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साक्षरता दिवस ! world
literacy day 2021! विश्व साक्षरता दिवस पर निबंध
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साक्षरता दिवस (vishva saksharta divas) पहले कब मनाया गया था ?
पहला
विश्व साक्षरता दिवस सन् 1966
में मनाया गया था और संयुक्त राष्ट्र
संघ ने वर्ष 2009-2010 को साक्षरता दशक की घोषणा कि थी । तब से
आज तक 8 सितंबर को पूरे विश्व में के रूप में मनाया जाता है।
World literacy day images status |
international literacy day 2021 ! international literacy day 2021 theme-
“Literacy for a human-centered recovery: Narrowing the digital divide”
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साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता हैं। vishva saksharta divas kyo manya jata hai
हर
साल 8 सितम्बर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया
जाता हैं। साक्षरता के महत्व एवं योगदान के लिए इस दिवस को पूरे दूनिया में
शिक्षा के क्षेत्र को सार्थक करने में किया जाता हैं । विश्व साक्षरता दिवस में
अशिक्षा गरीबी एवं वर्तमान स्वास्थ्य समस्या पर विशेष मंथन किया जाता है इस
बार कोविड 19 को ध्यान में रखकर विश्व साक्षरता
दिवस काआयोजन करने का प्रयास किया जा रहा हैं।
साक्षरता
दिवस में साक्षरता के महत्व में नीचे विशेष लेख लिखा गया है जिसमे साक्षरता क्या
है साक्षरता का उद्देश्य
साक्षरता के महत्व
पर निबंध लिखा गया हैं।
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साक्षरता दिवस पर निबंध vishva
saksharta divas 2021
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साक्षरता दिवस पर निबंध (Content)
विश्व साक्षरता दिवस(vishva saksharta divas)परिचय–
विश्व साक्षरता दिवस हर साल साक्षरता के महत्व एवं साक्षरता पर
जोर देने के लिए विश्व में मनाया जाता है। विश्व साक्षरता दिवस का मनाने का प्रमुख कारण व्यक्तिगत, सामुदाय और समाज से साक्षरता के महत्व
पर प्रकाश डालना!
- शिक्षा प्रकाश का वह स्त्रोत है जो जीवन केविभिन्न क्षेत्रों में व्यक्ति का सच्चा पथ प्रदशर्न करती है।
- शिक्षा व्यकित के सर्वांगीण विकास , समाज की चतुमुखी उन्नति और सभ्यता की बहुमुखी प्रगति का आधार शिला है। शिक्षा को मनुष्य का तीसर नेत्र माना जाता है।
- शिक्षा का प्रकाश व्यकित के सब संशयों का उन्मूलन और उनकी सब बाधाओं का निवारण करता है।
साक्षरता
सुचना और संचार के इस युग में अनपढ़ रहना विकास के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा है
इससे केवल व्यकित के विकास पर ही प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है अिपतु राष्ट्र
के विकास का मार्ग भी अवरूद्ध होता है आज्ञान के अंधेरे मे भटकने वाले निरक्षर न
केवल सामाजिक आर्थिक राजनैतिक तथा सांस्कृतिक शोषण के शिकार होते रहे है वरन वे
जागरूकता के अभाव में अपनी परतन्त्रता की जंजीर तोड़ने में असफल रहे हैं।
इंसान
समाज से पहले अपनी शिक्षा परिवार से प्राप्त करता है और परिवार ही उसका प्रथम
शिक्षालय या विद्यालय होता है। उसका प्रथम शिक्षक होती है उसकी माता एवं बाद में
पिता। जिस प्रकार प्रथम शिक्षक मां और दूसरा शिक्षक पिता होता है। और इसके बाद अगर
प्रथम विद्यालय की श्रेणी दी जायेगी तो वह है परिवार। और सबसे महत्वपूर्ण है
परिवार का साक्षर होना । यदि परिवार साक्षर है तो स्वाभाविक है उस परिवार के
सदस्यों का विचार भी स्वच्छ एवं आदर्श होगें।
गांधी
जी के विचार है। –
यहां साक्षर से मेरा आशय व्यकित के पूर्ण साक्षर या अत्यधिक
शिक्षित से ना होकर उसके संपूर्ण शरीर के विकास से है।
शिक्षा
से मेरा अभिप्राय है बालक और मनुष्य में शरीर आत्मा और मस्तिष्क के सर्वोत्तम
अंश की अभिव्यकित से है। अत: साक्षरता का प्रत्येक राष्ट्र के निर्माण में अत्यंत
महत्व है।
साक्षरता
क्या हैं –
साक्षरता शिक्षा का प्रवेश द्वार है, जो निरक्षर को समर्थ व सशक्त बनाती
है ताकि वे सामाजिक जीवन में प्रभावी ढंग से भाग ले सके।
हालांकि
साक्षरता का गुणगान प्राचीन काल से होता आ रहा है। – बिना पढ़े नर पशु कहावै, जग में सैकड़ो
दु:ख उठावै।
उपरोक्त
पक्तियां प्राचीन काल से ही प्रचलित है। निरक्षरता के अभिशाप को लोग प्राचीन समय
से समझते आ रहे हैं।
माता
शत्रु पिता बैरी येन बालो न पठित:
न शोभते
सभा मध्ये हंस मध्ये वहो यथा।
साक्षरता शिक्षा का प्रमुख
उद्देश्य–
साक्षरता
का उद्देष्य मानव को मूलभूत आवश्यकताओं के अलावा सामाजिक एवं सांस्कृतिक आवश्यकताओं
की पूर्ति पर यह शिक्षा विशेष ध्यान देती है, इसमें वह ज्ञान प्रदान किया जाता हे
जिसकी आवश्यकता प्रत्येक मनुष्य को वर्तमान में अपने जीवन को सुखकर सुन्दर और
संतुलित बनाने में सहायक होती है। इसका उद्देष्य मानव मात्र को परिवर्तन युग की
बदलती हु्ई रीतियों का ज्ञान देना हैं।
किसी भी
देश के सांस्कृतिक राजैनति व आर्थिक विकास के लिए साक्षरता एक पूर्व शर्त है।
साक्षरता न केवल एक शकित है वरन यह एक ऐसी प्रकिया है जिसमें विकास प्रयासों से
संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए लोगों को तैयार किया जा सकता है व इसके
माध्यम से अन्तर क्षेत्रीय सहयोग की प्राप्ति भी संभव है।
साक्षरता
का अर्थ-
साक्षरता
से आशय पढ़ना लिखना एंव साधारण अंक गणित का ज्ञान जिस व्यकित को आता है वह साक्षर
कहलाता है।
युनेस्कों
1976 के अनुसार- वह व्यकित जो अपने दैनिक जीवन से संबंधित तथ्यों से संबंध रखने
वाले छोटे तथा सरल विवरण न लिख सकता हो न पढ़ सकता हो और न समझ सकता हो निरक्षर
है।
किसी भी
देश की सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक राजनैतिक और तकनीकी उन्नति इस तथ्य पर निर्भर
करती है कि वहां के नागरिक किस सीमा तक शिक्षित है तथा शिक्षा के माध्यम से अपने
व्यवसाय में कितनी उन्नति करते है।
साक्षरता
का महत्व-
शिक्षा
ही सच्ची साक्षरता का मूला धार है।
स्वतंत्रता
वह है जो इंसान को अपने अस्तित्व और क्षमताओं का बोध कराती है समाज में पूर्ण रूप
से भागीदारी के अवसर और स्वयं अपने जीने की स्थितियां प्रदान करती है सच तो यह है
कि विकास की यात्रा में शिक्षा एक महत्पवूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है।अत:
प्रत्येक देश के समुचित विकास के लिए साक्षरता का विशेष महत्व है साक्षारता के
द्वारा प्रत्येक राष्ट्र अपने निर्धारित उद्देश्य को आसानी से प्राप्त कर सकता
है वही साक्षरता शिक्षा इन महत्वों की प्राप्ति कर सकें जो निम्न हैं-
लोकतंत्र
का मजबूत आधार हो-
वसुधैव कुटुम्बकम तथा जिओ और जीने दो की अवधारणा का उद्घोष करने
वाली भारतीय लोकतांत्रिक संस्कृति साक्षरता की सफलता से ही संभव है।
सामाजिक
न्याय व आर्थिक विकास-
साक्षरता ही सामाजिक न्याय व आर्थिक विकास की रीढ़ की
हठ्ठी है।
महिला
जागृति तथा विकास-
महिलाओं की सगजता एवं विकास साक्षरता के माध्यम से ही किया जा
सकता है। यह सुखद विषय है कि देश में महिला साक्षरता की दिशा में अत्यंत
प्रभावशाली कार्य हुये हैं। जिस समाज में महिलाओं की गुणवक्ता जितनी अधिक होती है
वह उतना ही सम्मानीय एवं स्वावलमम्बी होता है।
पंचायती
राज में साक्षरता-
ग्रामीण विकास के लिए पंचायती राज व्यवस्था लागू कि गयी है ।
चूंकि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का प्रतिशत हमारे देश में अभी भी न्यून है
इसलिए पंचायती राज व्यवस्था के अनेक दोष उभर कर सामने आ रहे हैं। पंचायती राज व्यवस्था
की सफलता ग्रामों में साक्षरता के प्रभावी प्रचार प्रसार के बिना संदिग्ध ही रह
जायेगी।
राष्ट्रीय
विकास-
किसी कुशल राष्ट्र के आर्थिक विकास में साक्षरता का अत्यन्त महत्वपूर्ण
योगदान होता है। देश की क्षमता की वृद्धि में साक्षरता का महत्व कम नहीं है । देश
का प्रगति के पथ मे ले जाने के लिए नवीन तकनीक का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक
है। साक्षर व्यकित राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
सामाजिक
पुनर्गठन एवं परिवर्तन-
सामाजिक क्रांति में साक्षरता का महत्वपूर्ण स्थान है ।
साक्षरता का सामाजिक क्रांति लाने में महत्वपूर्ण स्थान है। समाज में फैली अनेक
सामाजिक बुराइयों के प्रति व्यकित को सचेत करना एवं उनसे दूर रहने में साक्षरता
का विशेष योगदान है।
साम्प्रदायिक
सद्भाव-
साक्षरता के प्रति भावनात्मक और संवेदनात्मक लगाव के सहारे ही न केवल नव
साक्षर वरन अन्य लोग भी जीवन के बदलते परिवेश को समझ सकते हैं। उदाहरण के लिए
कुंआ या मंदिर का अर्थ केवल पानी लेने या पूजा स्थल मात्र से नहीं वरन बदलते
संदर्भ में इनका आशय भेदभाव से रहित उस सार्वजनिक स्थल से है। इस प्रकार की सोच
केवल साक्षरता तथा शिक्षा से ही संभव है।
वैश्वीकरण
की भावना का उत्तत्ति-
साक्षरता ही वैश्वीकरण की भावना का विकास कर सकती है।
वैश्वीकरण केइ से युग में यह साक्षरता का ही सफल है कि दुनिया के देश परस्पर
समीप आ रहे हैं तथा न केवल आपदा के समय वरन शिक्षा व्यापार उद्योग वाणिज्य
राजनीति एवं यहां तक कि सामाजिक विकास में भी एक दूसरे की सहायता कर रहे हैं।
आर्थिक विकास के मंच पर भूमण्डली करण उदारीकरण स्वरोजगार कृषि की उन्नति
उद्यमिता का विकास आदि सभी मुद्दे साक्षरता पर ही आश्रित है। साक्षरता को सामाजिक
आजादी के विकल्प के रूप में भी देखा जाना चाहिए।