चमत्कारी हनुमान मंत्र ! हनुमान रोगनाशक मंत्र
समस्त
रोग शान्ति का हनुमान मंत्र
पर्वत
उपर पर्वत । पर्वत उपर स्फटिक शिला । स्फटिक शिला पर अंजनी । जिन जाया हनुमान ।
नेहला – टहालाकांख । पीछे की आदटी । कान की कनफेट । राल की बद । कष्ठ की कष्ठमाला
। घुटने का डहरू । दाढ़ की दढशूल । पेट की ताप । तिल्ली किया । इतने को दूर करे ।
भस्मंत न करे तो तो मुझे माता अंजनी का । दूध पिया हराम । मेरी भक्ति गुरू की
शक्ति। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा । सत्यनाम आदेश गुरू जी का ।
विधि– जो साधक ब्रहचर्य
व्रत धारण किया हो वह इस मंत्र का जाप करते हुए रोगी का झाड़ा करे तो रोगी तत्काल
रोग से निदान पाएगा।
वायु
नाशक हनुमान मन्त्र
पर्वत
पर बाइल काग। कै अण्डे, कै बच्चे ? सात अण्डा,
सात बहिन। कौन कौन बहिन ? दांत-चमोकनी मुंह
-चमोकनी। आंख-चमोकनी। पैर-चमोकनी । हाथ-चमोकनी । बाय -बाय री रहहुल्ला । आवेगा
अनुमान बाबा । मारेगा लोहे का सोटा। भाग- भाग रे , सात समन्दर
पार । हुई जाय ।
विधि-इस मंत्र को ग्रहण-
काल में श्री महावीर बजरंगी विषयक समस्त नियमों का पालन करते हुए 11 माला का जप
करें तो यह मंत्र सिद्ध होगा। फिर आवश्यकता के समय वायु-रोग से पीड़त व्यकित्
का झाड़ा लोहे की वस्तु से करें तो पीडि़त व्यकित वायु-रोग से निदान पाएगा।
समस्त रोग व्याधियां
नाशक हनुमान मन्त्र
कौरव-पाण्डव कहां गए ? बन में गए। बन में क्या करेंगे ? बन कटवाएंगे बन
कटा के कया करेंगे ? सहस्त्र मन कोयला करेंगे ? सहस्त्र मन कोयले का क्या करेंगे ? छप्पन-छुरी
बनाएंगे । छप्पन-छुरी का क्या करेंगे ? बाय को, चीस को, भड़क को, फुंसी को,
फोडे़ को, टोक को, नजर
को, सिर-दर्द को काट-पीट के खारे समुनदर में बहाएंगे। खारे
समुन्दर में बहा के क्या करेंगे ? बहोड़ (बहुर) के उल्टे
न आवे ईश्वरो वाचा, पिण्ड कांचा मेरे गुरू का शब्द सांचा
देखूं बाबा हनुमान । तेरे शब्द का तमाशा।
विधि– इस मंत्र की साधना
21 दिन की है, साधक श्री राम, दूत हनुमान
विषयक समस्त नियमों का पालन करते हुए 1 माला का जप प्रतिदिन करें तो यह मन्त्र
सिद्ध होगा फिर आवश्यकता के समय मंत्र में कहे समस्त रोग-दोष का झाड़ा करने से
नाश होता है।
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अण्डकोश की वृद्धि रोकने
का हनुमान मन्त्र
ओम नमो आदेश गुरू जी का ।
जैसे के लेहू रामचन्द्र। कबूत ओसई करहु राध । बिनि कबूत पवनपूत । हनुमन्त धाउ हर
– हर । रावन कूट मिरावन श्रवइ। अण्ड खेतिहि श्रवइ अण्ड। अण्ड विहण्ड खेतहि
श्रवइ। वाजे गर्भ हिश्रवइ स्त्री । षीलहि श्रवइ शाप हर -हर । जंबीर हर जंबीर
हर-हर,
शबद सांचा । पिण्ड कांचा। फुरो मन्त्र। ईश्वरो वाचा।
विधि– इस मंत्र का अनुष्ठान
11 दिन का है, साधक श्री हनुमान जी विषयक सभी नियमों का पालन
करते हुए प्रतिदिन 2 माला का जप करें तो यह मंत्र सिद्ध होगा, फिर इस मंत्र को जपते हुए अण्डकोश को हलके हाथ से मले तथा 21 बार जल को
शक्तिकृत कर रोगी को पिलाए तो अण्डकोश वृद्धि शान्त हो जाती है,।
यदि बवासीर के भस्से फूले
हुए हों और वे विशेष कष्ट दे रहे हों तो गेंडें की जननेन्द्रिय को सुखाकर उसका
कंकण बनवा लें और उसे रोगी के दाहिने हाथ की कलाई में धारण करवायें, तो सभी मस्से सूख जायेंगे तथा बवासीर की पीड़ा भी शान्त हो जायेगी।
दाद खाज झा़ड़ने का हनुमान
मन्त्र
ओम हाथ वेगे चलाई । आदि
-नाथ ,
पवन- पूत। हनुमन्त कर मोरकत। मेरू चाल, मन्दिर
चाल। नवग्रह चाल, दोष-चाल । दिनाई चाल, डोरी चाल। इन्द्रहि चाल,चाल-चाल। हनुमन्त बिना ,
सह काल। उठि विधि तरू-वर चाल। हम हनुमन्ते मुगरे। लिंगडा परोरे
वर्ध छले। तरूयरी घानपरि हि। यष अष्टोत्तर- शत व्याधि । लावरे विशलाव अहरो। विष
आह।
विधि– इस मंत्र को ग्रहण
काल या दीपावली में श्री राम दूत हनुमान जी विषयक समस्त नियमों का पालन करते हूए
11 माल जप व दशांश हवन करेन ये यह मन्त्र सिद्ध होगा, फिर तांबे के कलश में शुद्ध जल भर कर 21 बार शक्ति-कृत कर दाद – वाले व्यक्ति
को पिलाये, यह क्रिया नित्य करें जब तक दाद न दूर हो जाय।
आधा शीशी (माइग्रेन सिर
दर्द) विनाशक हनुमान मंत्र 1
ओम कारी चिरई चौकही। राव
तीरे बासा । या किसी हांक दे हनुमन्त वीर, आधा–शीश विनाशा।
विधि- इस मंत्र को
ग्रहण-काल में पवन पुत्र हनुमान विषयक सभी नियमों का पालन करते हुए 11 माला का जप
करें तो यह मंत्र सिद्ध होगा। फिर माइग्रेन आधा शीशी दर्द से पीडि़त व्यकित का
उपलों की राख से झाड़ा करने से आधा शीशी का दर्द दूर होता है।
माइग्रेन आधा शीशी दर्द दूर
करने का मंत्र 2
बन में बयाई अंजनी । कच्चे
बन फल खाय । हांक मारी हनुमन्त ने । इस पिण्ड से आधा । सीसी उतर जाय ।
विधि– इस मंत्र को ग्रहण काल
में 10 माला का जप श्री हनुमान जी विषयक सभी नियमों को ध्यान रखते हुए करें तो यह
मंत्र सिद्ध होगा, फिर जब आपके पास कोई माइग्रेन दर्द
से पीडि़त व्यकित आये तो राख लेकर 21 बार इस मंत्र का उच्चारण करते हुए झाड़ा करें
तो वह शीघ्र ही आधा सीसी दर्द से निजात पायेगा।
आंख दर्द निवारक हनुमान मंत्र
ओम नमो । झल-मल । जहर भरी तलाई
। अस्ताचल पर्वत ते आई। तहां बैठा हनुमन्त जाई। फूटे न पाकै करै न पीड़ा यती हनुमन्त
राखै हीड़ा । शब्द सांचा। पिण्ड कांचा । फुरो मन्त्र । इश्वरो वाचा ।
विधि– इस मंत्र का ग्रहण काल
में सात माला का जप हनुमान जी के विषयक सभी नियम मानते हुए करने से यह मंत्र सिद्ध
होता है,
फिर आवश्यकता के समय में निम्बू की टहनी लेकर 21 बार रोगी के नेत्रों
का झाड़ा मंत्र जपते हुए करने से वह नेत्र के दर्द से मुकित पाता है।
दांत दर्द निवारक हनुमान मन्त्र
ओम राई-राई । तू मेरी मांई
। धरती नी धूलि । मसानी छाई । सान खवाई । सो हनुवन्त । की दुहाई । मारा गुरू । जपत
जलत बाई। हालि मन्त्र गुरू खवाई। मेरी भकित । गुरू की शक्ति। फुरे मन्त्र । ईश्वरो
वाचा ।
विधि– इस मंत्र की साधना 21
दिन की है, श्री हनुमान जी विषयक समस्त नियमों का पालन करते
हुए प्रतिदिन 1 माला का जप करने से यह मंत्र सिद्ध होता है फिर जब दांत के दर्द वाला
कोई व्यकित आये तो इस मंत्र को जपते हुए 21 बार झाड़ा करने से शीघ्र ही दांत दर्द
से पीडि़त व्यकित आराम पायेगा ।
कान दर्द निवारक हनुमान
मंत्र
वनरा गांठि वानरी। तो
डांटे हनुमान, कंठ । बिलारी , बाधी,
थनैली । कर्ण मूल, सम जाइ। श्री रामचंद्र की
बानी । पानी पथ होइ जाइ।
विधि– इस मंत्र का अनुष्ठान
सात दिन का है, साधक अंजनी -पुत्र श्री बीर बजरंगी के समस्त
नियमों का पालन करते हुए प्रतिदिन 1 माला का जप करें तो यह मन्त्र सिद्ध होगा ।
फिर जब कान का दर्द से व्यकित् आये तो मोर पंख और भस्म से 21 बार झाड़ा करें।
तो रोगी व्यकित् की पीड़ा दूर हो, वह सुखी होवेगा।
स्त्री सभी रोग नाशक हनुमान
– मन्त्र
हनुमान हठीले । लोहे की लाट
। वज्र का खीला । भूत को बाध । प्रेत को बांध। मैली कुचमैली । कूंख मैली । ऐसी चौदा
मैली । पकड़ चोटी न निकाले । तो अंजनी का दूध । हराम करे । महादेव की जटा। में आग लगे।
ब्रम्हा के वचन से । राम चन्द्र के वचन से। मेरे वचन से । मेरे राजगुरू । के वचन
से इसी वक्त भाग जा ।
विधि– इस मंत्र का अनुष्ठान
21 दिन का है, साधक केशरी नन्दन बजरंग बली विषयक सभी नियमों का
ध्यान रखकर प्रतिदिन 1 माला का जप करें तो यह मंत्र सिद्ध होगा, फिर आवश्यकता के समय रोगी व्यकित का झाड़ा लोहे की वस्तु से इस मंत्र को
जपते हुए करें तो रोगी रोग से निदान पायेगा।
कमजोरी एवं दुर्बलता दूर करने
का हनुमान मंत्र
तू है वीर । बड़ा हनुमान ।
लाल लंगोटी । मुख में पान । एर भगावै वैर भगावै । अमुक में । शक्ति जगावै । रहे इसकी
काया । दुर्बल तो माता । अंजनी की आन । दुहाई गौरा । पार्वती को । दुहाई राम की । दुहाई
सीता की । लै इसके पिण्ड की खबर । न रहै इस पे कोई कसर ।
विधि– इस मंत्र की साधना 21
दिन की है, साधक श्री बजरंग बली के सभी नियमों का पालन करते
हुए 1 माला प्रतिदिन जपें तो यह मंत्र सिद्ध होगा, आवश्यकता
के समय इसं मंत्र को जपते हुए मोर द्वारा 21 बार झाड़ा करें तो रोगी व्यकित की दुर्बलता
दूर हो एवं उसके सभी रोग-दोष दूर होते हैं।
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