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गुरू घासीदास के अनमोल वचन !गुरु घासीदास के विचार

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गुरू घासीदास सतनामी धर्म के
प्रवर्तक एवं गुरू है उन्‍होंने सामाजिक सेवा एवं उत्‍धान का कार्य किया है उनके
संदेशों को अनुयायी अपने जीवन में निश्चित रूप से अपनाकर अपनो आप को धन्‍य मानते
हैं।

गुरु घासीदास के विचार
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इस पोस्‍ट में गुरू धासीदास दास जी
के सात संदेशों एवं उनके द्वारा कहे गये अनमेाल वचनों का उल्‍लेख किया गया है बने
रहे हमारेे साथ:-




गुरू घासीदास जी सात चमत्‍कारी
संदेश:

  1. सतनाम को मानो। सत्‍य ही ईश्‍वर है
    ईश्‍वर ही सत्‍य है। सतम धरती सतम आकाश।
  2. मांसाहारी मत बनो। नशा मत करो।
  3. सभी जीव समान। जीव हत्‍या पाप है।
    पशु बलि अंधविश्‍वास है।
  4. मूर्ति पूजा मत करो।
  5. चोरी करना पाप है। हिंसा करना पाप
    है। सादा जीवन उच्‍च विचार रखो।
  6. दोपहर में हल मत जोतो।
  7. पर नारी को माता जानो। आचरण की
    शुद्धता पर जोर दो।
इन्‍हें भी देखें 💬गुरू घासीदास बायोग्राफी
इन्‍हें भी देखें 💬छत्तीसगढ़ के संतो की कहानी 


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गुरू घासीदास जी अनमोल वचन:-

  • सत ह मानव के आभूषण आय।
  • मनखे मनखे एक समान।
  • पानी पीहू छान के, गुरू बनाहू जान के।
  • अपन ल हीनहा अउ कमजोर झन मानहू।
  • सत ल कमजोर झन मानहू।
  • जईसे खाबे अन्‍ना तईसे बनही मन।
  • मेहनत की रोटी ह सुख के आधार ए।
  • रिस अउ भरत ल तियागथे तेकर बनथे।
  • दान के लेवइसा पापी, दान के देवइया पापी।
  • मोह ह सबो संत के आय, अउ तोर हीरा ह  मोर बर कीरा आय।
  • पहुना ला साहेब समान जानिहौ।
  • सगा के जबर बैरी सगा होथे।
  • सबर के फल मीठ होथे।
  • मया के बंधना असली ए।
  • दाई-दादा अउ गुरू ल सनमान देवव।
  • दाई दाई मुरही गाय के दूध ल झन पीबे।
  • इही जनम ल सुधारना सोचा है।
  • सतनाम घट घट म समाय है।
  • गियान के पंथ किरपान के धार ए।
  • एक घूवा मारे तेरा तोर बराबर आय।
  • मोला देख, तोला देख बेर कुबेर
    देख जौन हक तेन ला बांट बिराज के खा के।
  • जतैक हावा सब मोर संत आव।
  • गाय भइस ला नांगर म इन जोतबा।



  • मांस ला इन खाबे। अउ मांस ल कोन कहय
    ओकर सहिनाव तक ला झन खाबे।
  • जान के मरई ह तो मारब आए, कोनों ल सपना म मरइ
    ह घला मारब आए।
  • पान परसाद नरियर सुपारी चढ़ाना ह
    ढोंग आय।
  • मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा,
    संत द्वार बनइ ह मोर मन ला भावय नहीं, बनाए बर
    हे बांध बना
    , तरिया बना, कुआ खोदा,
    धर्मशाला बना, अनाथालय बना, न्‍यायालय बनवा, दुर्गम ल सुगम बना।
  • कोनो जीवन ल झन मारबे जीव हत्‍या
    महापाप आय।
  • बारा महीना के खर्चा बटोर तब भक्ति
    करबे।
  • मरे बाद पीतर मनई मोला बइहाई लागथे।
  • चुगली अउ निंदा ह घर बिगाड़थे।
  • पेड़ रूख राई ला घन काटिहो।
  • धन ल उड़ा झन, बने काम म खर्च कर।
  • ये धरती तोर ए, एक सिंगार कर।
  • दीन दुखी के सेवा सबले बड़े धरम आय।
  • काकरो बर कांटा इन बो।
  • घमंड का करथस सब नसा जाही।
  • झगरा के जर नई होय, ओखी खोखी होथे।
  • नियाय सब बर बरोबर होथे।
  • धरमात्‍मा उही ए जौन धमर करथे।
  • बैरी संग घलो पिरित रखबे।
  • मोर संत मन मोला ककरो ले बड़े झन
    कहिहौं
    , नइते मोला हुदेसना म
    हुदेसना आय।

By Admin