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भारतीय बहुउद्देश्यीय परियोजनाएँ Multipurpose water projects
बहुउद्देश्यीय
परियोजनाओं में सिंचाई, बाढ नियंत्रण,पेयजल आपुर्ति, जलविद्युत उत्पादन, नहरी परिवहन,पर्यटन आदि अनेक कार्य किए जा सकते है। जवाहरलाल नेहरू ने इन्हे आधुनिक भारत का मन्दिर एवं नए तीर्थ कहा है।
बहुउद्देश्यीय परियोजनाएँ BAHUDESSIYA PARIYOJNA |
दामोदर घाटी परियोजना Damodar vally project
यह
स्वतत्रं भारत की प्रथम बहुउद्देशीय परियोजना है। जो अमेरिका की टेनेसी घाटी परियोजना (1933) के आधार पर
वर्ष 1948 में प्रारम्भ की गई। इस परियोजना के संचालन के लिए
दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गई। दामोदर नदी छोटा नागपुर की पहाड़ीयों से निकल
कर प.बंगाल की हुगली नदी में मिल जाती है। इस परियोजना के तहत तिलैया, बाल पहाड़ी, मैथान, कोनार, बोकारो, एयर व पंचेत पहाड़ी बांध बनाए गए है।
भाखडा़ नांगल परियोजना bhakhda nagal project
यह
पंजाब-हिमाचल प्रदेश में सतलज नदी पर निर्मित यह देश की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय परियोजना है। भाखड़ा
बांध(हिमाचल) 518 मीटर लम्बा व 226 मीटर
उंचा है। यह भारत का दूसरा सबसे उंचा बांध है।
इसके पीछे देश की सबसे बड़ी मीठे पानी की कृत्रिम झील है। इसकी
आधारशीला प. ज्वाहरलाल नेहरू ने 17 नवम्बर 1955 का रखी तथा इसे चमत्कारी विराट
वस्तु की संज्ञा दी। पंजाब में रोपड़ के पास सतलज नदी पर बने बांध को नांगल नाम से
जाना जाता है। इस परियोजना से हिमाचल, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा
व दिल्ली को लाभ हो रहा है।
Rihand dam project
यह उतर प्रदेश में सोन नदी पर संचालित परियोजना है। इस पर गोविन्द
वल्लभ पन्त सागर नामक एक कृत्रिम झील बनाई गई है।
यह मध्य प्रदेश तथा उतर प्रदेश की सीमा पर स्थित है।
हीराकुण्ड
परियोजना Hirakund project
यह भारत की
वृहत बहुउद्देशीय परियोजना है। इसके अन्तर्गत ओड़िसा के संभलपुर में महानदी पर भारत का
सबसे लम्बा बान्ध बनाया गया है। जिसकी मुख्य संरचना
4800 मीटर/4.8 किमी तथा कुल लम्बाई 25.8 किमीहै।
महानदी को ओड़ीशा का शोक कहा जाता है।
कोसी परियोजना kosi pariyojna
कोसी नदी
को बिहार का शोक कहा
जाता है। यह परियोजना नेपाल के सहयोग से सम्पन्न हो पाई है। इसकी मुख्य नहर नेपाल
में कोसी नदी पर बने हनुमान नगर बैराज से निकाली गई है।
इंदिरा गांधी परियोजना indira gandhi
pariyojna
यह विश्व की विशालतम सिंचाई परियोजना है। इसका उद्घाटन 30 मार्च 1958 को तत्कालीन गृहमंत्री गोविन्द वल्लभ पंत ने किया। इस परियोजना के
माध्यम से रावी, व्यास व सतलज नदियों का संगम पर पौंग बांध से बनी परियोजना है। इससे इंदिरा गांधी नहर परियोजना संचालित की
गई है जो विश्व की सबसे लम्बी नहर परियोजना है।
इसकी
शुरूआत हिमाचल में सतलज व
व्यास के संगम पर हरिके
बैराज से होती है, जहां
से राजस्थान फीडर नहर (215 कि.मी.) निकाली गई है जो इंदिरा गांधी को जलापूर्ति
करती है तथा इसका अंतिम सिरा बाड़मेर में गडरा रोड़ है। इसकी कुल लम्बाई 649 कि.मी. है। मरूस्थल के प्रसार पर
नियंत्रण इस परियोजना के अतिरिक्त लाभ है।
चंबल नदी घाटी परियोजनाchambal nadi ghati pariyojna
यह
मध्यप्रदेश व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है। इस योजना को तीन चरणो में पुरा
किया गया। जो निम्न है-
स्थापित किया गया।
तुंगभद्रा
परियोजना
आंध्रप्रदेश व कर्नाटक के सहयोग से कृष्णा नदी पर स्थापित यह परियोजना
दक्षिण भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय परियोजना है। इस परियोजना के तहत पम्पा सागर
नामक जलाशय बनाया गया है जिससे तीन नहरे निकाली गई है। इस परियोजना के तहत मुनीरा, हम्पी व हास्पेट नामक विद्युत गृह बनाए गये है।
मयरूाक्षी परियोजना
झारखण्ड
में मेंसजोर नामक स्थान पर मयूराक्षी नदी पर बनी इस परियोजना पर कनाडा
बांध बनाया गया है।
शरावती परियोजना
यह कनार्टक मे भारत के सबसे जलप्रपात जोग
गरसप्पा/महात्मा गांधी जलप्रपात के निकट शरावती नदी
पर बनी है। यहां से गोवा, तमिलनाडू व बैंगलूरू के
औद्योगिक क्षेत्र को बिजली दी जाती है।
नाथपा झाकरी परियोजना
हिमाचल के
किनौर जिले में सतलज नदी पर स्थित यह परियोजना एशिया की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है। (1500
मेगावाट)
बगलिहार परियोजना
जम्मू
कश्मीर में चिनाब नदी पर स्थापित यह परियोजना भारत-पाक के मध्य विवाद का विषय बनी
हुई है। इसका समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुआ जिसने हाल ही में भारत के
पक्ष को स्वीकार करते हुए बांध की उंचाई को 1 मीटर
घटाने को कहा है। इसी नदी पर स्थित दूलहस्ती परियोजना भी विवादित है।
किशनगंगा/नीलम परियोजना
जम्मु
कश्मीर में झेलम की सहायक इस नदी पर भारत सरकार इस नदी के जल को दूसरे स्थान पर
भेजने के लिए 21 किमी. लम्बी जल सुरंग की योजना
बना रही है जिसका पाकिस्तान ने विरोध किया है। झेलम पर स्थित एक अन्य परियोजना वूलर
बैराज का भी पाकिस्तान विरोध कर रहा है। सितंबर, 2011
में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने भारत को बांध बनाने की अनुमति दे दी।
व्यास परियोजना
यह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान
व हिमाचल की संयुक्त परियोजना है।इसका निर्माण रावी, व्यास व
सतलज के संगम पर पोंग बांध व पंडोह ग्हेदर के रूप में हुआ है।इसका मुख्य उद्देश्य इंदिरा गांधी नहर में गर्मीयो में पानी की कमी
को पुरा करना है।
टिहरी
परियोजना
में भागीरथी व भीलांगना नदी पर स्थित इस परियोजना के तहत भारत का सबसे उंचा बांध (260.5 मी.) बनाया गया है। (विश्व का सबसे उंचा बांध
जिन पिंग बांध(305 मी.) फलोंग नदी, चीन में है।) इस बांध के पीछे का जलाशय स्वामी रामतीर्थ सागर नाम से जाना
जाता है। सुंदर लाल बहुगुणा के नेतृत्व में 1973 में चिपको आंदोलन इसी स्थान पर चलाया गया था। यह बांध भूकम्प संभावित क्षेत्र के जोन – v में बना है, जिस पर 8 या उससे अधिक तीव्रता के
भूकम्प आ सकते है।
सरदार
सरोवर परियोजना
यह मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है, जो नर्मदा व उसकी सहायक नदियों पर बनाई गई है। इस परियोजना में कुल 30 बड़े, 135 मध्यम व 3000 लघु बांध बनाए जा रहे है। 30 बडे़ बांधो में से 6
बहुउद्देशीय परियोजनाएँ, 5 जलविद्युत व 19 सिंचाई परियोजनाएँ संचालित है। इन मुख्य बांधो में से 10 नर्मदा व 20 नर्मदा की
सहायक नदियों पर बने है। पूर्ण होने पर यह परियोजना भारत का सबसे बड़ा कमान क्षेत्र
विकसित करेगी।
बाणसागर परियोजना
यह बिहार, उतरप्रदेश
व मध्यप्रदेश के द्वारा संयुक्त रूप से संचालित
परियोजना है। हाल ही में उतरप्रदेश व मध्य प्रदेश के मध्य इसके जल बंटवारे को लेकर
विवाद उत्पन्न हुआ है।
कावेरी परियोजना
यह
तमिलनाडू व कर्नाटक के मध्य विवाद का विषय है। फरवरी, 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस विवाद पर
निर्णय देते हुए कहा की कोई भी राज्य किसी भी नदी पर स्वामित्व का दावा नही कर
सकता है। न्यायालय ने कर्नाटक के हिस्से को 14.75 TMC बढाते हुए तमिलनाडू के अंश को अंश को 404.25 TMC तक सीमित कर दिया है।
गण्डक परियोजना
यह उतर
प्रदेश व बिहार के संयुक्त प्रयास से निर्मित परियोजना है जिसमे नेपाल भी शामिल हो
गया है। इससे 4 नहरे निकाली गई है जिनमें से 2
नेपाल में तथा 2 भारत में है। ये नहरे
वाल्मिकी नगर मे स्थित हनुमान नगर बैराज से निकलती है।
भारत के विभिन्न बांध
कार्यक्रम Dam Programme of india
- बांध पुनर्वास व सुधार योजना – इसके तहत 198 बांधो को चिन्हित किया गया है। इसे 1974-75
में प्रारम्भ किया गया। - अन्तराष्ट्रीय बांध सुरक्षा सम्मेलन – 23-24 जनवरी 2018 को केरल के तिरूवन्तपुरम
के कोवलम में प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय बांध सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमे
20 देशो ने भाग लिया। - कमान क्षेत्र विकास कार्यक्रम – वह क्षेत्र जहां बांधो से नहरे निकाल कर सिंचाई की
जाती है,
कमान क्षेत्र कहलाता है। भारत के 28 राज्यो व 9 केन्द्र शासित
प्रदेशो में कुल 310 कमान क्षेत्र विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे है, जिनसे लगभग 284 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है।
अन्य महत्वपुर्ण
तथ्य
- विश्व की सबसे प्राचीनतम नहर परियोजना गंगनहर है
जिसे बीकानेर के शासक महाराजा गंगासिंह के द्वारा 1927
में सतलज नदी से फिरोजपुर के हुसैनीवाला से निकाला गया। - तेलगु गंगा परियोजना कृष्णा नदी पर बनी महाराष्ट्र,
कर्नाटक, तमिलनाडु व आन्ध्रप्रदेश की संयुक्त
परियोजना है जिससे चेन्नई को पेयजल की आपुर्ति की जाती है। - भारत की सबसे पुरानी जलविद्युत परियोजना सिंद्रपोंग
1897 में दार्जीलिंग में स्थापित की गई इसके बाद 1902 में शिवसमुद्रम परियोजना
कावेरी नदी पर कर्नाटक में स्थापित की गई। - कृष्णा नदी जलविवाद प्राधिकरण ने अलमाटी बांध के
जल का 1001 TMC हिस्सा आन्ध्र प्रदेश, 911 TMC कर्नाटक तथा 666 TMC महाराष्ट्र
को प्रदान किया है।
भारत व पाक के
मध्य विवादित जल विद्युत परियोजनाएं
बगलिहार डेम
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चिनाब नदी
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दुलहस्ति परियोजना
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चिनाब नदी
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सलाल परियोजना
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चिनाब नदी
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किशनगंगा परियोजना
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नीलम/ किशनगंगा
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किरथई बांध
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चिनाब नदी
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सावालकोट बांध
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चिनाब नदी
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पाकल दूल डेम
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चिनाब नदी
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उरी परियोजना
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झेलम नदी
|
निमु बाजगो
|
सिंधु नदी
|
दुमखर परियोजना
|
सिंधु नदी
|
बुरसुर परियोजना
|
बुरसुर नदी
|
चुटक परियोजना
|
सुरू नदी
|
रातले परियोजना
|
चिनाब नदी
|