गोबर से विद्युत
उत्पादन परियोजना-छ्तीसगढ़ की नयी योजना।
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क्या हैं गोबर से विद्युत उत्पादन परियोजना–
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2 अक्टूबर को गांधी
जयंती के दिन बेमेतरा किसान सम्मेलन में गोबर से बिजली उत्पादन की महत्वाकांक्षी
और ऐतिहासिक परियोजना का शुभारंभ किया हैं।
सुराजी गांव योजना
के तहत छत्तीसगढ़
राज्य के लगभग 6000 गांवों में गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में
विकसित किया गया है, यहां गोधन न्याय योजना के तहत दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी
कर बड़े पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही है। वर्तमान में दखें
तो पूरे छत्तीसगढ में गोबर से गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से
अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं विक्रय किया जा चुका है।
भूपेश बघेल द्वारा
इन गौठान से गोबर से विद्युत उत्पादन परियोजना की शुरूआत कि हैं।
- 1–बेमेतरा जिले के साजा विकासखण्ड के आदर्श
गौठान राखी, - 2-दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड स्थित सिकोला गौठान
- 3-रायपुर जिले के आरंग विकासखण्ड स्थित बनचरौदा गौठान में
गोबर से विद्युत उत्पादन परियोजना का शुभारंभ किेया
गोबर से विद्युत
उत्पादन परियोजना से लाभ –
- गोबर से सस्ती
बिजली उत्पादन होने के साथ-साथ जैविक खाद का भी उत्पादन होगा। - इससे गौठान
समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को दोहरा लाभ होगा। - आगे चलकर आदर्श गोठानों
को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। - अब आम आदमि भी उद्योग
चला सकेगा।
गोबर से विद्युत
उत्पादन परियोजना कैसें काम करेगा।
एक यूनिट से 85 CCM गैस बनेगी। चूंकि
एक CCM से 1.8 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होता है। इससे एक यूनिट में 153 KW विद्युत का
उत्पादन होगा। इस प्रकार उक्त तीनों गौठानों में स्थापित बायो गैस जेनसेट इकाईयों
से लगभग 460 KW विद्युत का
उत्पादन होगा, जिससे गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ वहां स्थापित
मशीनों का संचालन हो सकेगा।
इस यूनिट से बिजली
उत्पादन के बाद शेष स्लरी के पानी का उपयोग बाड़ी और चारागाह में सिंचाई के लिए
होगा तथा बाकी अवशेष से जैविक खाद तैयार होगी। इस तरह से देखा जाए तो गोबर से पहले
विद्युत उत्पादन और उसके बाद शत-प्रतिशत मात्रा में जैविक खाद प्राप्त होगी।