⦿आधुनिक
औद्यौगिक युग में लोहा इस्पात उद्योग को विकास का आधार स्तंभ माना जाता है। किसी
भी उद्योग की स्थापना हेतु यह उद्योग आधारभूत सामग्री उपलब्ध कराता हैा आधुनिक
युग में मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विभिन्न कार्यों के लिए इसकी आवश्ययकता
होती है जैसे भवन निर्माण सामग्री के रूप में, कृषि
उपकरण, यातायात के साधनों में तथा फर्नीचर इत्यादि में इसकी
आवश्यकता होती हैा
⦿इसकी कारण लौह-इस्पात उद्योग को आधुनिक विकास की धूरी मानते
हैं। यह एक भारी उद्योग है। यह अनेक उद्योगों का जन्मदाता हैा वर्तमान समय में
अधिकांश उद्योगों में इससे बनी मशीनों का उपयोग होता है।
⦿छत्तीसगढ़
में लौह निक्षेप प्राय: सर्वत्र मिलता है। प्राचीन काल में इसे गलाकार छोटे-छोट
उपकरण बनाते थे। इससे कृषि उपकरण बनाने का अधिकांश कार्य होता था।
⦿लोहा
से मानव का संबंध बहुत पुराना है। इसका व्यापक उपयोग उन्नीसवींसदी के प्रारंभ
में हुआ। पहले लोहा गलाने में कोयले का उपयोग किया जाता था। आज बिजली का उपयोग
किया जाता है।
छत्तीसगढ़ में लौह-इस्पात उद्योग –
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💨मानेट
इस्पात उद्योग मंदिर हसौद रायपुर
💨रायपुर
एलायज एंड स्टील कम्पनी सिलतरा रायपुर
💨जिन्दल
स्ट्रिप्स एण्ड लिमिटेड रायगढ़
💨मोनेट
इस्पात इंडस्ट्रीज भूपदेवपुर रायगढ़
💨एच
ई जी लिमिटेड बोरई दुर्ग
💨प्रकाश
इण्डस्ट्रीज चांपा जांजगीर–चांपा
💨नोवा
इण्डस्ट्रीज दगोरी बिलासपुर
💨निको
स्टील इण्डस्ट्रीज सिलतरा रायपुर
💨रजिन्दर
स्टील लिमिटेड सिलतरा रायपुर
💨भिलाई
रिफैक्ट्रीज प्लांट मरोदा दुर्ग