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bhugol indian geography के महत्वपूर्ण जानकारी पूर्ण सिलेबस के अनुसार notes के रूप में इस पोस्ट पर उपलब्ध है। भारत का भुगोल indian geography hindi notes
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bhugol indian geography के महत्वपूर्ण जानकारी पूर्ण सिलेबस के अनुसार notes के रूप में इस पोस्ट पर उपलब्ध है। भारत का भुगोल indian geography hindi notes
के आधार पर भारत को चार प्रमुख भौतिक प्रदेशो में विभक्त किया जा सकता है-
- उतर का पर्वतीय क्षेत्र
- प्रायद्विपीय पठार
- उतर भारत का विशाल मैदान
- तटवर्ती मैदान एवं द्वीपीय भाग
उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र हिमालय uttar ka parvatiya chetra himalaya
- यह क्षेत्र सिंधु नदी के गार्ज से शुरू होकर ब्रह्मपुत्र की सहायक देबांग नदी के गार्ज तक 5 लाख वर्ग कि.मी. क्षेत्र में
फैला है। - पूर्व से पश्चिम तक इसकी लम्बाई 2400 कि.मी. है। (हिमालय की भारत में कुल लम्बाई 2500 कि.मी.
है।) अरूणाचल में इसकी चैड़ाई 160 कि.मी. तथा कश्मीर में 400 कि.मी. तक है। इसकी औसत उंचाई 6000 मी. है। - एशिया महाद्वीप में जहाँ 94 चोटीयां 6500 मी. से अधिक उंची है जिनमे से 92 केवल इसी पर्वतीय प्रदेश में स्थित है।
- यह भारत की नवीनतम मोड़दार/वलित पर्वत श्रंखला है। यह अभी भी निर्माणावस्था में है।
- यह भारत में हिन्दूकुश पर्वत से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक 2500 किमी. लम्बे क्षेत्र में
फैला हुआ है। - इसकी उत्पति युरेशियन प्लेट के इंडो आस्ट्रेलियन प्लेट के
आपस में टकराने से हुआ।
प्लेट विवर्तिनिकी सिद्धान्त के प्रणेता हैरि
हेस के अनुसार
आज से लगभग 7 करोड़ वर्ष पहले साइनोजोइक महाकल्प
के काल/टर्शियरी काल में इंडो-आस्ट्रेलिया प्लेट के अभिसारी गति के परिणामस्वरूप
आपस में टकराने से एक वलित पर्वत का निर्माण हुआ जिसे हिमालय कहा गया। हिमालय की
उत्पति टेथिस सागर से हुई है इसलिए टेथिस सागर को हिमालय का गर्भग्रह कहा जाता है।
नोट- हिमालय के समकालीन प्रमुख पर्वत श्रंखलाएं
राकी, ग्रेट
डिवाईडिंग रेंज, आलम्पस
पर्वत श्रंखला है।
हिमालय का वर्गीकरण व विस्तार himalaya ka vargikaran aur vistar
उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र हिमालय , भारत के भौतिक प्रदेश |
(ट्रांस हिमालय, महान, लघु या मध्य व बाह्य) में विभाजित किया गया है।
1. ट्रांस हिमालय trans himalaya
महान हिमालय के उतर में ट्रांस हिमालय स्थित है। यह यूरेशियन प्लेट
का एक खण्ड है। इसे चार श्रेणीयों में कराकोरम
/कृष्णगिरी, लद्दाख, जास्कर
व कैलाश श्रेणी में बांटा गया है। जिसमें से कैलाश तिब्बत में स्थित है।
ट्रासं हिमालय को शीत मरूस्थल कहा जाता है।
क्योंकि यह हिमालय का वृष्टि छाया प्रदेश है।
भारत की सबसे उंची चोटी k2/गाडविन
आस्टिन ट्रांस हिमालय में स्थित है।
इण्डो सांग्पो शचर जोन/हिन्ज लाइन ट्रांस हिमालय को महान
हिमालय से अलग करतीहै।
काराकोरम को उच्च एशिया की रीढ कहा जाता है।
भारत का सबसे बड़ा ग्लेशियर सियाचीन कराकोरम में स्थित है।
मना, नीति, लिपुलेख आदि दर्रे जास्कर श्रेणी में
उतराखण्ड राज्य में स्थित है।
2. महान/वृहद हिमालय mahan vrihad himalaya –
यह सिंधु नदी के गार्ज से अरूणाचल में ब्रह्मपुत्र/देहांग नदी तक फैला हुआ है।
इसकी कुल लम्बाई 2400 से 2500 किमी है तथा इसकी औसत उंचाई 6100
मी. है।
इसे हिमाद्री/वृहद/विशाल हिमालय के नाम से भी जाना जाता है।
हिमालय तंत्र की नदियों का उद्गम स्थल महान हिमालय है।
विश्व की सबसे उंची चोटी मा. एवरेस्ट (8848/50
मी.) भी यहीं स्थित है।
भारत में स्थित हिमालय की सबसे उंची चोटी
कंचनजंगा (सिक्किम) स्थित है। इसकी उंचाई 8598 मीटर है।
इसमें जम्मु कश्मीर के बुर्जिल व जोजिला, हिमाचल के बड़ालाचाला व शिपकिला, उतराखण्ड के
थांगला व क्किम के नाथूला
व जेलेप्ला दर्रे महत्वपूर्ण है।
मेन सेन्ट्रल थ्रस्ट इसे मध्य/लघु हिमालय से
अलग करती है।
प्रमुख चोटियां – नागा पर्वर्तत 8124मी.(जम्मु
कश्मीर), नन्दा
पर्वत 7816 मी.(उतराखण्ड), कंचनजंगा 8598 मी.(सिक्किम) व मकालु 8481 मी. व मा. एवरेस्ट 8848 मी.
(नेपाल)
3. लघु हिमालय laghu himalaya
महान हिमालय के दक्षिण
में स्थित पर्वत श्रंखला लघु हिमालय/हिमाचल कहलाती है। इसका विस्तार पश्चिम में पीरपंजाल से शुरू होता है। यह सबसे लम्बी श्रेणी
है। इसकी उंचाई 3700 से 4500 मीटर है।
इस क्षेत्र में पाए जाने वाले पहाड़ी ढाल
में स्थित घास के मैदान मर्ग कहलाते है। जैसे- गुलमर्ग व सोनमर्ग । उतराखण्ड में ये घास के मैदान वुग्यार/वुग्याल/पायार कहलाते है।
मैन सेन्ट्रल थ्रस्ट महान
हिमालय व लघु हिमालय को विभाजित करती है।
पीरपंजाल (जम्मु कश्मीर), धौलाधर (उतराखंड), महाभारत (नेपाल) व नागटिब्बा (नेपाल) इसकी प्रमुख चोटियां है।
इसमें पीरपंजाल व बनिहाल नामक दो दर्रे है।
कांगड़ा व कुल्लू की घाटीयां इसमें स्थित है।
4. बाह्य हिमालय/शिवालिक bahya himalaya sivalik himalaya
इसका विस्तार पंजाब में पोतवार बेसिन से कोसी नदी (बिहार) तक है। यह हिमालय की सबसे बाहरी व नवीनतम श्रेणी है।
इसकी औसत उंचाई 900 से
1200 मी. है।
इसकी औसत चैड़ाई 15 से 30
कि.मी. है।
गोरखपुर के समीप इसे हूंडवा तथा पूर्व में इसे चूरिया मूरिया श्रेणी के नाम से जाना जाता है।
अरूणाचल में इसे डाफला व मिशमी की पहाड़ीयों के
नाम से जाना जाता है।
मैन बाउन्ड्री फाल्ट बाह्य हिमालय को लघु
हिमालय से अलग करती है।
लघु व बाह्य हिमालय के मध्य की घाटियां/दर्रे पूर्व में द्वार (हरिद्वार)
व पश्चिम में दून (देहरादून) कहलाते है।
देहरादून घाटी मोटे कंकड़ व कांप मिट्टी से ढकी है। इसे नमन घाटी भी कहा जाता है।
इसका निर्माण बजरी, बालु व कंकड़ की मोटी परतो से हुआ है। इसके
गिरिपद में अथवा उपहिमालय क्षेत्र में सिंधु के पूर्व व तीस्ता के बीच भाबर का मैदान फैला है।
हिमालय का प्रादेशिक/क्षेत्रीय वर्र्गीकरण himalaya ka pradesiya chetriya vargikaran
प्रादेशिक आधार पर हिमालय को 4 भागो में बांटा गया
है-
(1) पंजाब हिमालय (560 किमी.) punjab himalaya-
- इसका विस्तार सिंधु
नदी से लेकर सतलज नदी तक मिलता है। कराकोरम, लद्दाख, पीरपंजाल, धौलाधर व जास्कर श्रेणी इसके भाग है।
इसकी सबसे उंची चोटी k2 है।
(2) कुमायू हिमालय (320 किमी.) kumayu himalaya-
- इसका विस्तार सतलज
से काली नदी के बीच का क्षेत्र है। - नन्दा पर्वत इसकी सबसे उंची चोटी है।
- बद्रीनाथ, केदारनाथ, त्रिशुल, गंगोत्री आदि इसकी प्रमुख चोटियां है।
नीति व माना दर्रे भी इसी के भाग है।
(3) नेपाल हिमालय (800 किमी.) nepal himalaya-
- यह काली नदी से
तिस्ता नदी तक विस्तृत है। मा. एवरेस्ट, कंचनजंगा व मकालू इसकी सबसे उंची चोटी है। यह सबसे लम्बा हिमालय
भू भाग है। काठमाण्डु घाटी यहां की प्रमुख घाटी है।
(4) असम हिमालय (720 किमी.) asam himalaya –
- तिस्ता से
ब्रह्मपुत्र नदी के बीच यह हिमालय स्थित है। नामचा बरवा इसकी प्रमुख श्रेणी है। - पूर्वांचल पूर्वांचल की पहाड़ियाँ – यह हिमालय
के उतर से दक्षिण म्यांमार-भारत सीमा के सहारे फैली है। इन्हे अरूणाचल प्रदेश में
तिराप मण्डल तथा नागालैण्ड, मणिपुर एवं मिजोरम से गुजरने वाली पहाड़ी श्रेणीयों को पूर्वांचल की पहाड़ीयाँ कहा जाता है। - अरूणाचल
में मिशमी तथा पटकाई बुम पहाड़ीयाँ पाई जाती है। पटकाई बुम अरूणाचल प्रदेश व
म्यांमार के बीच सीमा बनाती है। मेघालय के पूर्वी भाग में जयन्तिया, पश्चिमी भाग में गारो तथा इन दोनो के
बीच में खासी पहाड़ी स्थित है। गारो के दक्षिण में सुरमा नदी का मैदान है। श्रंखला
के रूप में हिमालय का दक्षिणतम विस्तार अण्डमान – निकोबार द्वीप समुह एवं
इण्डोनेशिया तक पाया जाता है।