छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस 2021-निबंध, भाषण ! 28 नवम्बर छत्तीसगढ़ी दिवसchhattisgarhi bhasha diwas
छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस chhattisgarh rajbhasha diwas
दोस्तों छत्तीसगढ़ अत्यंत सुन्दर एवं
शांतिप्रिय राज्यों में से एक है जो कि निरंतर विकासशील है पहले छत्तीसगढ़ की छवि
केवल एक गरीब राज्य के रूप में थी मगर दशकों से छत्तीसगढ़ की स्थिित कई अन्य
राज्यों से बेहतर हुई हैं। यहां की भाषा छत्तीसगढ़ी जो कि अत्यंत ही कर्णप्रिय है।
इस लेख में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के बारे में महत्ता को बताया गया है छत्तीसगढ़ी
राजभाषा दिवस पर भाषण एवं छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस एवं निबंध के यह अत्यंत लाभकारी
सिद्ध होगी।
आप मन ला छत्तीसगरी भाखा दिवस की जम्मो शुभकामनाएं अउ गाढ़ा गाढ़ा बधाई। छत्तीसगढ
महतारी की जय
छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस की शुरूआत एवं
इतिहास-
छत्तीसगढ़ के राज्य बनने के बाद 28 नवम्बर
2007 को छत्तीसगढ़ की विधानसभा ने सर्वसम्मति से छत्तीसगढ़ी राजभाषा संशोधन
विधेयक 2007 पारित किया और हिन्दी के अतिरिक्त छत्तीसगढी को भी सरकारी कामकाज की भाषा के रूप में मान्यता दे
दी गई। 11 जुलाई 2008 को छत्तीसगढ़ी राजभाषा संशोधन अधिनियम 2007 का प्रकाशन
छत्तीसगढ़ राजपत्र में हो गया।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस क्यों मनाया जाता
हैं-
28 नवम्बर को छत्तीसगढ़ी दिवस मनाया जाता
है दिनांक 28 नवम्बर 2007 को विधानसभा में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा देने
के लिए विधेयक पारित किया गया था इसीलिए इस दिवस को छत्तीसगढ़ी दिवस के रूप में
मनाने का निर्णय छत्तीसगढ़ शासन ने किया हैं।
28 नवम्बर 2008 को छत्तीसगढ राजभाषा आयोग का
गठन हो गया और 14 अगस्त 2008 केा छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग की प्रथम कार्यकारी
बैठक की शुरूआत हुई इसलिए इसदिवस को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस केरूप में कार्यालय
स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इसके बाद 2 सितम्बर 2010 को
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग अधिनियम 2010 का प्रकाशन छत्तीसगढ़ के राजपत्र में किया
गया।
छत्तीसगढ राज्य के बनने के साथ साथ
छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने की पहल हुई है। हिन्दी और छत्तीसगढी का संबंध अनेक
प्रकार से समान है। लोगो के बीच माध्यमों में छत्तीसगढ़ी का प्रयोग अनेक रूपों
में होने लगा है। जैसे कि रेडियो आकाशवाणी से विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन, वार्ता, परिचर्चा, गाने लोक संगीत लोक गीत, रूपक
समाचार आदि हिदी के साथ साथ छत्तीसगढी प्रसारण हो रहा है। विज्ञापनों में भी
छत्तीसगढ़ी लाइनों का प्रयोग देखने कोमिलता है। छत्तीसगढ़ के रेलवे स्टेशनों पर
गाडि़यों के आगमन आदि की सूचना हिन्दी,
अंग्रेजी के साथ छत्तीसगढ़ी में भी दिया जाने लगा
हैं।मोबाइल पर भी सभी कंपनियों द्वारा हिन्दी अंगेजी के साथ साथ छत्तीसगढ़ी का
प्रयोग किया जा रहा हैं।
हाल
के समय में इंटरनेट के विज्ञापनों जैसे गुगल एवं यु ट्यूब के विज्ञापनों में कई
बड़ी कंपनियों के प्रमोशन के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा में एवं छत्तीसगढ़ी कलाकार का
प्रदर्शन किया जाता हैं। यही नहीं छत्तीसगढ़ शासन ने प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक
स्तर की कक्षाओ केलिए अनेक विषयों में पाठ्यपुसतकों में छत्तीसगढ़ी एवं स्थानीय
बोलियों में प्रकाशित करना प्रारंभ कर दिया है। नवभारत देश बंधु, दैनिक
भास्कर,पत्रिका,अमृत संदेश,
हरिभूमि, आदि प्रमुख समाचार पत्रों में छत्तीसगढ़ी में साप्ताहिक
सतंभ आ रहे हैं। कुछ छत्तीसगढ़ी मासिक ,
त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन भी सतत है जैसे लोकाक्षर।
छत्तीसगढ़ी की स्थिती-
प्राचीन
काल से ही छत्तीसगढ़ दक्षिण कोशल अनेक संस्कृतियों का संगम स्थल रहा है फलस्वरूप
भिन्न धर्म जातियां भाषाए बोलियां यहां गलबांहों डाले साथ् साथ चलती रही है।
छत्तीसगढ़ी विविधता को देखकर डा रमेंशचंद्र महरोत्रा, हीरालाल
शुक्ल, प्रभृति भाषाविद छत्तीसगढ़ को एक भाषायी क्षेत्र की
संज्ञा देते हैं। छत्तीसगढ़ वस्तुत: एक लघु भारत है जहां वर्तमान में 93 लगभग
भाषाएं या बोलियां बोली जाती हैं।
छत्तीसगढ़ी
का जन्म कैसें हुआ-
वैदिक
संस्कृत से लौकिक संस्कृत का विकास हुआ यह आगे चलकर पालि भाषा बना एवं पालि से
प्राकृत बना, प्राकृत से अपभ्रंश एवं अर्धमागधी एवं पूर्वी हिन्दी से
बना छत्तीसगढ़ी का विकास हुआ। अर्धामागधी से विकसित पूर्वी हिनदी समूह की
छत्तीसगढ़ी भाषा छत्तीसगढ़ राज्य में रहने वाले 2 करोड से ज्यादा लोगों के
द्वारा बोली जानी वालि भाषा हैं।
- वर्तमान
में छत्तीसगढ़ी को छत्तीसगढ़ प्रदेश की
राजभाषा घोषित किया गया है।
8वीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी शामिल नहीं-
1
नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ भारत का 26 वां राज्य बना। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के
बाद 28 नवम्बर 2007 को छत्तीसगढ़ विधानसभा ने सर्वसम्मति से छत्तीसगढ़ी राजभाषा
विधेयक 2007 पारित किया एवं 28 नवम्ब्र को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाया जाने
लगा। छत्तीसगढ़ी को राजभाषा कादर्जा दिया। हालांकि अभी तक छत्तीसगढ़ी को भारतीय
भाषाओं की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है। जिसकी दो बहनें अवधी एवं
बघेली हैं। प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ को दक्षिण् कोशल के नाम से जाना जाता था
यहां बोले जाने वाली छत्तीसगढ़ी भाषा को कोसली कहा जाता था। छत्तीसगढ़ी गद्य का
प्राचीनकाल रूप दंतेवाड़ा़ के शिलालेख में मिला है। छत्तीसगढ़ी प्रदेश में सभी
जिलों में सबसे सम्पन्न छत्तीसगढ़ी को जांजगीर के आसपास के क्षेत्र में माना
जाता है।
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छत्तीसगढ़ी दिवस