छत्तीसगढ़ में  धान की खेती विस्‍तृत जानकारी



छत्तीसगढ़ में 47979 वर्ग कि0मी0
भूमि पर विभिन्‍न फसलें उगाई जाती है जो कुल भौगौलिक क्षेत्र का 35.49 प्रतिशत है।
सर्वाधिक क्षेत्र में धान की खेती की जाती है जो कुल भूमि के 67प्रतिशत  पर की जाती है।

धान की खेती एवं पैदावार:-


style=”display:block; text-align:center;”
data-ad-layout=”in-article”
data-ad-format=”fluid”
data-ad-client=”ca-pub-4113676014861188″
data-ad-slot=”8191708762″>

प्रदेश के प्राय: सभी जिलों की मुख्‍य
फसल है। चावल यहां के लोगों का मुख्‍य भोजन है अत:भोजन की पूर्ति के लिए ग्रामीण
क्षेत्रों के प्राय: सभी परिवारों द्वारा धान की खेती की जाती है । प्रदेश के
मैदानी भागों में बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है। यहां की विस्‍तृत समतल भूमि
,
उष्‍णजलवायु, पर्याप्‍त वर्षा, सघन जनसंख्‍या तथा उघोगों के अभाव के कारण बड़ी संख्‍या में लोग धान
कीखेती करते हैं। धान उत्‍पादन की भौ‍गोलिक परिस्थितियां निम्‍नांकित हैं-

1 तापमान

धान की खेती के लिए
28डिग्री ब से 30 डिग्री से 0ग्र0 तापमान की आवश्‍यकता होती है। बोते समय कम
तापमान की आवश्‍कता होती है लेकिन फसल की वृद्धि के साथ
साथ अधिक तापमान की आवश्‍यकता होती है।

2. वर्षा

धान की खेती के लिए 1000 से 1500 मि.मी. वर्षा की आवश्‍यकता होती है। धान
उगाते समय पानी की कम आवश्‍यकता होती है और बढ़ते समय अधिक पानी की जरूरत होती है।
पानी की कमी की पूर्ति सिंचाई से की जाती है।

3.मिट्टी

इसके लिए मटासी,
कन्‍हार और डोरसा मिट्टी अधिक उपयुक्‍त होती है। इस मिट्टी मे
मंझोला और माई धान की खेती की जाती है। रेतीली और लेटेराइट मिट्टी मे जिनमें जल
धारण करने की क्षमता कम होती है इसमें जल्‍दी पकने वाली धान बोयी जाती है।

4. सिंचाई

धान की खेती मानसूनी
वर्षा पर आधारित होती है। मानसूनी वर्षा अनिश्चित होती है। वर्षा जब आवश्‍यकता से
कम होती है तो उसकी पूर्ति सिंचाई से की जाती है। कृषि भूमि के 22प्रतिशत भागों
में सिंचाई की सुविधा है जिनमें नहरों द्वारा 72प्रतिशत भागों की सिंचाई होती हैं।

5.उर्वरक

प्रारंभ में खेतों में
गोबर खाद
,
कूड़ा-कर्कट और सिल्‍ट मिट्टी को डालते हैं। पौधे के बढ़ने पर
रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं। अधिक उत्‍पादन लेने के‍ लिए सम्‍पन्‍न कृषक अधिक
उपयोग करते हैं क्‍योंकि उनके पास सिंचाई की सुविधा होती है।

6.श्रमिक

प्रदेश के जनसंख्‍या का
घन्‍त्‍व अधिक है। समतल मैदानी भागों और नदियों के किनारे
,
किनारे सघन अधिवास मिलते है। औद्यौगिककरण्‍ एवं नगरीयकरण के अभाव
में ग्रामीण लोग अपने परिवार के भरण
पोषण क लिए धान की खेती
को अपनाने हैं। इसमें मजदूर की अधिक आवश्‍यकता फसलों की अपेक्षा प्रति हेक्‍टेअर
भरण
पोषण की क्षमता अधिक होती है।

 
style=”display:block; text-align:center;”
data-ad-layout=”in-article”
data-ad-format=”fluid”
data-ad-client=”ca-pub-4113676014861188″
data-ad-slot=”8191708762″>

विशेष तथ्‍य

👉धान -खरीफ में शामिल

👉धान का उत्‍पादन:-2016-17 में
8793.3 हजार में. टन

                             2017-18 में 8691.06 हजार
में. टन

👉अनाज उत्‍पादन की श्रेणी में स्‍थान
प्रथम छत्तीसगढ़

👉शीष उत्‍पादक जिला

  1. प्रथम -जांजगीर
    चांपा
  2. द्वितीय धमतरी
  3.  तृतीय रायपुर

👉छत्तीसगढ़ में धान खरीदी – छत्तीसगढ़
राज्‍य सरकारी विपणन संघ मार्कफेड द्वारा

👉प्रदेश में सभी फसलों में धान का रोपित
क्षेत्रफल सर्वाधिक है।

👉समर्थन मूल्‍य – 2018-19- में धान सामान्‍य
1750 रूपये  धान ग्रेड ए 1770 रूपये।

                    2019-20-  में धान सामान्‍य 1770 रूपये धान ग्रेड ए 1835 रूपये।

 

 

 

 

 

By Admin