महात्‍मा गांधी के पुण्‍य तिथि पर भाषण
Saheed diwash Speech ih hindi




शहीदों के चिता पर लगेंगे हर साल मेले

वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा।

हम लोग भारत के उस अमर शहीद के प्रति श्रद्धा
एवं सम्‍मान व्‍यकत करने के लिए इकठ्ठा हुए है जिन्‍होने देश के नाम पर अपने आपको बलिदान
कर दिया उन महान आत्‍मा ने हमारे राष्‍ट्र के गौरव त‍था देश के निवासियों के स्‍वाभिमान
के रक्षार्थ अपने जीवन का उतसर्ग कर दिया।

महात्‍मा गांधी के पुण्‍य तिथि पर भाषण । Saheed diwash Speech ih hindi



आज का दिन महान दार्शनिक शंत, स्‍वतंत्रता सेनानी, हमारे राष्‍ट्रपित बापु महात्‍मा गांधी
जी का पुण्‍य तिथि है। 30 जनवरी को एक घटना मे बापू की हत्‍या कर दि गई थी। महात्‍मा
गांधी के पुण्‍य तिथिा पर हम उन्‍हें याद कर रहे है। उनके बारे में कहना चाहूंगा- सत्‍य
ओर अहिंसा के पुजारी महात्‍मा गांधी को भारत के लोग प्‍यार
, श्रद्धा और आदर से बापू कहते हैं। आज उनकी
महात्‍मा गांधी के पुण्‍य तिथि है जब भारत आजादी की लड़ाई लड़ रहा था भारतीयों की चट्टानों
एकता के सामने अंग्रेजो को झुकना पड़ा था और 15 अगस्‍त  1947 को हमारा देश आजाद हो गया । 

भारत आजाद हो गया
लेकिन बिना तोप
, तलवार, बम के प्रयोग से सिर्फ अहिंसा और सत्‍य, के अशोक अस्‍त्र के सहारे। महात्‍मा गाधी
30 जनवरी 1948 को संध्‍या प्रार्थना सभा में जा रहे थे
, उसी समय नाथुराम विनायक गोडसे नामक व्‍यकित
ने इन्‍हें गोली मार दी। नाथुराम गोडसे ने महात्‍मा गांधी को गोली क्‍यों मारा
(Naturam godhse
ne gandhi ko kyu mara)
वो तो
नासमझ था। सत्‍य और अहिंसा के अद्वितीय पुजारी को पूजा के समय पूजा स्‍थल पर ही हिसा
द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया । सारा विश्‍व रो पड़ा। सारा विश्‍व स्‍तब्‍ध रह गया।
नेहरू के मुह से निकल पड़ा की प्रकाश्‍ चला गया ।एक कवि कहते है कि – बापू की अर्थी
नहीं चली अर्थी यह भारत माता की है
, यह लाश मनुज
की नहीं
, मुनजता के सौभाग्‍य विधाता की है।




महात्‍मा गांधी विरले महापुरूषों में से
थे जिन्‍हें करोड़ो लोग आध्‍यात्म्कि दृष्टिकोण से नहीं बल्कि मानवाता वादी दृष्टिकोण
से पूजते थे गांधी जी के विषय में कविगुरू रवीन्‍द्रनाथ टैगोर के कहा था कि – भिखारी
के लिबास में एक महान आत्‍मा लौटकर आयी है।

माउंटबेटन ने कहा कि गांधी की महानता को
मैं क्‍या बताउ- सारा संसार उनके जीवित रहने से सम्‍पन्‍न था और उनके निधन से व‍ह दरिद्र
हो गया है।

गांधी जी ने प्रिय दो जो वे हमेशा पसंद
करते थे-

वैश्‍णव जनते तेने कहिए जे पीर परायी जाणे
रे।

vaisnav jan tene kahiye je peer parayi jane re

ईश्‍वर अल्‍लाह तेरे नाम सबको सन्‍मति दे
भगवान।

Iswar allah tere naam sabko sanmati
de bhagwan




अंत में उनके लिए श्रद्धांजलि व्‍यक्‍त
करते हूए कहन चाहूंगा कि महात्‍मा गांधी ने सत्‍य आहिंसा
, और सत्‍याग्रह का सहारा लेकर उस बर्बर अंग्रेज
को भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया था। महात्‍मा गांधी युग पुरूष थे
, कालजीय थे, उनके सिद्धांतों का गांधीवाद के  नाम से जाना जाता है उनके विचारों को गांधी दर्शन
की संज्ञा दी जाती है । गांधी जी आज भी हमारे सामने है। क्‍यो कि उनके विचार आज भी
जिंदा है।

इतना कह कर मैं अपनी वाणी को रोकता हूं 

महात्‍मा गांधी अमर हैं भारत माता की जय ।

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