वृक्षारोपण (Vriksharopan) ! वृक्षारोपण का महत्व (vriksharopan ka mahatva)
essay on vriksharopan in hindi ! vriksharopan essay in hindi
वृक्ष मानव मित्र हैं। ये मानव को दैहिक, दैविक, एवं भौतिक तीनों तापों से मुक्ति दिलाने में सहायक है। हमारे प्राचीन धर्मग्रंथ और आज का विज्ञान देानों वृक्षों की महिमा का भरपूर गुणवान करते हैं। हमारे धर्मग्रंथ तो वृक्षों को देवतुल्य समझतें हैं। गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं- अश्वत्थ: सवृक्षाणाम्। अर्थात्– वृक्षों में मैं पीपल हूं। यह भी ज्ञात है कि पीपल वृक्ष के नीचे ही भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। आज का विज्ञान भी यह साबित कर चुका है कि सबसे अधिक प्राणवायु ऑक्सीजन पीपल वृक्ष से ही मिलता है। इसलिए हमारे देश में पीपल की पूजा की जाती है। इसके तने, पतियों एवं बीच सभी रोगों के इलाज में प्रयुक्त होते हैं। यही कारण है कि तुलसी का पौधा प्राय: हर हिन्दू के घरों में पाया जाता है।इसी प्रकार अशोक की छाल एवं पत्तियों से भी अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषध्यिां बनायी जाती हैं। अपने नाम के अनुरूप यह वृक्ष हमारे शोंकों का भी शमन करता है।तभी तो गोस्वामी तुलसी दास रामचरितमानस में लिखते हैं-
सुनहि विनय मय विहप अशोका।
सत्य नाम करन हरू मय सोका।। (सुन्दर कांड)
नीम के बारे में कहना ही क्या है ? इसकी उपयोगिता अवर्णनीय है। इसका रस, गोंद, पत्ती, फल, बीज एवं तना सभी के सभी उपयोगी हैं। नीम के संम्बन्ध में एक कहानी सुनी जाती है।यूनान देश के एक वैद्य के पास अपने एक दूत को भेजा। पत्र में लिखा था- श्रीमान। मैं एक कुष्ठ रोगी भेज रहा हूं। आप इसे ठीक कर वापस भेज दें। भारतीय वैद्य ने प्रत्युत्तर के साथ दूत को वापस भेज दिया, और दूत को यह हिदायत दी गई कि रास्तें में तुम्हें जहां जहां नीम का वृक्ष मिले उसी की छाया में विश्राम करना उसी की पत्ती एंव छाल को ओंटकर पीना एंव नीम जल से ही स्नान करना। कुछ समय उपरांत दूत युनानी वैद्य के समक्ष प्रत्युत्तर के साथ उपस्थित हुआ। प्रत्युत्तर में भारतीय वैद्य ने लिखा था- मैं एक स्वस्थ व्यकित को भेज रहा हूं। सचमुच यूनानी वैद्य के सामने एक स्वस्थ व्यक्ति खड़ा था। इसी प्रकार कमोबेकश सभी वन सम्पदा से मानव को लाभ ही लाभ है। फलदार वृक्ष को मानव के लिए वरदा है। शाकाहारी भोजन फलों के बिना असंतुलित माना जाता है। आम, अमरूद, एवं केले की मिठास और अंगूर की पौष्टिकता से भला कौन परिचित नहीं हेागा? वृक्षों से अच्छी वर्षा होती है भू रक्षण् होता है वायु प्रदूषण कम होता है इतना ही नहीं लाह और रेशम के कीड़े वृक्षों पर ही पलते हैं। कागज का निर्माण चीड़ और बांस से होता है। भवन निर्माण, कुर्सी, टेबल, रेस के डब्बे एंव अन्य फर्नीचर लकड़ी से बनते हैं। लकडी की उपयोगिता सर्वि वदित है।
वृक्षों से हमें नैतिकता ओर परोपकार के संदेश मिलते हैं-
वृक्ष कबहुं नहिं फल भखै नदी न संचै नीर।
परमारव के कारने, साधुन धरा शरीर।।
लेकिन आज का भौतिकवादी मानव अपनी सुख सुविधा और अपने लाभ के लिए वृक्षों की अंधाधुंध कटाई कर रहा है। इससे पृथ्वी पर वनक्षेत्र के प्रतिशत में भारी कमी आ गई है।
वृक्षों की कमी से उत्पन्न अनेक पर्यावरीय समस्याओं से निजात पाने का एक मात्र उपाय है कि हम वृक्षों को अधिक से अधिक संख्या में लगायें। इसके लिए सड़क के दोनों ओर एवं परती जगहों पर वृक्षारोपण (Vriksharopan) को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। वृक्ष लगाने वाले किसानों को सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलना चाहिए। इस पवित्र कार्य में उन्हें आर्थिक सहायता भी मिलनी चाहिए।
यह खुशी की बात है कि अब हरे वृक्षों को काटना कानूनी अपराध घोषित कर दिया गया है। वृक्षारोपण (Vriksharopan) को बीस सूत्री कार्यक्रम में स्थान दिया गया है लेकिन हमें वृक्षारोपण (Vriksharopan) को आंदोलनात्मक रूप् देना होगा। हमें वृक्ष बचाओं, देश बचाओं तथा वृक्ष लगाओ देश बचाओ का नारा होगा। हमें स्वीकार करना पड़ेगा कि वृक्ष हमारे मित्र हैं
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