Rajarshitulya Kula vansh छत्तीसगढ़ के प्रमुख राजवंश राजर्शितुल्य कुल वंश
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राजर्शितुल्य कुल वंश प्रारंभिक परिचय-
समुद्रगुप्त के यात्रा के बाद की
ऐतिहासिक कार्यकाल आरंग में प्राप्त एक ताम्रपत्र लेख के द्वारा स्थापित की जाती
है। इसकी लिपि गुप्त संवत् 182 या तो 282 के आसपास है।
यह ताम्रपत्र महाराज भीमसेन द्वितीय द्वारा हरिस्वामी
को दोण्डा में स्थित भट्टपति नामक ग्राम दान में दिये जाने का उल्लेख है। यद्यपि
इसमें भीमसेन द्वितीय और उसके पहले की पांच पीढि़यों के राजाओं के नामों का उल्लेख
है, किन्तु सभी राजाओं के बारे में अन्यत्र कोई सुचना नहीं
मिलती।
राजर्शितुल्य कुल वंश शासक-
ताम्रपत्र लेख केअनुसार राजर्षितुल्य कुल वंश में सबसे
पहले शूर नामक राजा हुआ। फिर उसका पुत्र दयित, फिर विभीषण,
तत्पश्चात
भीमसेन प्रथम उसके बाद दयित वर्मा द्वितीय और अंत में भीमसेन ,द्वितीय।
गुप्त संवत के प्रयोग से स्पष्ट होता है कि इस संवत्
के शासक गुप्त अधिसत्ता स्वीकार करते थे।
शासन काल तिथि निर्धारण-
तिथि के संबंध में विद्वानों के मध्य मतभेद है। इस
ताम्रपत्र लेख सर्वप्रथम रायबहादुर हीरालाल ने एपियाग्राफिया इंडिका भाग 9 पृष्ठ
संख्या 342 में प्रकाशित किया था।
वासुदेव विष्णु मिराशी ने रायबहादुर हीरालाल के पाठ पर
शंका कर उसे गुप्त संवत 182 पढ़ा ।मिराशी के इस संशोधन को कई विद्वानों ने उपयुक्त
नहीं माना है।
यदि गुप्त संवत 182 वाला पाठ सही है तो राजर्षि तुल्य
कुल के उदय का समय ईस्वी सन् चौथी शताब्दी में पड़ता और यदि 282 संवत को ठीक
माना जाता है तो पांचवी सदी में शूर का वंश दक्षिण कोसल में उदित हो चुका था जो
पांचवी या छठवीं सदी तक राज्य करता रहा।
राय बहादुर हीरालाल का अनुमान है कि शायद ये महेन्द्र
के वंशज रहे हों। चूकि यह ताम्र पत्र ओम स्वस्ति सुवर्ण नद्या सर्वसद्राजर्षि
तुल्य कुल प्रभवा कीतै: से आरंभ होता है। परन्तु उदयगिरी के पालि लेख में खारवेल
को राजर्षि वंश कुल विनि:सृत लिखा है।
यदि यह कहा जाऐ कि राजर्षि तुल्य कुल और राजर्षि वंश एक
ही होतो यह बात सिद्ध हो जाती है कि खारवेल के वंश का राज्य महाकोशल में सातवीं
शताब्दी तक विद्यमान रहा था।
राजर्षितुल्य वंश का अस्तित्व-
भारतीय इतिहास में राजर्षि तुल्य वंश का उल्लेख अन्यत्र
नहीं मिलता इस दृष्टि से दक्षिण कोसल का यह राजवंश अपना ऐतिहासिक महत्व रखता है,
आरंग
में व्यापक उत्खनन कार्य से नये तथ्यो एवं आंकड़े की जानकारी अवश्य मिलेगी।
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