सर्व कार्य सिद्धि हनुमान शाबर मंत्र ! हनुमान जी की आरती ! हनुमान चालीसा का पाठ ! सर्व कार्य सिद्धि हनुमान मंत्र संग्रह
इस पोस्ट में हनुमान भगवान के संबंधति उनके भक्ति के लिए हनुमान चालीसा, हनुमान चालीसा का पाठ, हनुमान चालीस दोहा, का डिजिटल रूप में अर्थात हनुमान चालीसा लिखित में वर्णन कीया गया है।
साथ ही साथ नीचे की ओर हनुमान चालीसा का पाठ के बाद hanuman arti lyrics एवं जय हनुमान जी की आरती jay hanuman ji ki aarti की श्रृंखला हैं।
इसके आगे पढ़ते हुए कार्य सिद्धि हनुमान मंत्र एवं हनुमान शाबर मंत्र संग्रह एवं हनुमान शाबर मंत्र 1 एवं 2, hanuman shabar mantra in hindi में पढा जा सकता हैं।
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हनुमान चालीसा ! हनुमान चालीसा का पाठ ! हनुमान चालीसा दोहा
।। दोहा ।।
श्री गुरू चरन सरोज, निज मनु मुकुर सुधारि ।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन कुमार ।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस बिकार, ।।
।। चौपाई ।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जयकपीस तिहुंलोक उजागर ।
रामदूत अतुलित बल धामा, अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ।
महाबीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी ।
कंचन वरन विराज सुवेजा, कानन कुंडल कुंचित केसा ।
हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजै, कांधे मूंज जनूऊ साजै ।
शंकर सुवन केसरी नन्दन, तेज प्रताप महा जग वन्दन ।
विद्यावान गुनी अति चातुर, रामकाल करिबे को आतुर ।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, रामलषन सीता मन बसिया ।
सूक्ष्मरूप धरि सियहिं देखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा ।
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे ।
लाय सजीवन लषन जियाये, श्री रघुबीर हरषि उर लाये ।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि समभाई ।
सहस बदन तुम्हरो यश गावै । अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ।
सनकादिक ब्रह्यादि मुनीसा, नारद सहित अहीसा ।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कवि कोविद कहि सके कहा ते ।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा ।
तुम्हरो मन्त्र बिभीषनु माना,लंकेश्वर भय सब जग जाना ।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं, जलधि लॉघि गये अचरज नाहीं ।
दुर्गज काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।
राम दुआरे तु रखवारे, होत न आज्ञा बिन पैसारे ।
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डर ना ।
आपन तेज सम्हारो आपै,तीनो लोक हांक ते कांपे ।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै, महाबीर जब नाम सुनावै ।
नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बीरा ।
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बजन ध्यान जो लावैं ।
सब पर राम तस्वी राजा, तिनक काज सकल तुम साजा ।
और मनोरथ जो कोई लावै, सोइ अमित जीवन फल पावै ।
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा ।
साधु सन्त के तुम रखवारे । असुर निकन्दन राम दुलारे ।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता ।
रसायन तुम्हारे पासा, सदा रहे रघुपति के दासा ।
तुम्हरे भजन राम को भावै, जनम जनम के दुख बिसरावैं ।
अंतकाल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्त कहाई ।
और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेइ सर्व सुख करई ।
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बल बीरा ।
जै जै जै हनुमान गोसाई, कृपा करहु गुरूदेव की नाई ।
जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहिं बन्दिं महासुख होई ।
जो यह पढै़ हनुमान चालिसा, होय सिद्ध साखी गौरीसा ।
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ ह्रदय महं डेरा ।
।। दोहा ।।
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
रामलखन सीता सहित, ह्रदय बसहु सुरभूप ।।
।। इति हनुमान चालीसा समाप्त ।।
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श्री हनुमान जी की आरती
कार्पासवर्त्तिकायुक्तं दिव्यं घृतेन पूरितम् ।
आर्तिक्यं संगृहाणेदं कृपया करूणानिधे ।।
ॐ श्री हनुमतेनम : नीराजनं समर्पयामि ।
आरती कीजै हनुमान लला की,दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।। टेक ।।
जाके बल से गिरिबर कांपै, रोग दोष जाके निकट न झांपै ।। 1 ।।
अंजनि पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई ।। 2।।
दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सीय सुधि लाये ।। 3।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई, जात पबनसुत बार न लाई ।। 4।।
लंका जारि असुर संहारे, सिया राम जी काज संवारे ।। 5।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आनि सजीवन प्राण उबारे ।। 6 ।।
पैठि पताल तोरि कज कारे, अहिरावन की भुजा उखारे ।। 7।।
बांये भुजा असुर दल मारे, दाहिने भुजा संतजन तारे ।। 8 ।।
सुर नर मुनि आरती उतारै, जै-जै-जै हनुमान जी उचारे ।। 9।।
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई ।। 10 ।।
जो हनुमान (जी ) की आरति गावै, बसि बैकुंठ परम पर पावै ।। 11 ।।
लंक विध्वंस कियौ कपिराई, तुलसिदास स्वामी आरति गाई ।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेज ।
त्वमेज विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेन सर्वं मम देव देव ।।
सर्व कार्य सिद्धि हनुमान मंत्र
# हनुमान सिद्ध मन्त्र #
ॐ हनुमान पहलवान ।
बरस बारहा का जवान ।
हाथ में लड्डू मुख में पान ।
आओ आओ बाबा हनुमान ।
न आओ तो दुहाई महादेव गौर पार्वती कि ।
शब्द सांचा ।
पिंड कांचा ।
फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।
हनुमान जागृति मंत्र विधि – यह अनुष्ठान मंगलवार य सनिवार को सुरू करो। मंदिर में जाकर हनुमान जी कि पूजा करके उनका सीधा दो। सीधे में लंगोट, जनेउ, सिंदूर ओर चोला होत है। 40 दिनों तक 21 माला जपो सुर्योदय से पहले। हनुमान जी दर्शन देंगे– मनचाहा वार मांग लेना।
अनुष्ठान के दौरान साफ और निष्पाप रहना है। इस सिद्ध के बाद हनुमान जी को आप जैसा कहेंगे वैसा वो आपके लिये करेंगे।
हनुमान शाबर मंत्र साधना
hanuman shabar mantra ! हनुमान शाबर मंत्र -1
# हनुमान शाबर सिद्धि मंत्र #
अजरंग पहनू ।
बजरंग पहनू ।
सब रंग रखु पास ।
दायें चले भीमसेन ।
बाएं हनुमान ।
आगे चले काजी साहेब ।
पीछे कूल बलारद ।
आतर चौकी कच्छ कुरान ।
आगे पीछे तु रहमान ।
घड़ खुदा, सिर राखे सुलेमान ।
लोहे क कोट ।
ताम्बे का ताला ।
करला हंसा बीरा ।
करतल बसे समुन्द्र तीर ।
हांक चले हनुमान कि ।
निर्मल रहे शरीर ।
शब्द सांचा । पिंड कांचा ।
फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।
हनुमान शाबर मंत्र विधि –
यह अनुष्ठान 21 दिनों का है। प्रतिदिन 21 माला का जाप करना है । हनुमान की पूजा मदिर में दें, जनेउ , लाल लंगोट, ध्वजा, सिंदूर, और चमेली का तेल । इसी दौरान हनुमान जी दर्शन देंगे जो भी इच्छा होंगी वो मांग लेना ।
हनुमान शाबर मंत्र साधना
hanuman shabar mantra ! हनुमान शाबर मंत्र- 2
# हनुमान जागृत करने का मंत्र #
हनुमान जाग ।
किलकारी मार ।
तु हुंकारे ।
राम काज संवारे ।
ओढ़ सिंदूर सीता मैया का ।
तू प्रहरी राम द्वारे ।
मैं बुलाऊं तु अब आ ।
राम गीत तु गाता आ ।
नहीं आये तो हनुमान ।
श्री राम जी ओर सीता मैया कि दुहाई ।
शब्द सांचा ।
पिंड कांचा ।
फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।
हनुमान जागृति विधि –
21 माला प्रत्येक मंगलवार को सुर्योदय से पहले 11 मंगलवार तक ये अनुष्ठान करना है। हनुमान जी कि पूजा देना है जैसा पहले मंत्रों में दिया गया है जब बाबा उपस्थित हो तो वर मांग लेना है।
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