंर के शीश पर गंगा हे गौमूत्र में गंगा है अतएव
गौमूत्र का सेवन से भूतगण अपने अधिपित के मस्तक पर गंगा के दर्शन कर शांत हो जाते
है । इस तरह भूतभिष्यंगता रेाग नहीं होते है। - जिन
रोगियों की ऐसी स्थिति हो रोग के पहले गौमूत्र का सेवन कराने से रोगी के शरीर में
इतनी विरोधी शक्ति हो जाती है बिमारी नष्ट हो जाती है। - जहर
के द्वारा रोग होने के कारण पर गौमूत्र विषनाशक होने के चमत्कार के कारण ही
रोननष्ट करता है। बड़ी-बड़ी जहरीली औषध्यिों गौमूत्र से शुद्ध होती है। गौमूत्र ,
मानव शरीर की रोग प्रतिरोधीनी शक्ति को
बढ़ाकर रोगों को नाश करने की क्षमाता देती है निर्वेष होते हुए विषनाशक है।
गौमूत्र
का उपयोग विभिन्न बिमारी में –
- कब्ज
के रोगी को पेट की शुद्धि के लिये गौमूत्र को अधिक बार कपड़े से छानकर पीना चाहिए। - गौमूत्र
में हरड़े चूर्ण भिगोकर धीमी आंच से गरम करना चाहिए। जलीय भाग जल जाने पर इसका
चूर्ण उपयोग में लिया जाता है। गौमूत्र का सीधा सेवन जो नहीं कर सकता है उसे इस
हरडे का सेवन करने से गौमूत्र का लाभ मिल सकता है। - जीर्णज्वर
पाण्डु सृजन आदि में किरातिक्त चिरायता के पानी में गौमूत्र मिलाकर सात दिन तक
सुबह और शाम पीना चाहिए। - खांशी
का दमा जुकाम आदि विकारों में गौमूत्र सीधा ही प्रयोग में लाने से तंरत ही कफ
निकलकर विकार शमन होता है। - बच्चों
को खोखली खांसी होने पर गौमूत्र को छानकर उसमें हल्दी का चुर्ण मिलाकर पिलाना
चाहिए। - पाण्डु
रोग में हर रोज सुबह खाली पेट ताजा और खच्छ गौमूत्र कपड़े से छानकर नियमित पीने
से 1 माह में अवश्य लाभ होता है। - उदर
के किसी भी रोग में गौमूत्र को पीने से लाभ होता है। - जलोदर
में रोगी केवल गाय का दूध सेवन करें और साथ साथ गौमूत्र में शहद मिलाकर नियमित
पीना चाहिए। - चरक
के मतानुसार लोह के बारीक चूर्ण को गौमूत्र में भिगोकर इसको दुध के साथ सोवन करने
से पाण्डुरोग में शीघ्र लाभ होता है। सेवन से पहले खूब छानना जरूरी है। - शरीर
की सूजन में केवल दूध पीकर साथ में गौमूत्र का सेवन करना चाहिए। - गौमूत्र
में नमक और शक्कर समान मात्रा में मिलाकर पीने से पेट की बीमारी शमन मिटता है। - गौमूत्र
में सेधव नमक और राई का चूर्ण मिलाकर पीने से उदर रोग मिटता है। - आंखो
की जलन, कब्ज्,
शरीर में सुस्त और अरूची में गौमूत्र में
श्क्कर मिलकार लेना चाहिए । - खास,
फुन्सियां विचर्चिका में गौमूत्र में
आंबाहल्दी चूर्ण मिलाकर पीन चाहिए। - प्रसुति
के बाद सुवा रोग में स्त्री को गौमूत्र पिलाने से अच्छा लाभ होता है। - चर्म
रोग में हरताल वाकुची तथा मांलकांगनी को गौमूत्र में मिलकार सोगठी बनाकर इसे दूषित
त्वचा पर लगाना चाहिए। - सफेद
कुष्ठ में बाचवी के बीच को गौमूत्र में अच्छी तरह से पीसकर लेप करना चाहिए। - कान
में वेदना आदि विकारों में गौमूत्र को गर्म करके इसकी बूंद डालनी चाहिए। - शरीर
में खुजली होने पर गौमूत्र को गर्म करके इसकी बूंद डालनी चाहिए। - शरीर
में खुजली होने पर गौमूत्र का मालिश और स्नान करना चाहिए। - कृष्णजीरक
को गौमूत्र में पीसकर इस का शरीर पर मालिश और स्नान करना चाहिए। - ईट
को खूब तपाकर गौमूत्र में इसे बुझाकर कपड़े में लपेटकर यकृत और प्लीहा तिल्ली की
सूजन पर सेंक करने से लाभ होता है। - मूत्र
का अवरोध होने पर 50 ग्राम पानी में 20 ग्राम गौमूत्र मिलाकर पीन चाहिए। - कृमि
रोग मेंडीकामाली का चूर्ण गौमूत्र के साथ देना चाहिए। - सुवर्ण
लोह वत्सनाथ कुचला आदि का शोधन करने के लिए और भस्म बनाने के लिएऔश्धिनिर्माण
में गौमूत्र का उपयोग होता है वह विषैले द्रव्यों का विषप्रभाव नष्ट करता है
शिलाजित की शुद्धि भी गौमूत्र से होती है। - चर्म
रोग में उपयोगी महामरिच्यादि तेल और पंचगव्य धृत बनानेह में गौमूत्र उपयोग में
लाया जाता है। - हाथी
पांव फाइलेरिया रोग में गौमूत्र सुबह में खाली पेट लेने से मिट जाती है। - गौमूत्र
का क्षार उदर वेदना में मूत्ररोधमें तथा वायु का अनुलोमन करने के लिए दिया जाता
है। - गौमूत्र
सिर में अच्छी तरह से मालिश करके थोड़ी देर तक रखना चाहिए। सूखने के बाद धोने से
बाल सुन्दर होते है। - गौमूत्र
में पुराना गुड़ और हल्दी चूर्ण मिलाकर पीने से दाद,
कुष्ठरोग और हाथी पांव में लाभ होता है। - गौमूत्र
के साथ ऐरंड तेल एक माह तक पीने से सधिवात और अन्य वातविकार नष्ठ होते है। - बच्चों
को उदर तथा पेट फूलने पर एक चम्मच गौमूत्र में थोड़ा नमक मिलाकर पिलाना चाहिए।
बूटिया व जहर के पदार्थ गौमूत्र से ही शुद्ध किये जाते है। गौमूत्र से मन प्रसन्न
एवं शरीर के रोग नही होते है।यदि हो भी जावे तो सफलता से ठीक हो जाते हैं। - बच्चों
को सुखा रोग होने पर एक मास तक सुबह और शाम गौमूत्र में केशर मिलाकर पिलाना
चाहिए। - शरीर
में खाज खुजली होतो गौमूत्र में नीम के पत्ते पीसकर लगाना चाहिए। - गौमूत्र
में खाज खुजली होतो गौमूत्र में नीम के पत्ते पीसकर लगाना चाहिए।
- गौमूत्र
के लगातार सेवन से शरीर में स्फूर्ती रहती है,
भूख बढ़ती है और रक्त का दबाव स्वाभाविक
होने लगता है। - क्षय
रोगी को गोबर और गौमूत्र की गंध से क्षय के जंतु का नाश होने से अच्छा लाभ होता है
अत: इसे गौशाला में रखें और इसकी खाट को गौमूत्र से बार – बार धोना चाहिए। - दाद
पर धतुरे के पत्ते गौमूत्र में ही उबालें। गाढ़ा होने पर ही लगावें। - टाइफाइट
या किसी भी दवाई खाने से सर या किसी स्थान के बाल उड़ जाते है तो गौमूत्र में तम्बाकू
को खूब पीसकर डाल देवें। 10 दिन बाद पेस्ट टाइप बन जाते हैं। सर में भी लगा सकते है। - कामला
पीलीया जॉनडीस रोग में गौमूत्र अति उपयोगी है।
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