मशहुर पंडवानी गायिका तीजन बाई का जीवन परिचय Biography of Teejan Bai
मशहुर पंडवानी गायिका तीजन बाई का नाम कभी न कभी तो सुना ही होगा। छत्तीसगढ़ी लोक मंच की ख्याति पूरे विश्व में प्रसिद्ध है छत्तीसगढ़ी लगभग 10-12 समूह और उनके लगभग 250 कलाकार दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते आ रहे हैं ।
तीजन बाई ने अपनी अभिनय क्षमता गायन वादन की विशिष्टता लोक नृत्य की दक्षता और अपने लोक रंगी परिवेश से दुनिया भर के संस्कृति प्रेमियों को आकर्षित कर रहे हैं ।
पंडवानी गायिका तीजन बाई का जीवन परिचय |
भारत महोत्सव, अपना उत्सव, लोकोत्सव, लोकरंग, छत्तीसगढ़ लोक कला महोत्सव, परम महोत्सव, जगार, भिलाई भाटापारा रायपुर ,एसईसीएल महोत्सव, बिलासा महोत्सव, बिलासा कला मंच, बिलासपुर बसंत जगार, आदि लोग रंगों से विगत 20 से 25 वर्षों से अपनी अद्भुत और विशिष्ट कलात्मक प्रतिभा से जन मन को मुंह लेने वाले यह कलाकारों को हम छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक दूत कहते हैं ।
छत्तीसगढ़ी लोकनाट्य से संबंधित पंडवानी की प्रसिद्धि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर है पंडवानी गायिका तीजन बाई
पंडवानी गायिका का पर्याय बनी श्रीमती तीजनबाई उन्हें 1986 में फ्रांस में आयोजित भारत महोत्सव में अपनी विशिष्ट कला का प्रदर्शन के बाद ऐसा समय ना आया हो जब वह कई देशों में पंडवानी का प्रदर्शन के लिए उन्हें सविनय पूर्वक आमंत्रित किया गया हैं ।
पंडवानी गायिका के लिए उन्हें उन्हें ,पद्मविभूषण,पद्मभूषण, पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया इसके अलावा कई और भी सम्मानाें से सम्मानित किया गया वह भारत में घूम घूम कर कार्यक्रम का प्रदर्शन करती है और विदेशों में भीI
तीजन बाई बायोग्राफी | Tijan bai Biography
हाल ही में बॉलीवुड में खबर आई है कि तीजन बाई पर आधारित उनके बायोग्राफी पर एक मूवी को बनाया जा रहा है जिस की लीड रोल विद्या बालन और महान सदी के सबसे बड़े महानायक अमिताभ बच्चन भी उस फिल्म का हिस्सा होंगे इस पोस्ट में हम देखेंगे तीजन बाई के जीवन परिचय को करीब से जानने कोशिश करेंगे ।
पद्मभूषण तीजन बाई तीजन बाई का जन्म 1956 में पाटन दुर्ग में हुआ।
कापालीक लोकगीत शैली से संबंधित प्रख्यात गायीका छत्तीसगढ़ की लोक कला पंडवानी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाने का श्रेय तीजन बाई को जाता है ।
तीजन बाई की प्रमुख सम्मानों की लिस्ट
- भारत सरकार का पद्मविभूषण
- पद्मश्री सम्मान
- पद्मभूषण सम्मान
- मध्य प्रदेश का देवी अहिल्याबाई पुरस्कार
- संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली आदि कई और भी
तीजन बाई की एजुकेशन
यू तो उन्होनेे प्राथमिक स्तर की ही स्थानीय शिक्षा ली है। लेकिन विश्वविद्यालय की ओर से उनके अभिन्न योगदान हेेतु PHDअर्थात doctor of philosophy से सम्मानीत किया गया है।
पंडवानी गायन का आरंभ
1973 से ही उन्होंने पंडवानी गायन का आरंभ किया विदेशों में भारत महोत्सव में उन्होंने कई बार प्रतिनिधित्व किया ।
अब तक भारत के बड़े शहरों के साथ फ्रांस मॉरीशस बांग्लादेश स्विजरलैंड जर्मनी तुर्की माल्टा साइप्रस आदि देशों में कार्यक्रम उन्होंने प्रस्तुत किया रावण जीवन वाले तथा झाड़ू राम देवांगन से सीखने को मिला।
तीजन बाई का परिवार
उनके परिवार में 3 पुत्र हैं अपने ग्रुप के हारमोनियम वादक तुलसीराम देशमुख से उनका विवाह हुआ तीजन ने नृत्य अभिनय और लोक तत्व के अनेक मिश्रण से पंडवानी को प्रभावशाली बनाया वर्तमान में भिलाई इस्पात संयंत्र में सेवारत रही
पंडवानी क्या है
महाभारत के पांडवों की कथा का छत्तीसगढ़ में प्रदर्शन ही पंडवानी है इसमें प्रमुख नायक भीम को माना जाता है
पंडवानी के लिए किसी विशेष कोई समय आवश्यक नहीं पंडवानी में एक गायक एक रागी एक वाद्य संगत करने वाला व्यक्ति जो तबला हारमोनियम मंजीरा ढोलक को सही तरह से राग से जुड़े मुख्य गायक जो होगा वह तंबूरा और करताल बजाएगा
पंडवानी की शैलियां
पंडवानी को दो प्रकार से बांटा गया है 1 वेद मती 2 कापालिक वेदमती में शास्त्र सम्मत गायकी होती है वेदमती का आधार सबल सिंह चौहान द्वारा लिखे महाभारत को जो कि खड़ी भाषा में थी को पंक्ति रूप में लिखा गया है वेदवती सहेली का जो गायक होगा वह वीर आसन में बैठकर पंडवानी गायन करेगा झाड़ू राम देवांगन पुनाराम निषाद पंचू राम यह सब सर्वश्रेष्ठ एवं प्रसिद्ध कलाकार है
दूसरा होगा कापालिक यह शैली गायन के साथ साथ कपाल की मुद्रा में विद्यमान होती है कापालिक सहेली में वाचक या बोलने वाला परंपरा होगी होता है कापालिक शैली की प्रसिद्ध गायिका तीजन बाई उषा बाई और शांति बाई है इसके अलावा दोनों ही से प्रकारों में दानी प्रधान राम जी देवार पुनाराम निषाद रितु वर्मा बहुत प्रसिद्ध है