हरितालिका तीजा(teeja)। teeja Chhattisgarh 2021
हिंदू परंपरा में हरितालिका तीजा(teeja) का विशेष महत्व माना गया है. जो सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती है. यह पर्व छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र , झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, में धूमधाम से मनाया जाता है. तीजा त्यौहार teeja tyohar मां पार्वती पर आधारित है. तीजा(teeja)के दिन गौरी-शंकर की पूजा की जाती है
- तीजा कब हैं (tija kab hai)-9 सितम्बर 2021
- teeja 2021 date-9 सितम्बर 2021
भारत के कई राज्यों में यह पर्व तीजा एवं तीज के नाम से मशहुर हैं यह की विवाहित स्त्रीयों द्वारा पति की लंबी कामना के लिए यह पर्व मनाया जाता हैं। कुमारी कन्याएं जिन्हें सुयोग्य वर चाहिए वे भी हरितालिका व्रत का पालन करती हैं एवं तीज मनाती हैं। मगर छत्तीसगढ़ में केवल विवाहित स्त्रीयां के द्वारा तीज तिहार पर व्रत एवं कार्यक्रम किया जाता हैं।
तीजा(Teeja tihar 2021) का महत्व-
इस व्रत में सुहागिन अपने पति की लंबी आयु पाने और सौभाग्य की रक्षा हेतु इस व्रत का पालन बड़ी कठोरता से करती है। इस व्रत में निजर्ल उपवास रखा जाता हैं।
तीजा व्रत (teeja vrat) एव पूजा विधि-
Teeja tihar 2021 [Teeja in chhattisgarh]
छत्तीसगढ़ में सुहागिन अपने माइके जाकर तीजा मनाती हैं। सारा आयोजन अपने माइके में ही किया जाता हैं।
- संकल्प – रात को कड़ू भात यानी खीरा, करेला और चावल को पकाकर खाने की परंपरा निभाई जाती हैं।
- निर्जला व्रत – अगले दिन पूरी तरह से निर्जला व्रत रखकर शिव पार्वती की पूजा की जाती हैं।
- व्रत की समाप्ती– फिर नये दिन स्नान कर पूजा करके अपने व्रत (teeja vrat) को तोड़ा जाता है।’
Teeja in all india
तीजा या हरितालिका व्रत भाद्रपद महिने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यदि तृतीया दिन हस्त नक्षत्र हो तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। तृतीया के दिन सुबह दैनिक कियाकलाप करके, नाहा कर विधि विधान प्रारंभ किया जाना चाहिए। सुहागन स्त्रियां को यह निश्चति करना चाहिए कि हरितालिका व्रत सात जन्म तक राज्य और अखंड सौभाग्य वृद्धि के लिए उमा का व्रत करती हूं। फिर गणेश की पूजा करके गौरी सहित महेश्वर का पूजन करें।
घर के अंदर पूजा का कार्यवाही करनी चाहिए। घर को केले के पत्तों , स्तंभों से सजाकर, मंडप तोरण बनाए। दिन के समय और फिर सायंकाल शिव पार्वती की मूर्ति का पूजन, अर्चना विधि विधानानुसार करके सुहाग की सारी वस्तुए रखकर मां पार्वती को चढ़ाए। इसके बाद पति की दीर्घायु की प्रार्थना करें। ब्राह्मण या पुरोहित को भोजन कराकर दक्षिणा देने का विधान है। अंत में पति के साथ कथा सुनें, फिर व्रत (teeja vrat) का पालन करें।
तीजा(Teeja tihar 2021) क्यों मनाते हैं तीजा का इतिहास-
तीजा(teeja) कथा- नारद से पार्वती के पिता से कहा आपकी कन्या ने अनेक वषौं तक कठोर तप किया है उसी से प्रसन्न होकर श्री विष्णु आपकी सुपुत्री से विवाह करने की इच्छा रखते हें। इस कारण मैं यह संदेश आप तक पहूंचाने आया हूं। पिता ने कहा मुझे कोई आपत्ति नहीं है। इस पर नारद जी ने विष्णुजी को इस विवाह की स्वीकृति बता दी । जब पार्वती को यह बात मालूम हुई तो वह बहुत दुखी होकर प्राण त्यागने की सोचने लगी। यह देखकर उनकी एक सहेली ने उन्हें घने जंगल में जाकर भगवान शंकर की तपस्या करने की सलाह दी। सच्चे दिल से भगवान शकर को वरण करने वाली पार्वती अपनी सहेली के साथ तपस्या करने लगी। इधर वचन भंग की चिंता में उनके पिता परेशान हो गये। उन्हें सभी कर्मचारी को पार्वती की खोज में लग दिया।
भाद्रपद शुक्ल तृतीया के दिन व्रत (teeja vrat) करके शिव लिंग का पूजा और रात जागकर तपस्या करने के कारण शिवजी प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन्हें अपनी अर्धागिनी स्वीकार कीया । अगले दिन सुबह जब पार्वती तप सामग्री को नदी में विसर्जित कर रही थी। उसी समय उनके पिता वहां पहूंचे। और उनकी व्यथा जानकर उन्होने शंकर जी से उनका विवाह करवाया। फिर शंकर जी ने कहा कि पार्वती इस हरितालिका व्रत teeja vrat को जो स्त्री मन से करेगी उसका सुहाग तुम्हारे समान ही पवित्र होगा। और उसकी रक्षा मैं स्वयं करूंगा।