सर्प झाड़ने का मन्त्र ! सर्प भगाने का मंत्र । सांप कीलन मंत्र 1 साप को भगाने का मंत्र । घर से सांप भगाने का मंत्र
खं ख:। इति द्व्यक्षरो मन्त्र:।
विधि- जब कोई सर्प काटने का समाचार दे तब पानी को मन्त्र
से 108 बार अभिमन्त्रित करके समाचार देनेवाले व्यक्ति को देकर कहे कि ‘जाकर इस पानी
को सांपदष्ट को पिला दो।‘इस पानी को पीने से सर्पविष उतर जाता
है।
अन्यत्। ओम नमो भगवति वज्रमये हनहन ओम भक्ष भक्ष ओम
खादय खादय ओम अरिरक्तं पिब कपालेन रक्ताक्षि रक्तपटे भस्माड्गि भस्मलिप्तशरीरे
वज्रायुधे वज्रकरा ज्चिते पूर्वां दिशं बन्ध बन्ध ओम दक्षिणां दिशं बन्धबन्ध ओम
पश्चिमो दिशं बन्ध-बन्ध ओम उत्तरा दिशं बन्धबन्ध ओम नागान बन्धबन्ध्स ओम नागपत्नीं
बन्धबन्ध ओम असुरान बन्धबन्ध ओम यक्षराक्षसपिशाचन् बन्धबन्ध ओम अधोरक्षरक्ष ओम
क्षुरिके बन्धबन्ध ओम ज्वल महाबले घटघट ओम मोदिमोदि सटावलि वज्राडिं वज्रप्रकारे
हुं फट् ह्लीं ह्लीं श्रीं फूं फें फ, सर्वग्रहेभ्य: सर्वव्याधिभ्य: सर्वदुष्टोपद्रवेभ्यों
ह्लीं अशेषेभ्यो रक्षरक्ष विषं नाशय अमुकस्य सर्वांग्डानि रक्षरक्ष हूं फट् स्वाहा
। इति मन्त्र:।
विधि- जल को मन्त्र से तीन बार अभिमन्त्रित करके पिलाने
से विष उतर जाता है।
अन्यत्। ओम हूं सुं ओम नालकान्तिदंष्ट्रिणि भीमलोचने
उग्ररूपे उग्रतारिणि छिलि किलि रक्त लोचने किलि किलि घोरनि: स्वने कुल कुल ओम तडिजिजह्वे
निर्मांसे जटामुण्डे कट कट हन महोज्ज्वले चिलिचिलि मुण्डमालाधारिणी स्फोटय मारय
मारय स्थावरं विषं जड्गमं विषं नाशय नाशय ओम महारौद्रि पाषाणमयि विष्नाशिनी वनवासिनी
पर्वतविचारिणि कह कह ओम हस नम नम दह दह क्रुध क्रुध ओम नीलजीमूतवर्णे विस्फुर ओम घण्टानादिनी
ललजिजह्वे महाकाये क्षुं हुं आकर्ष आकर्ष विषं धुन धुन हेहर यं ज्वाला मुखि वज्रिणि
महकाये अमुकस्य स्थावरजड्गमयिषं छिन्दि छिन्दि किटि किटि सर्वविषनिवानिणि हूं फट्।
इति मन्त्र:।
विधि- पहाड़ के एक नीले रंग के पत्थर के टुकड़े को अभिमन्त्रित
करके दष्ट स्थान पर चिपका दें और मन्त्र पढ़ता जाय। जब तक विष रहेगा तब तक पत्थर
दष्ट स्थान पर चिपका रहेगा और विष के समाप्त होने पर स्वयं ही पत्थर अलग हो जायगा-
इसमें सन्देह नहीं है।
सर्पकीलन का मन्त्र 1
ओम नमो सर्पा रे तूं थूलं मथूला मुख तेरा बना कमलका
फूला सर्पा रे सर्पा बान्धूं तेरी दादी भुवा जिनने तोकूं गोद खिलाया सर्पा रे सर्पा
बान्धुं तेरा रतन कटोरा जामें तोकूं दूध पिलाया सर्पा रे सर्पा बीज कीलनी बीजपान मेरा
कीला करै जो धाव तेरी डाढ भस्म हो जाय गुरू गोरख भी जाय जलाय ओम नमो आदेश गुरूको मेरी
भक्ति कुरूकी शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा। इति मन्त्र:।
सर्पकीलन का मन्त्र 2
ओम नमो सर्पा रे तूं थूलं मथूला मुख तेरा बना कमलका
फूला सर्पा रे सर्पा बान्धुं तेरी दादी भुवा जिनने तोकूं गोद खिलाया सर्पा रे सर्पा
बान्धुं तेरा रतन कटोरा जामें तोंकूं दूध पिलाया सर्पा रे सर्पा बीज कीलनी बीजपान
मेरा कीला करै जो धाव तेरी डाढ भस्म हो जाय गुरू गोरख भी जाय जलाय। ओम नमो आदेश गुरूको
मेरी भक्ति गुरूकी शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा। इति मन्त्र:।
विधि- इस मन्त्र को शिवरात्रि से प्रारम्भ करके वर्ष दिन
पर्यन्त प्रतिदिन सवा पहर तक असंख्य बार जपे तो यह सिद्ध हो जाता है फिर इस मन्त्र
से आरने उपले की भस्म को सर्प पर डालने से उसकी डाढ़ बन्द हो जायेगी। फिर साधक उस
सर्प को खिलौने की भांति उठा सकता है।
सर्प कीलने का मंत्र 3
बजरी बजरी बजरकिवाड़ बजरी कीलूं आसपास मरै सांप होय
खाख मेरा कील्या पथर कीलै पथर फूटै न मेरा कीला छूटै मेरी भक्ति गुरूकी शक्ति फुरो
मन्त्र ईश्वरी वाचा। इति मन्त्र: ।
विधि- इस मन्त्र से सांप को एक कंकड़ मारने से उसका उकीलन
हो जाएगा।
सांपों को भगाने का मन्त्र
ओम प्ल: सर्वकुलाय स्वाहा अशेषकुलसर्पकुलाय स्वाहा।
इति मन्त्र:।
विधि- इस मन्त्र से सात बार मिट्टी को अभिमन्त्रित करके
घर में डाल दे तो सर्प भाग जांयेगे।