गांधी जयंती 2022 – निबंध, जीवनी, महत्व ! महात्मा
गांधी (gandhi jayanti ) की जीवनी पर
निबंध
महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) जी का जन्म
दिवस हर साल 2 अक्टुबर को गांधी जयंती एवं अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
इस दिन को सभी स्कुल कार्यालय पूरे भारत में धुम धाम के साथ मानाया जाता है गांधी
जयंती में गांधी जी के दर्शन एंव विचारों को साझा किया जाता हैं । इस वर्ष 2022 में
गांधी जयंती पर आप सभी को हार्दिक बधाइयां । इस पोस्ट में महात्मा गांधी (Mahatma
gandhi) की जीवनी पर निबंध एवं
गांधी जयंती का महत्व को बताया गया हैं। महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) का जीवन परिचय विस्तार से बताया जा
रहा हैं। –
धरा जब-जब विकल होती मुसीबत का समय आता,
किसी भी रूप में कोई महामानव चला
आता।।- दिनकर
सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा
गांधी (Mahatma gandhi) को भारत के लोग प्यार, श्रद्धा और आदर से बापू और राष्ट्रपिता नामों से भी सम्बोधित करते हैं।
आधुनिक भारत के इतिहास में ऐसा आदरसूचक सम्बोधन किसी भी नेता के लिए नहीं किया
गया। महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) न सिर्फ भारत की दृष्टि से महात्मा
थे बल्कि सम्पूर्ण विश्व इन्हें बेझिझक महात्मा के रूप में स्वीकार करता है। सत्य
और अहिंसा का अमोघ शस्त्र ऐसा था कि गांधी जी ने दुनिया को यह दिया कि बिना तोप और
तलवार के , बिना बम और प्रक्षेपास्त्र के भी बड़े-से-बड़े
युद्ध जीत लिया जा सकता ह। महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) ने
सत्य, अहिंसा औश्र सत्याग्रह का सहारा लेकर उस बर्बर
अंग्रेज को भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया जिसे कभी यह दंभ था कि सूर्योदय से
सूर्यास्त तक उसका साम्राज्य विस्तीर्ण है।
Gandhi jayanti hindi nibhandh |
हमारी भारत भूमि बबर्र अंग्रेजों से
त्रस्त हो चुकी थी। हम भाग पाने के लिए विकल थे, तभी हमारे बीच समाज सुधारक और राजनेता
के रूप में महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) का आविर्भाव
हुआ। श्रीमद्भागागवदगीता में अवतारवाद की चर्चा है और उसे आधुनिक कवि ने अपने शब्दों
में ढालकर वही बात कही है। गांधी जी का प्रादुर्भाव भारत की भूमि पर हुआ।
महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) के जन्मकाल
में भारत पर अंग्रेजों का शासन था। अंग्रेज भारतीयों पर तरह तरह के अत्याचार करते
थे। सर्वत्र अराजकता, अत्याचार, और
शोषण था। ऐसे में हमारी धरती किसी महामानव के अवतार के लिए व्यग्र हो रही थी।
गांधी जी ऐसे ही महामानव थे । उनका जन्म 2 अक्टूबर सन। 1869 में गुजरात प्रांत
में काठियावाड़ जिले के पोरबंदर नाम स्थान में हुआ था। इसके पिता का नाम करमचन्द
गांधी था और माता का नाम पुवलीबाई था। माता से गांधी जी को सच बोलने की प्रेरणा
मिली। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। तेरह वर्ष की अल्पायु में
महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) की शादी कस्तुरबा से हुई। महात्मा
गांधी (Mahatma gandhi) की पत्नी का पूरा नाम कस्तुरबा
गांधी था। भारतवासी श्रद्धा से उन्हें बा कहते थे।
गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा
पोरबंदर में हुई थी। सन 1887 ई में इन्होंने मैट्रिक की परिक्षा पास की। इसके बाद
बैरिस्ट्री पढ़ने के लिए ये इंग्लैण्ड गये। बैरिस्ट्री पास कर ये भारत वापस आ
गये और मुंम्बई में वकालत करने लगे। इनकी वकालत नाम मात्र की चलती थी। संयोग से
इन्हें एक सेठ ने अपने मुकदमे की पैरवी हेतु सन् 1892 ई में दक्षिण अफ्रीका
भेजा। वहां इन्होंने गोरों को भारतीय मूल को लोगों पर अत्याचार करते देखा। इस
बात से गांधी जी काफी दु-खी हुए। इन्होने भारतीय मुल के सभी लोगों को एकत्र कर
सत्याग्रह आंदोलन चलाया। गांधीजी को इसमें अपार सफलता मिली। गांधी जी के इस कार्य
से दक्षिण अफ्रीका में बसो भारतीयों को बहुत राहत मिली। दक्षिण अफ्रीका से लौटने
पर भारत में गांधी जी ने अपना राजनीतिक जीवन बिहार प्रांत के पश्चिमी चम्पारण्य
से शुरू किया।यहां के किसानों से जमीन छीनकर अंग्रेज नील की खेती करवाते थे। गांधी
जी ने ऐसे किसानों को संगठित कर इस अन्याय के विरूद्ध सत्याग्रह आंदोलन प्रारम्भ
कर दिया। फलस्वरूप किसानों को काफी सुविधाऐं प्राप्त हुई।
सन् 1920 ई मे बाल गंगाधर तिलक
की मृत्यु हो गयी। इसके बाद कांग्रेस की बागडोर गांधीजी के हाथ में आ गयी। उन्होंने
सम्पूर्ण देश में घूम घूमकर लोगों को आजादी का महत्व समझाया और इसकी प्राप्ति
हेतु अहिंसा एवं सत्याग्रह का मार्ग बताया। सन् 1930 ई में गांधी जी ने नमक कानून
का विरोध किया। इसमें भी इनको सफलता मिली। इसी तरह सत्य एवं अहिंसा का सहारा लेकर
गांधी जी सारे भारतवासियों के दिलो दिमाग पर छा गये। अब वे इतने लोकप्रिय हो गये
कि जिधर जाते लाखों करोड़ों लोग उनके विश्वास के पीछे चल पडते। वे जो भी बोलते वह
करोड़ो भारतीयों की बोली होती-
चल पडें जिधर दो पग डगमग
चल पड़े कोटि पग उसी ओर,
पड़ गयी जिधर भी एक दृष्टि
गड़ गये कोटि दृग उसी ओर।
भारतीयों की चट्टानी एकता के सामने
अंतत: अंग्रेजों को झुकना पड़ा और 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हो गया। भारत आजाद
हो गया।
भारत आजाद हो गया लेकिन बिना तोप, तलवार बम के प्रयोग से
सिर्फ अहिंसा और सत्य के अशोक अस्त्र के सहारे।
अंग्रेजों ने जाते जाते भी हमारे
समाज में साम्प्रदायिकता का जहर फैला दिया । हिन्दुस्तान को बांटकर पाकिस्तान का
निर्माण किया। चारों ओर हिन्दू मुस्लिम दंगे हुए। इन दंगों को रोकने में गांधी जी का प्रयत्न रामबाण साबित हुआ। गांधी जी के एकता
के मंत्र का ऐसा असर हुआ कि हिन्दू मुसलमान देानों ही ईश्वर अल्लाह तेरे नाम सबको
सन्मति दे भगवान। गाने लगे।
उक्ता भजन के द्वारा देा परस्तर
विरोधी धर्मों का समन्वय करके गांधी जी एक महान समन्वयकारी महापुरूष सिद्ध हो गये।
महात्मा गांधी (Mahatma gandhi) जी 30 जनवरी
1948 ई को संध्या प्राथर्ना सभा में जा रहे
थे, उसी समय नाथूराम विनायक गोडसे नामक व्यकित ने इन्हें गोली
मार दी। सत्य और अहिंसा के अद्वितीय पुजारी को पूजा के समय पूजा स्थल पर ही हिंसा
द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया । सारा विश्व रो पड़ा। सारा विश्व स्तब्ध रह गया
। नेहरू के मुंह से अनायास फूट पड़ा- प्रकाश चला गया। (light has gone)।
किसी कवि
ने कहा-
यह लाश
मनुज की नहीं, मनुजता के सौभाग्य विधाता की,बापू की
अर्थी नहीं चली, अर्थी यह भारत माता की ।
महात्मा
गांधी (Mahatma gandhi) विरले महापुरूषों में से थे जिन्हें
करेाड़ो लोग आध्यात्मिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि मानवतावादी दृष्टिकोण से पूजते थे।
गांधी जी के विषय में कविगुरू रवीन्द्रनाथ टैगोर के उद्गार है- भिखारी कि लिबास में
एक महान आत्मा लौटकर आयी है।
लार्ड
माउंट बेटन के ये शब्द भी गांधी की महानता को उजागर करते हैं- सारा संसार उनके जीवित
रहने से सम्पन्न था और उनके निधन से वह दरिद्र हो गया। गांधी जी महानता के कितने
बड़े पुजार थे, इसका प्रमाण उनके ये दो भजन हैं-
ईश्वर
अल्लाह तेरे नाम सबको सम्नति दे भगवान।वैष्णव
जनते तेने कहिए जे पीर परायी जाणे रे।।
गांधी
जी एक मंजे हुए लेखक भी थे। उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें हैं- हिन्द स्वराज्य, इंडियन
ऑपीनियन, यंग इंडिया और हरिजन पत्रिका में उनके मुल्यवान
अनेकानेक विचार हैं।
महात्मा
गांधी (Mahatma gandhi) युग पुरूष थे, कालजयी
थे। उनके सिद्धांतों को गांधीवाद के नाम से जाना जाता है। उनके विचरों को गांधी जी
आज भी हमारे सामने हैं, क्योंकि उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं।