15 वें वित्त आयोग की रिपोर्ट
⦿भारत के 15वें
वित्त आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट को 5 साल की अवधि के लिए प्रस्तुत किया है।
⦿यह रिपोर्ट भारत
की नगर पालिकाओं के वित्तीय प्रशासन को बदलने के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई।
style=”display:block; text-align:center;”
data-ad-layout=”in-article”
data-ad-format=”fluid”
data-ad-client=”ca-pub-4113676014861188″
data-ad-slot=”8191708762″>
15 वें वित्त आयोग की पृष्ठभूमि
⦿वित्तीय वर्ष
2020-21 के लिए अंतिम रिपोर्ट बजट 2020-21 के साथ संसद में पेश करेगी गई थी ।
⦿वित्तीय वर्ष
2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025–26
के लिए अंतिम रिपोर्ट बजट 2021-22 के साथ-साथ पेश की गई थी।
⦿रिपोर्ट के
मुख्य बिंदु 15 वे वित्त आयोग ने अंतरिम रिपोर्ट में भारत की नगर पालिकाओं के
वित्तीय शासन के लिए सीमा बढ़ा दी है।
⦿इस अंतिम
रिपोर्ट में 4 विशिष्ट एजेंटों पर फोकस किया गया है।
- 15 वे वित्त
आयोग ने नगर पालिकाओं के लिए समग्र परिव्यय बढ़ाने की कोशिश की है वित्त वर्ष
2020-21 के लिए उन्हें 29000 करोड रुपए निर्धारित किए हैं।इससे स्थानीय
निकायों के कुल अनुदान में नगर पालिकाओं की हिस्सेदारी को 30% से बढ़ाकर 40% करने
का संकेत भी दिया है। - भारत में किसी भी नगरपालिका के लिए वित्त आयोग
के अनुदान प्राप्त करने के लिए दो प्रवेश शर्तें निर्धारित की गई हैं। - लेखा परीक्षा
वार्षिक खातों का प्रकाशन और मंजिल दरों की अधिसूचना 15 वे वित्त आयोग ने 1 मिलियन
से अधिक जनसंख्या वाले शहरी समूह और अन्य शहरों के बीच अंतर करने के दृष्टिकोण को
अपनाया है। - यह नगरपालिका
खातों के लिए एक सामान्य डिजिटल प्लेटफॉर्म नगर पंचायत बालिका का समेकित दृष्टिकोण
और राज्य स्तर पर सेक्टरल परिवार के अलावा स्रोत पर व्यक्तिगत लेनदेन के डिजिटल
फुटप्रिंट की भी सिफारिश करता है।
⦿अंतरिम रिपोर्ट
के 4 पहलू इस बात को उजागर करते हैं कि 15 वे वित्त आयोग का उद्देश्य नगर निगम के
वित्त सुधार लाना है हालांकि इन सुधार को लाने की न्यू भी 13 व 14 वें वित्त आयोग
द्वारा रखी गई थी।